रविवार दिल्ली नेटवर्क
देहरादून : अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी उत्तराखण्डी सम्मेलन का देहरादून में शुभारंभ हुआ। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि तेजी से विकसित हो रहे उत्तराखण्ड में निवेश की व्यापक संभावना है। साहसिक पर्यटन, पावर जनरेशन, एरोमेटिक, विनिर्माण, कृषि, उद्यान, हर्बल, आयुष एंड वैलनेस इत्यादि में निवेश की आभार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि हमने राज्य को निवेश डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करने के लिए नीतिगत और ढांचागत दोनों स्तर पर बड़े सुधार किए हैं। काम शुरू करने में आसानी हो, इसके लिए नियमावली में उसी अनुरूप सुधार किए हैं। अपराधमुक्त और भयमुक्त समाज के लिए अनेक सख्त वैधानिक प्रावधान किए हैं।
सड़क, रेल, हवाई अड्डा, रोपवे, संचार नेटवर्क का बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है। जिससे राज्य एक सुरक्षित, सुगम और आकर्षक निवेश स्थल के रूप में भी तेजी से उभर रहा है। नीति आयोग और अन्य राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग संस्थाओं की रैंकिंग भी इसी ओर इशारा करती है।
मुख्यमंत्री ने आह्वान किया कि उत्तराखण्ड की पलायन जैसी विकट समस्या के समाधान के लिए अपनी मातृभूमि के किसी गांव-कस्बे को गोद लेते हुए उसको विकसित और संरक्षित करने का प्रण लें। उन्होंने कहा कि राज्य को आपकी योग्यता, अनुभव और तकनीकी ज्ञान की बहुत आवश्यकता है और राज्य की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को साकार करने के लिए यह महत्वपूर्ण भी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सम्मेलन सांस्कृतिक और सामाजिक जुड़ाव का एक विशिष्ट महोत्सव भी है। हमारे प्रवासी उत्तराखण्डी अपनी ईमानदारी, मेहनत और समर्पण के लिए देश-विदेश में सम्मान की दृष्टि से देखे जाते हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से देश-विदेश में भारत का नाम आप लोग रोशन कर रहे हैं, उसी तरह से अपनी मातृभूमि उत्तराखण्ड का नाम भी रोशन करें। उन्होंने कहा कि हमने प्रवासियों से बेहतर समन्वय और सहयोग प्रदान करने के लिए प्रवासी प्रकोष्ठ का भी गठन किया है। हम शीघ्र वेंचर फंड का भी प्रावधान करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2025 उत्तराखण्ड के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होने जा रहा है। इस वर्ष राज्य अपना रजतोत्सव मना रहा है। आगामी 28 जनवरी से राज्य राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी के लिए तैयार है। इसी माह समान नागरिक संहिता कानून लागू करने जा रहे हैं। हाल ही में हमने शीतकालीन पर्यटन की शुरुआत भी की है। जो राज्य की आर्थिकी के लिए गेमचेंजर साबित होगा।
उत्तराखण्ड के प्रवासियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि किस तरह से उन्होंने भी बचपन में यहां की पगडंडिया नापी हैं। तब के और आज के उत्तराखण्ड में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। तब हमने रोजगार की तलाश में विदेश का रुख किया था। उन्होंने कहा कि आज बदलते उत्तराखण्ड में युवाओं को काम करने के लिए बहुत संभावनाएं हैं। क्योंकि आज उत्तराखण्ड ने बहुत से क्षेत्रों में विकास के बड़े मानक तय किए हैं।
प्रवासी उत्तराखण्डी गिरीश पंत, श्रीमती अनीता शर्मा, देव रतूड़ी, विनोद जेठुडी, ए. के. काला और शैलेश उप्रेती ने अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी उत्तराखण्डी सम्मेलन की पहल के लिए मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी और उत्तराखण्ड सरकार की सराहना करते हुए कहा कि इससे उन्हें अपनी जड़ों से जुड़ने और अपनी माटी के लिए कुछ करने का अवसर मिला है। हम सभी अपने अनुभव, तकनीक और ज्ञान से राज्य सरकार के साथ मिलकर पलायन की इस समस्या का बेहतर समाधान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी प्रवासियों को राज्य के दुरस्थ क्षेत्र का कोई न कोई गांव जरूर गोद लेना चाहिए। अपना गांव तो गोद ले ही सकते हैं। गांव गोद नहीं ले सकते तो कम से कम किसी बच्चे को ही गोद लें।
