राजस्थान के नए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के समक्ष है कई चुनौतियाँ !

गोपेंद्र नाथ भट्ट

राजस्थान के नए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के समक्ष आने वाले दिनों में कई नई राजनीतिक और प्रशासनिक चुनौतियाँ है जिनका उन्हें बहुत ही शीद्दत के साथ सामना करना होंगा। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को अपने गृह जिले भरतपुर जिले के नदबई में सरपंच पद पर काम करने के अलावा अन्य कोई प्रशासनिक अनुभव नही है। हालाँकि उन्हें प्रदेश भाजपा का उपाध्यक्ष रहने के साथ ही लम्बे समय तक प्रदेश महामन्त्री पद पर काम करने का लम्बा तजुर्बा है।

मुख्यमंत्री शर्मा के समक्ष सबसे पहली चुनौती अपने मंत्रिपरिषद का गठन करने की है। राजस्थान में विभिन्न जातियों का बोलबाला है,ऐसे में जातीय संतुलन को साधना उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती होंगी।अभी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ दोनों उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा ने शपथ ली हैं । मुख्यमंत्री ब्राह्मण है और दोनों उप मुख्यमंत्रियों में एक राजपूत और दूसरा अनुसूचित जाति वर्ग से है। सीएम के समक्ष भाजपा के कौर वोट बैंक वैश्य के अलावा जाट,गुर्जर,आदिवासी आदि जातियों को साधने की चुनौती हैं।

दौ सौ सीटों वाली राजस्थान विधान सभा में भाजपा ने 115 सीटें जीत स्पष्ट बहुमत हासिल किया है। विधानसभा की सीटों के 15 प्रतिशत के हिसाब से मंत्रिपरिषद में कुल 30 मंत्री बनायें जा सकते हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ दोनों उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा के शपथ ग्रहण करने के बाद 27 और मंत्री बनायें जाने की गुंजाइश है लेकिन भाजपा जातीय समीकरणों और आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए फ़िलहाल सभी रिक्त 27 मंत्री भरेंगी अथवा उसमें से कुछ स्थान खाली रखेंगी। नए मंत्रियों को केन्द्रीय नेतृत्व से विचार विमर्श के बाद ही शर्मा मंत्रिपरिषद में शामिल किया जायेगा। इसके अलावा मुख्यमंत्री शर्मा को विधानसभा उपाध्यक्ष, मुख्य सचेतक,उप सचेतक तथा संसदीय सचिवों की नियुक्ति में भी कई विधायकों को समायोजित करने की चुनौती है। हालाँकि अजमेर उत्तर के कई बार के विधायक वासुदेव देवनानी को विधान सभा अध्यक्ष मनोनीत किया जा चुका है।

विधान सभा के पटल पर विपक्ष के तीखे प्रहारों और फ्लोर मेनेजमेंट की चुनौती भी मुख्यमंत्री शर्मा के समक्ष है।

इस बार विधानसभा चुनाव जीते आठ निर्दलियों में से सात विधायक भाजपा के अपने ही बागी है जिन्होंने अब भाजपा को बिना किसी शर्त समर्थन देने का आग्रह किया है। उन्हें पार्टी शामिल कराने और पन्द्रहवीं विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता राजेन्द्र राठौड़ और उप नेता डॉ सतीश पूनियाँ जोकि विधान सभा चुनाव में पराजित हो गए है। इन दोनों नेता वरिष्ठ और तजुर्बेदार हैं। उन्हें लोकसभा चुनाव लड़वाया जायेगा अथवा राज्य के महत्वपूर्ण बोर्डस, निगमों या अन्य राजनीतिक नियुक्तियों में अहम स्थान दिया जायेगा या नही इस बारे में भी मुख्यमंत्री शर्मा को ही शीर्ष नेतृत्व से निर्णय कराने की चुनौती है।

अगले महीने जनवरी में उत्तरी राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले की श्रीकरणपुर में होने वाले विधानसभा चुनाव में विजय पाना है। यहाँ कांग्रेस के प्रत्याशी और निवर्तमान विधायक के निधन के कारण चुनाव रद्द हो गया था।

