हो ही नहीं सकता रक्तदान से बड़ा दान

पिंकी सिंघल

कहते हैं कि दान इस प्रकार करना चाहिए कि एक हाथ से करें और दूसरे हाथ को पता ही ना चले, फिर चाहे वह दान किसी भी चीज का हो। क्योंकि दान करने का सबसे अधिक पुण्य तभी मिलता है जब वह गुप्त रूप से किया जाता है ना कि अपना कोई एहसान जताकर या उसका ढिंढोरा पीट कर। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस चीज का आप दान कर रहे हैं दान पाने वाले को उसका पूर्ण फायदा मिल सके,इसका भी हमें दान करते वक्त ख्याल रखना चाहिए।

सबसे बड़ा दान वह दान कहलाता है जिस दिन से हम किसी दूसरे की जान बचा सकें और उसे एक नया जीवन प्रदान करने में अपना सहयोग दे सकें। जी हां यहां हम बात कर रहे हैं रक्तदान की रक्त अर्थात खून दान करना दान से अभिप्राय जब हम अपने शरीर का रक्त किसी और की जान बचाने के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उसको देते हैं तो वह महादान बन जाता है क्योंकि रक्तदान से बड़ा कोई दान हो ही नहीं सकता।

सुरक्षित रक्त उत्पादों की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने और अधिक से अधिक लोगों को रक्तदान करने हेतु प्रोत्साहित करने हेतु विश्व रक्तदान दिवस हर वर्ष 14 जून को विश्व भर में मनाया जाता है। इसीलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 14 जून को रक्तदान दिवस के रूप में घोषित भी किया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य रक्त दाताओं का आभार प्रकट करना भी है क्योंकि उन्होंने अपने शरीर के रक्त द्वारा किसी दूसरे की जान बचाने का जो पुण्य कार्य किया है उसके प्रति उनका धन्यवाद ज्ञापन करना भी उनमें एक नई स्फूर्ति और उमंग पैदा करता है।

यहां यह बात ध्यान देने योग्य है कि रक्तदान तभी दान माना जाता है जब एक स्वस्थ व्यक्ति अपनी इच्छा से अपना रक्त किसी दूसरे की सहायता के लिए देता है। जबरदस्ती लिया गया रक्त, दान नहीं कहलाता, अपितु किसी व्यक्ति की मर्जी के खिलाफ़ उसके शरीर से रक्त की एक बूंद भी निकालना गैरकानूनी है और इसे जुर्म की संज्ञा भी दी जाती है। कुछ लोग समाजसेवी होने के नाते सामुदायिक आपूर्ति के लिए रक्तदान करते हैं तो वहीं कुछ अन्य लोग आमतौर पर अपने परिवार या मित्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अथवा उनकी जान बचाने के लिए जरूरत होने पर ही रक्तदान करते हैं। किंतु इस सबसे उनका मूल्य कम नहीं हो जाता रक्तदान तो रक्तदान ही है चाहे वह अपनों के लिए किया जाए अथवा गैरों के लिए। रक्तदान से बड़ा कोई दान हो ही नहीं सकता। समाज का एक वर्ग ऐसा भी है जो आर्थिक रूप से अक्षम होने के कारण और अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने शरीर का रक्त बेचता भी है जोकि अत्यंत दयनीय है।

रक्तदान करने से पहले रक्तदाता की छोटी सी शारीरिक जांच की जाती है क्योंकि अगर उसके रक्त में किसी प्रकार का कोई संक्रमण होता है तो वह संक्रमण उसके रक्त के माध्यम से उस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकता है जिसको उसने अपना रक्त दिया है।

प्रत्येक व्यक्ति को अपनी शारीरिक क्षमता और डॉक्टरी परामर्श के अनुसार रक्तदान अवश्य करना चाहिए ।पुरुष को अमूमन 3 महीने में एक बार और महिलाओं को 4 महीने में एक बार रक्तदान करने से कोई नुकसान नहीं होता,अपितु रक्तदान करने से हमारे शरीर को अनेक फायदे ही मिलते हैं। जैसे रक्तदान करने से हमारा खून पतला हो जाता है और रक्त संबंधी बीमारियां हमें नहीं होती,कैंसर से भी बचाव होता है और हमारे शरीर में से पुराना खून निकल जाने के बाद नया खून बनना आरंभ हो जाता है जिससे हमें एक नई स्फूर्ति और ताजगी का अनुभव होता है। परंतु फिर भी हमें बिना डॉक्टर की सलाह के रक्त दान नहीं करना चाहिए।

कुछ लोगों को भ्रम है कि रक्तदान करने से हमारे शरीर में कमजोरी आ जाती है जो कि निराधार है। कुछ एक स्थितियों को छोड़कर,रक्तदान करने से कोई कमजोरी नहीं आती ।डॉक्टर से परामर्श करने के बाद यदि हम रक्तदान करते हैं तो रक्तदान करने से हमें नुकसान की जगह फायदा ही होता है,कमजोरी की जगह हमारा शरीर एक नई ऊर्जा से भर जाता है।

वहीं दूसरी ओर यह भी सत्य है कि यदि आप सचमुच रक्तदान करना चाहते हैं तो आपको स्वयं को कुछ व्यसनों से दूर रखना होगा ,जैसे यदि सिगरेट और तंबाकू और इन जैसे अनेक अन्य मादक पदार्थों के सेवन से खुद को दूर रखकर हम रक्तदान करें तो ही हमारे रक्त का फायदा किसी दूसरे को मिल पाएगा।

यहां यह बात बार बार ध्यान देने योग्य है कि हमें रक्तदान करने से पहले हर बार डॉक्टर से परामर्श अवश्य करना चाहिए और अपने शरीर की छोटी सी जांच कराने के बाद ही हमें रक्तदान करना चाहिए।

अपने इस आलेख और आगे दी गई अपनी कविता के माध्यम से मैं आप सभी से यह गुजारिश करना चाहूंगी कि अपनी शारीरिक क्षमताओं के अनुसार हमें रक्तदान अवश्य करना चाहिए और एक स्वस्थ समाज के निर्माण में अपना थोड़ा सा योगदान अवश्य करना चाहिए क्योंकि रक्तदान ही वास्तव में मानवता का सबसे बड़ा सम्मान है।

रक्त दान है महादान
ना समझो इसको केवल इक ज्ञान
फूंके जब ये मुर्दे में प्राण
बढ़ जाए हम सबकी शान

रक्त दान है जीवन दान
करता वही ये जो है गुणों की खान
जग में हो फिर उसका गुणगान
करकर पा लो अमिट पहचान

रक्त दान से बड़ा ना कोई दान
होता मानवता का यह सम्मान
करते हम जब ये कार्य महान
होता तब तब नव रक्त निर्माण

रक्तदान है सबसे महान
है करना प्रतिवर्ष लो ये ठान
खुशियां लौटाता बचाकर जान
ना समझो कभी इस को एहसान

मिलता जब जिसको यह मधुर पान
ज्यों पर गया पानी तब सूखी धान
ना हो स्वार्थ सा कभी जब कोई अभिमान
तभी कहलाएं हम सच्चे इंसान