अशोक मधुप
पिछले लगभग एक साल के भारतीय कुश्ती संघ के विवाद ने कुश्ती को बहुत नुकसान पहुंचाया।यह नुकसान दीख नही रहा किंतु इसकी भारपायी के लिए बड़ा प्रयास करना होगा।खेल मंत्रालय ने नवनिर्वाचित भारतीय कुश्ती संघ को निलंबित कर इस खेल को बचाने के लिए बड़ा संदेश दिया है। खेल मंत्रालय ने भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन (आईओए) से फेडरेशन का कामकाज चलाने के लिए एक तदर्थ समिति बनाने को कहा है।खेल मंत्रालय ने भारतीय कुश्ती संघ का संचालन राष्ट्रीय खेल विकास संहिता में दिए राष्ट्रीय खेल फडरेशन के कामकाज की तरह करना सुनिश्चित करने को कहा गया है।यह व्यवस्था अगले आदेश तक जारी रहेगी।
भारतीय कुश्ती संघ के बीते गुरुवार को चुनाव कराए गए थे। इसमें संघ के पूर्व प्रमुख और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह अध्यक्ष चुने गए थे।चुने जाते ही संघ के नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजय सिंह के अंडर-15 और अंडर-18 का ट्रायल गोण्डा के नंदिनी नगर में आयोजित कराने की घोषणा की थी। यह क्षेत्र सांसद बृजभूषण शरण सिंह का गृह जनपद है। वर्तमान में सांसद बृजभूषण शरण सिंह के बेटे यहां से विधायक हैं।सरकार ने इस ट्रायल को ही रद्द कर दिया है। इस चुनाव का अंतरराष्ट्रीय पहलवान विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया ने विरोध किया था। बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों की इस लड़ाई में ये तीनों पहलवान प्रमुख रूप से शामिल थे. कुछ महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण के आरोप लगाए थे।संजय सिंह के चुनाव के बाद ओलंपिक पदक विजेता पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा की थी। वहीं बजरंग पूनिया ने अपना ‘पद्मश्री’ लौटा दिया था।हरियाणा के पैरा एथलीट वीरेंद्र सिंह ने पद्म श्री लौटाने का एलान किया था।
दरअस्ल इस चुनाव को रद्द करने का कारण सरकार का सांसद बृजभूषण शरण सिंह को झटका देना था । इनके बेटे और नजदीकियों ने अंडर-15 और अंडर-18 का ट्रायल गोण्डा के नंदिनी नगर में आयोजित कराने की घोषणा के बाद क्षेत्र में बड़े हार्डिंग लगवाए थे कि दबदबा तो है, दबदबा रहेगा…ये भगवान की देन है। ये वही पोस्टर हैं जिनका प्रदर्शन सांसद के विधायक बेटे प्रतीक भूषण शरण सिंह ने भी खुलेआम किया था। चुनाव के रद्द होने के बाद गाड़ियों से भी ‘दबदबा’ वाले स्टीकर और चौराहों पर लगे हार्डिंग भी हटा दिए गए।चुनाव के बाद नए अध्यक्ष की अंडर-15 और अंडर-18 का ट्रायल गोण्डा के नंदिनी नगर में आयोजित कराने की घोषणा और ये पोस्टर सांसद बृजभूषण शरण सिंह और उनके नजदीकियों के इरादे बताने के लिए काफी था। वरन स्टेडियम तो पूरे देश में बने हैं। कहीं और भी ट्रायल हो सकते थे। ये ट्रायल गोण्डा के नंदिनी नगर में ट्रायल कर विरोध करने वाले पहलवानों को अपना प्रभाव और दबदबा बताना चाहते थे।इससे बडी बात क्या होगी कि इन ट्रायल की तारीख तै करते समय एसोसिएशन के सचिव की सहमति भी नहीं ली गई । न उन्हें ट्रायल की तारीख तै होने की जानकारी है। जबकि एसोससिएशन के संविधान के अनुसार ये होना चाहिए था। एसासिएशन के नवनिर्वाचित प्रधान सचिव प्रेम चंद लोचब ने इस निर्णय पर आपत्ति जताते हुए भारतीय ओलिंपिक संघ को पत्र लिख कर बताया था कि सचिव की जानकारी के बिना ये निर्णय लिए गए हैं जबकि कुश्ती संघ का संविधान कहता है कि सचिव की अनुपस्थिति में न तो निर्णय लिए जा सकते हैं और न ही कोई और अधिकारी इन निर्णयों की जानकारी प्रसारित कर सकता है।