मुख्यमंत्री शर्मा के सामने दूसरी बड़ी चुनौती श्रीकरणपुर के चुनाव के बाद अगले वर्ष होने वाले लोकसभा के आम चुनाव में प्रदेश की सभी 25 की 25 सीटों को भाजपा की झोली में डालने की है। राजस्थान में भाजपा ने 2014 और 2019 में 25 में से 25 लोकसभा सीटें जीती थी। वर्ष 2014 में वसुन्धरा राजे प्रदेश की मुख्यमंत्री थी जबकि 2019 में अशोक गहलोत राज्य के मुख्यमंत्री बने थे फिर भी भाजपा ने सभी सीटें जीती थी। 2019 में भाजपा ने एक सीट आरएलपी को चुनाव पूर्व समझौते में दे दी थी जिस पर आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल चुनाव जीत कर आयें थे लेकिन बाद में किसान आन्दोलन के दौरान उन्होंने भाजपा से अपना नाता तोड़ लिया। बेनीवाल इस बार विधान सभा चुनाव जीत विधायक बन गए है और उन्होंने लोकसभा से अपना इस्तीफ़ा भी दे दिया है। इसी प्रकार भाजपा की ओर से भी विधान सभा चुनाव लड़ने वाले सात सांसदों में से चुनाव जीतने वाले चार सांसदों दीया कुमारी,कर्नल राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़, बाबा बालक नाथ तथा राज्यसभा के डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने भी अपने इस्तीफ़े दे दिए हैं। मीणा के अलावा सभी सांसद लोकसभा के सदस्य थे। लोकसभा चुनाव होने में अब छह माह से भी कम समय रह जाने से फ़िलहाल सांसदों की रिक्त सीटों पर उप चुनाव नही होंगे लेकिन राज्यसभा की रिक्त सीट पर निकट भविष्य में चुनाव होंगा।विधानसभा में भाजपा के संख्या बल को देखते हुए शर्मा के लिए इसे जीताना मुश्किल भी नही होंगा।

देश में 18वीं लोकसभा के गठन के लिए अगले वर्ष अप्रेल और मई 2024 तक आम चुनाव होने की उम्मीद है। लोकसभा का वर्तमान कार्यकाल 16 जून 2024 को समाप्त होने वाला है।

भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के साथ ही राजस्थान में भी लम्बे समय से स्थापित नेताओं के स्थान पर नए नेतृत्व को उभारने का जो निर्णय लिया गया हैं उस कसौटी पर भजन लाल शर्मा आत्म विश्वास से लबालब भरे दिखाई दे रहे है। राजस्थान के 14वें मुख्यमंत्री की शपथ ग्रहण करने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पीठ थपथपाने से उनका आत्म विश्वास और भी अधिक बढ़ा दिखाई दे रहा है और उन्होंने अपनी पहली प्रेस वार्ता में अपने इरादे भी जाहिर कर दिए है ।उन्होंने कहा है कि महिला सुरक्षा और भ्रष्टाचार उन्मूलन हमारी सरकार की मुख्य प्राथमिकताएं होंगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में चलते हुए प्रदेश की डबल इंजन सरकार किसानों, गरीबों, महिलाओं एवं युवाओं को ध्यान में रखते हुए मजबूत फैसलें लेगी एवं राजस्थान को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाएगी। शर्मा ने कहा कि गत वर्षों में महिला सुरक्षा प्रदेश में एक बड़ा मुद्दा रहा है। प्रदेश की महिलाओं में सुरक्षा की भावना विकसित करने के लिए महिलाओं के विरूद्ध अपराधों के समूल उन्मूलन के लिए हमारी सरकार कृतसंकल्पित है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद होनी चाहिए ताकि प्रदेश की मातृशक्ति को किसी प्रकार की परेशानी ना हो। इसके साथ ही, असामाजिक एवं आपराधिक तत्वों को चिन्हित कर उन पर कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए, जिससे महिलाओं के विरूद्ध होने वाले सभी अपराधों की पूर्णतया रोकथाम हो सके।

मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि पिछली सरकार में प्रदेश की जनता भ्रष्टाचार से त्रस्त रही है। अब जनता को इस समस्या से मुक्ति मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टोलरेन्स की नीति पर चलते हुए कार्य करेगी। एक भी भ्रष्टाचारी कानून के शिकंजे से बच नहीं पाएगा। प्रदेश के सभी राजकीय कार्यालयों में शुचिता के साथ कार्य होना चाहिए। लम्बित प्रकरणों का त्वरित निस्तारण होना चाहिए तथा कार्यालयों में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की समस्या का संवेदनशीलता एवं सम्मान के साथ समाधान होना चाहिए।

शर्मा ने कहा कि प्रदेश में गत वर्षों में वृहद स्तर पर पेपरलीक की घटनाएं सामने आई है। इससे प्रदेश के युवाओं का मनोबल टूटा है। साथ ही, परीक्षा आयोजित करने वाली संस्थाओं के प्रति उनका विश्वास कमजोर हुआ है। उन्होंने कहा कि गत पांच वर्षों में हुए पेपरलीक के मामलों की जांच के लिए एसआईटी गठित करने का निर्णय लिया गया है। इससे पेपरलीक जैसे जघन्य अपराध कर प्रदेश की युवा शक्ति के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले अपराधियों को सख्त सजा मिलेगी। साथ ही, भविष्य में कोई पेपरलीक की घटना न हो यह सुनिश्चित किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि पिछले 5 सालों में प्रदेश में बड़ी संख्या में गैंग और गैंगस्टर पनपे हैं। आमजन इनके आंतक के साये में जीवन व्यतीत करने के लिए विवश था। इनकी गतिविधियों की वजह से प्रदेश में कानून व्यवस्था चरमरा चुकी है। इसे वापस पटरी पर लाने तथा प्रदेश में शांति एवं सुशासन की पुर्नस्थापना के लिए संगठित अपराध का उन्मूलन आवश्यक है। इस हेतु एडीजीपी स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में विशेष कार्यदल (एंटी गैंगस्टर टास्क फॉर्स) के गठन का निर्णय भी लिया गया है। इसका उद्देश्य सभी प्रकार के गैंगस्टर के विरूद्ध प्रभावी कार्रवाई करना होगा।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन पर चलते हुए भारत विकासशील से विकसित देश बनने की ओर तेजी से अग्रसर हो रहा है। इसी विजन को पूरा करने के लिए चलाई जा रही विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत प्रदेश में सभी लाभार्थियों तक जनकल्याणकारी योजनाओं की पहुंच सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि विकसित भारत संकल्प यात्रा के माध्यम से राज्य सरकार सभी पात्र व्यक्तियों को योजनाओं से जोड़कर उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाकर उनके सशक्तिकरण का कार्य करेगी। विकसित भारत संकल्प यात्रा के द्वारा अब तक सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित सभी प्रदेशवासियों को लाभान्वित किया जाएगा।

रविवार को रहेंगे नई दिल्ली की यात्रा पर

मुख्यमंत्री रविवार को राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली की यात्रा पर रहेंगे।विश्वस्त सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री शर्मा रविवार को विशेष विमान द्वारा जयपुर से नई दिल्ली रवाना होंगे।मुख्यमंत्री बनने के बाद उनका यह पहला दिल्ली दौरा होंगा। बताया जा रहा है कि वे रात्री विश्राम भी दिल्ली में ही करेंगे।

मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा नई दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेताओं एवं पदाधिकारियों के साथ ही भारत सरकार के मंत्री गणों आदि से मुलाक़ात कर सकते है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री शर्मा राजस्थान मंत्रीमंडल के विस्तार मन्त्रियों के विभागों के वितरण आदि के साथ ही कुछ महीनों बाद होने वाले लोकसभा आज चुनावों की तैयारियों और भाजपा के संगठन से जुड़े विषयों पर भी केन्द्रीय नेताओं से चर्चा करेंगे।

