गोपेंद्र नाथ भट्ट
भारतीय उप महाद्वीप में वैसे तों अनेक प्राचीन और ऐतिहासिक प्रसिद्ध देवी मन्दिर है लेकिन राजा महाराजाओंके प्रदेश के रुप में प्रसिद्ध रहें राजस्थान में मौजूद कई बेजोड़ और अनोखे तथा चमत्कारी देवी मन्दिरों की बातही निराली हैं।इन मंदिरों से जुड़ी दंत कहानियाँ रोमांचित करने वाली है।
आज़ादी से पहलें यें मन्दिर राजा महाराजाओं ठाकुरों और जागीरदारों के साथ ही आम लोगों की श्रद्धा औरआराधना के प्रमुख केन्द्र हुआ करते थे। आज़ादी के बाद यें ऐतिहासिक मन्दिर इन लोगों के साथ ही राजनेताओंके लोकप्रिय मन्दिर भी बन गए। सौलह वर्ष से अधिक वक्त तक लगातार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहने काइतिहास रचने वाले दिवंगत मोहन लाल सुखाडिया की आराध्य देवी चितौडगढ़ दुर्ग पर स्थित काली माँ केमन्दिर में पूजा अर्चना के बाद ही कोई नया काम शुरू करते थे। इसीप्रकार स्वर्गीय हरिदेव जोशी की बाँसवाड़ाके प्राचीन शक्ति पीठ त्रिपुरा सुन्दरी मन्दिर में गहरी आस्था थी और उन्होंने बियाबान जंगल के मध्य स्थित इसमंदिर को खंडहर बनने से बचाया और इसमें कई बार बड़े बड़े हवन नवचंडी पूजाएँ आदि करवायें। इसी प्रकारपूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी त्रिपुरा सुन्दरी माता के प्रति अपनी गहरी आस्था रखते हुए इस मन्दिर काजीर्णोद्धार करवा इसे और भी अधिक भव्य स्वरूप प्रदान किया और इसमें अतिथि गृह धर्म शालाएँ हवाई पट्टीआदि बनवाएँ। प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी हर वर्ष मुख्यमंत्री निवास में स्थित देवी मंदिर मेंसपरिवार पूजा अर्चना करते हैं और हाल ही राजस्थान में आए राजनैतिक संकट से पूर्व नवरात्री स्थापना परभारत पाकिस्तान सीमा पर स्थित तनौट माता के मन्दिर गए थे।
आइएँ हम आपको नवरात्रि पर राजस्थान के कतिपय प्रसिद्ध माता के मंदिरों के इतिहास से रुबरू करवा इन मंदिरों की खूबियां बताते हैं।
जैसलमेर का चमत्कारी तनोट माता मंदिर-जहाँ पाक का एक भी बम नहीं फँटा
पश्चिम राजस्थान में जैसलमेर से करीब 130 किमी दूर भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर स्थित तनोट माता मन्दिरअपने चमत्कार से देश विदेश में मशहूर है। माता के इस चमत्कारिक मंदिर का निर्माण लगभग 1200 सालपहले हुआ था। सन 1965 और 1971 की भारत-पाकिस्तान जंग में माता ने अपने रहस्यमयी चमत्कार दिखाएंहैं। माता के मंदिर पर पाकिस्तानियों ने सैकड़ों बम गिराए लेकिन उनमें से एक भी बम फटा नहीं। युद्ध विराम केबाद पाकिस्तानी सेना के अधिकारी भी इस चमत्कार को देखने आयें।
वैसे तों सदियों से तनोट माता की कृपा अपने भक्तों पर है लेकिन,1965 की लड़ाई के बाद माता की प्रसिद्धिविदेशों में भी छा गई और मन्दिर ने दुनियाभर में अपनी अलग पहचान बनाई ।पाकिस्तानी सेना द्वारा मंदिरपरिसर में गिरायें गए 450 बम चमत्कारी ढंग से फटे ही नहीं। ये बम आज भी मंदिर परिसर में बने एकसंग्रहालय में भक्तों के दर्शन के लिए रखे हुए हैं। 1965 की जंग के बाद इस मंदिर का जिम्मा सीमा सुरक्षा बल(बीएसएफ) के ज़िम्मे हैं। इसके बाद से आज तक भारतीय सेना के जवान ही मंदिर में पूजा अर्चना करते आ रहेंहैं।
उदयपुर का ईडाणा माता मंदिर-जहाँ माता स्वयं अग्नि स्नान करती हैं