छह माह से ज्यादा पहले पहलवानों के विरोध के बाद भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को कुश्ती संघ के अध्यक्ष के पद से हटा दिया था। नवनिर्वाचित भारतीय कुश्ती संघ के निलंबन के बाद बृजभूषण शरण सिंह ने कहा था कि अब उनका कुश्ती से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि कुश्ती को लेकर क्या करना है, इसका फैसला नए चुए गए पदाधिकारियों को करना है। उन्होंने कहा कि उनके पास कई और भी काम हैं। उन्होंने कहा कि वो इस खेल की राजनीति से दूर रहेंगे।ये घोषणा उन्होंने भाजपा के अध्यक्ष जेपी नडडा से मिलने के बाद की। लगता है कि पार्टी अध्यक्ष जेपी नडडा ने उन्हें समझा दिया कि टिकट बचाना है तो कुश्ती से दूर रहें। हालाकि उन्होंने कह दिया कि कुश्ती से उनका कोई लेना – देना नही है जबकि सच्चाई यह है पद से हटने के छह माह बाद भी कुश्ती संघ का कार्यालय उनके घर पर चल रहा है।
कुश्ती संघ को निलंबित किए जाने के बाद आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले अनुभवी पहलवान बजरंग पूनिया ने कहा, ”यह सही निर्णय लिया गया है। जो हमारी बहन-बेटियों के साथ अत्याचार हो रहा है उसके खिलाफ संबंधित लोगों को पूरी तरह से हटाया जाना चाहिए। हमारे ऊपर कई इल्जाम लगाए गए। राजनीति की गई। जब हम पदक जीतते हैं तो देश के होते हैं। हम खिलाड़ी कभी भी जात-पात नहीं देखते। एक साथ एक थाली में खाते हैं। हम अपने तिरंगे के लिए खून-पसीना बहाते हैं।वहीं इस पर ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने कहा है कि यह उनका (बृजभूषण सिंह) राजनीतिक एजेंडा है, उस पर उन्हें कुछ नहीं कहना है।साक्षी ने कहा कि उनकी ‘लड़ाई सरकार से नहीं बल्कि एक व्यक्ति से है.’। कुश्ती खिलाड़ी विनेश फोगाट ने एक निजी चैनल से बात करते हुए कहा, “ये अच्छी ख़बर है. हम चाहेंगे कि इस पद पर कोई महिला आनी चाहिए ताकि ये संदेश जाए कि महिलाएं आगे बढ़ें. जो भी हो कोई अच्छा आदमी आना चाहिए.”।
पिछले एक साल से चले आ रहे कुश्ती संघ के विवाद ने कुश्ती का बहुत नुकसान पहुंचाया है। कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह पर महिला पहलवानों के आरोप लगने के बाद से ही सरकार को उन्हें हटा देना चाहिए था, किंतु ऐसा नही हुआ। इसका परिणाम यह है कि आज अभिभावक खेल में अपनी बेटी का भेजते कई बार सोचेंगे।वे पहले ही अपनी बेटी की सुरक्षा और सम्मान को लेकर चिंतित रहते हैं, इस प्रकरण ने उनकी चिंता और बढ़ायी है। अब वे बेटी को खेल विशेषकर कुश्ती में भेजते कई बार सोंचेंगे।सरकार ने नए चुनाव का भले ही रद्द कर दिया हो किंतु लंबे समय से कुश्ती संघ में दबदबा कायम रखे बृजभूषण सिंह और उनके नजदीकी चुप नही बैठने वालें नही हैं।वे सरकार के इस निर्णय के विरूद्ध कोर्ट जांएगे।इनका प्रयास होगा कि कुश्ती संघ उनके हाथ से न जा पाए।
सरकार ने नए चुनाव को रद्द करके यह संदेश देने का प्रयास किया है कि निश्चित रूप से कुश्ती संघ को नियमों का पालन करना होगा और किसी तरह की कोई कोताही बरतने से परहेज़ रखना होगा।खेल संघ से राजनैतिक लोगों को दूर रखने के लिए सरकार को काम करना चाहिए।खिलाड़ी भी यदि राजनीति में आ जाए तो उसे भी खेल संघ से बाहर ही रखा जाना चाहिए। सुपरिम कार्ट भी खेल संघों में राजनैतिक दख्ल को लेकर चिंता जता चुका है। किंतु हुआ कुछ नही।खेल संघे में खिलाडी होने चाहिए।वे खेल और खिलाड़ी को ज्यादा समझते हैं। राजनेता नहीं।मंत्रालय को बेपटरी हुए कुश्ती संघ को पटरी पर लाने उसमें खिलाडियों और पहलवानों का विश्वास जमाने को बहुत कुछ करना होगा। संघ में खिलाड़ी लाने होंगे। अच्छा रहे कि कुश्ती सघ की गरिमा बचाने और बेटी की सुरक्षा की चिंता करते परिवारजनों को आश्वास्त करने के लिए कुश्ती संघ का अध्यक्ष किसी महिला खिलाड़ी को बनाए।
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)