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार राजस्थान में मंत्रिपरिषद के गठन का कार्य अगले हफ़्ते तक पूरा हो सकता है। अभी मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और दो उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी एवं डॉ प्रेम चंद बैरवा सहित कुल तीन सदस्य ही है। मुख्यमंत्री चाहते है कि लोकसभा चुनाव से पहले उनकी सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के जन कल्याणकारी कार्यक्रमों योजनाओं और उपलब्धियों की जानकारी प्रभावी ढंग से जन जन तक

पहुँचाने के कार्य के जुट जाए । साथ ही विधान सभा चुनाव से पहले पार्टी द्वारा जारी किए गए घोषणा पत्र को भी लागू करने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़े ताकि आम नागरिक के दिलों दिमाग़ में उसकी अमिट छाप डाली जा सके।

अपने दिल्ली दौरे से एक दिन पहले मुख्यमंत्री शर्मा ने जयपुर राज भवन में राज्यपाल कलराज मिश्र से भी अपनी प्रथम औपचारिक भेंट की। राज्यपाल से मुख्यमंत्री की इस मुलाक़ात को भी काफ़ी अहम माना जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कई विशिष्ठजनों की उपस्थिति में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से ही शर्मा एक्टिव मोड में दिखाई दे रहें है। उन्होंने मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारियों में बदलाव किए है और अपने पहले बयान में सरकार की प्राथमिकताओं को

भी स्पष्ट रुप से रेखांकित कर दिया है। मुख्यमंत्री और दोनों उप मुख्यमंत्रियों के कार्यभार सम्भालते समय पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति भी एक शकुन भरा संकेत माना जा रहा है।

शुक्रवार की रात को अपने पिता के अचानक अस्वस्थ होने और जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में भर्ती होने के चिन्ताओं के मध्य भी मुख्यमंत्री शनिवार को दिन भर विभिन्न कार्यक्रमों में सक्रिय रहें। उन्होंने अपरांह में जयपुर के महारानी कोलेज में आयोजित विकसित भारत संकल्प यात्रा को हरी झण्डी दिखाई । इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी वर्चयुल ढंग से जुड़े थे।

इस मौके पर सी एम शर्मा ने कहा कि भाजपा सरकार घोषणा पत्र का हर वाडा पूरा करेंगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जैन कल्याणकारी योजनाओं को ज़मीन स्तर पर उतारा जायेगा।यदि कोई भी इससे वंचित रहता हैं तोंअफ़सरों की जवाबदेही तय की जायेगी। साथ ही योजनाओं की मोनिटरिंग के लिए राज्य स्तर पर एक कमेटी भी बनाई जायेंगी।मुख्यमंत्री का पद भार सम्भालते ही शर्मा ने त्वरित फैसले लेने की दिशा में अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति का प्रदर्शन किया है।

देखना है भौगोलिक दृष्टि से देश के सबसे प्रान्त के मुख्यमंत्री के रूप में भजन लाल शर्मा पाँच लाख करोड़ रु से भी अधिक के क़र्ज़े में डूबें प्रदेश की वित्तीय स्थिति को पटरी पर लाने के साथ ही गहलोत सरकार द्वारा चलाई गई मुफ़्त लाभ वाली सेकडों योजनाओं और गारंटियों की काट प्रधानमंत्री की योजनाओं से करते है अथवा उनका अन्य कोई विकल्प खोज कर जनता की सेवा करते है। साथ ही चुनाव में मुद्दा बनी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को अमलीजामा पहनाने के लिए वे क्या कदम उठाते है।

इसके अलावा प्रदेश की अनेक चुनौतियों के साथ ही आजादी के बाद से ही राजस्थानी भाषा को संविधानिक मान्यता दिलाने की माँग तथा नई शिक्षा नीति के अनुरूप स्कूलों में अपनी मातृभाषा में शिक्षा देने की दिशा में भी नए मुख्यमंत्री क्या कदम उठाते है? यह देखना दिलचस्प होंगा। हालाँकि अपने शपथ ग्रहण समारोह के बैनर पर “आपणो अग्रणी राजस्थान“ लिखवा कर सीएम शर्मा राजस्थानी भाषा के प्रति अपना प्रेम पहलें ही दर्शा चुके है।