मेवाड़ के सबसे प्रमुख शक्ति पीठों में से एक ईडाणा माता मंदिर में खुश होने पर माता स्वयं ही अग्नि स्नानकरती हैं। यह मंदिर उदयपुर शहर से 60 किमी दूर कुराबड-बम्बोरा मार्ग पर अरावली की विहंगम पहाड़ियों केमध्य स्थित है। ईडाणा माता राजपूत समुदाय, भील आदिवासी समुदाय सहित संपूर्ण मेवाड़ की आराध्य मां हैं।माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण महाभारत काल में हुआ था। कई रहस्यों को अपने अंदर समेटे हुए इसमंदिर में नवरात्र के दौरान भक्तों की अथाह भीड़ होती है। ईडाणा माता का अग्नि स्नान देखने के लिए हर सालभारी संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं। अग्नि स्नान की एक झलक पाने के लिए भक्त घंटों इंतजार करते हैं। ऐसामाना जाता है कि यह दृश्य देखने से देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पुराने समय में ईडाणा माता को यहाँ के महाराणा अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते हैं।
चूहों वाला बीकानेर का करणी माता मंदिर
बीकानेर के देशनोक में स्थित ऐतिहासिक करणी माता का मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। करणी माता के मंदिर को’चूहों वाली माता’ या ‘चूहों वाला मंदिर’ भी कहा जाता है। इस मंदिर में भक्तों से ज्यादा काले चूहे नजर आतेहैं। वैसे यहां चूहों को ‘काबा’ कहा जाता है और इन काबाओं को बाकायदा दूध, लड्डू और अन्य खाने-पीने कीचीजें परोसी जाती हैं। माना जाता है कि इस मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की हर मुराद पूरी होतीहै।
मंदिर में आने वाले भक्तों को चूहों का जूठा प्रसाद मिलता है। हैरान करने वाली बात यह है कि इतने चूहे होने केबाद भी मंदिर में न तों बदबू है और नहीं यहां इनसे आज तक कोई भी बीमारी फैली है । चूहों का जूठा प्रसादखाने से कोई भी भक्त बीमार नहीं हुआ।
जोधपुर का चामुंडा माता मंदिर
राजस्थान के दूसरे सबसे बड़े शहर जोधपुर के मेहरानगढ़ किले के अंत में स्थित, चामुंडा माता मंदिर नगर का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित मन्दिर है। चामुंडा देवी को जोधपुर की मुख्य देवी माना जाता है। उन्हें राजपरिवारकी ‘इष्ट देवी’ माना जाता है। ये हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। माना जाता है कि चामुंडा माता रावजोधा की पसंदीदा देवी थीं, इसलिए उनकी मूर्ति को 1460 में मेहरानगढ़ किले में पूरी धार्मिक प्रक्रिया के साथस्थापित किया गया था। यहाँ पिछलें कुछ वर्षों पूर्व नवरात्री पर भगदड़ में कुछ लोगों की मृत्यु से यह मंदिर देश विदेश में चर्चित हो गया था। दुर्घटना की खबर मिलते ही अशोक गहलोत एक चार्टर प्लेन से अपने गृहनगर के लोगों की मदद के लिए पहुँचें थे।
करौली का कैला देवी मंदिर
राजस्थान के करौली में स्थित कैला देवी का मंदिर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यहां विराजीतकैला देवी यदुवंशी हैं। इन्हें यहां के लोग भगवान श्री कृष्ण की बहन मानते हैं। इसको लेकर कई कथाएं भीप्रचलित हैं। कैला देवी मंदिर की एक बात बहुत ही खास है कि जो भी व्यक्ति यहां आता है वो कभी खाली हाथनहीं लौटता। कैला देवी भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करती हैं। इसलिए साल भर इस मंदिर में भक्तों कीभारी भीड़ लगी रहती है।
इनके अलावा डूंगरपुर का विजवा माता,वरदक्षणी माता ,उदयपुर का बेदला माता और चित्तौड़गढ़ जिले केभदेसर का अवारी माता मंदिर,, माता,नागौर का दधिमथी माता,पाली का शीतला माता और आशापूरामाता,जोधपुर का आई माता, माउण्ट आबू सिरोही का अर्बुदा माता और आशापूरा माता,अजमेर में पुष्कर ब्रह्मामन्दिर के निकट सावित्री मंदिर,झुँझुनू का रानी सती मन्दिर,अलवर का नारायणी माता मन्दिर,बांरा का ब्राह्मणीमन्दिर आदि भी लोक आस्था के केन्द्र है जहाँ नवरात्री पर भारी धूम रहती है ।