बहुत से प्रवासियों ने अपनी मातृभाषा में संबोधन किया। जिससे मातृभूमि के प्रति उनका गहरा नाता दिखा। मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड के विकास में अपना योगदान देने वाले तथा राज्य के गांव को गोद लेने वाले उत्तराखण्ड के प्रवासियों श्री गिरीश पंत, श्रीमती अनीता शर्मा, श्री देव रतूड़ी, श्री विनोद जेठुडी, श्री ए. के. काला और श्री शैलेश उप्रेती को सम्मानित भी किया।
मुख्यमंत्री ने विभिन्न महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा ‘हाउस आफ हिमालयाज उत्तराखण्ड ब्रांड’ से विक्रय किए जाने वाले उत्पादों की प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।
प्रवासी उत्तराखण्डी सम्मेलन में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक टिहरी किशोर उपाध्याय, मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ, अपर मुख्य सचि आनंद बर्द्धन, पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, रंजीत कुमार सिन्हा, विनोद कुमार सुमन, दीपेंद्र चौधरी, आयुक्त गढ़वाल विनय शंकर पांडेय, डीजी सूचना बंशीधर तिवारी सहित संबंधित गणमान्य लोग भी उपस्थित थे।
सम्मेलन के प्रथम सत्र में विनिर्माण, ऊर्जा उत्पादन और स्टार्टअप में निवेश की संभावनाओं पर विचार विमर्श किया गया। सत्र की अध्यक्षता करते हुए अपर सचिव ऊर्जा रंजना राजगुरु ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने के साथ ही निवेश के लिए कई प्रयास कर रही है। इसी क्रम में जल्द जियो थर्मल और ग्रीन हाइड्रोजन पॉलिसी भी तैयार हो रही है। सत्र का संचालन आयुक्त उद्योग प्रतीक जैन ने किया।
द्वितीय सत्र में पर्यटन विशेषज्ञों और प्रवासी उत्तराखण्डियों ने कहा कि पर्यटन के क्षेत्र में उत्तराखण्ड असीमित संभावनाओं से भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड पर्यटन विकास के क्षेत्र में नित नई उपलब्धियों के साथ आगे आ रहा है। इस अवसर पर सचिव पर्यटन श्री सचिन कुर्वे भी मौजूद थे।
उत्तराखण्ड सरकार के पर्यटन विभाग के अपर सचिव अभिषेक रोहेला ने दूसरे सत्र मेें चर्चा करते हुए सरकार की तमाम पर्यटन योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की महामारी के बावजूद उत्तराखण्डी पर्यटन विकास के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि चार धाम यात्रा में रिकार्ड संख्या में श्रद्धालु उमड़ रहे हैं। सरकार ने इस बार से शीतकालीन यात्रा भी शुरू की है, जिसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। अपने संबोधन में उन्होंने साहसिक पर्यटन, पर्यटन सर्किट, होम स्टे, उत्तराखण्ड टूरिस्ट पॉलिसी का जिक्र किया और सरकार के स्तर पर किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी।
तीसरे सत्र में कौशल विकास और विदेश में रोजगार की संभावना पर विचार विमर्श किया गया। इस दौरान उच्च शिक्षा सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने सत्र की विषय वस्तु रखते हुए बताया कि उत्तराखण्ड सरकार युवाओं के कौशल विकास पर जोर दे रही है। आईटीआई में उद्योगों की जरूरत के अनुसार रोजगार परक कोर्स संचालित किए जा रहे हैं साथ ही राज्य में नई शिक्षा नीति भी लागू कर दी गई है।
चतुर्थ सत्र में कृषि व ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि उत्तराखण्ड आंदोलन के दौरान एक नारा खूब लगता था-कोदा, झिंगोरा खाएंगे, उत्तराखण्ड बनाएंगे। अब बदली हुई स्थिति में नारा बदल गया है। नया नारा है-कोदा झिंगोरा उगाएंगे, उत्तराखण्ड को आगे बढ़ाएंगे।
चतुर्थ सत्र में अपने संबोधन में जोशी ने कहा कि जहां तक जैविक खेती का सवाल है, आज करीब 40 फीसदी तक हमारी खेती जैविक है। इस साल हम 50 फीसदी के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं। पिछले चार वर्षों से हमें जैविक खेती में प्रथम पुरस्कार मिल रहा है। प्रधानमंत्री का आभार प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होेंने मिलेट्स को बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा कि मिलेट्स हेतु उत्तराखण्ड में बेहद उपयोगी स्थिति मौजूद है। उन्होंने कहा कि हम कृषि क्षेत्र में नई तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं। 2027 तक हम अपना उत्पादन दोगुना करने के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने बागवानी के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों, उपलब्धियों के बारे में भी विस्तार से बात की।
सचिव दीपेद्र कुमार चौधरी ने कहा कि राज्य में छह एरोमा वैली प्लांट डेवलप किए जा रहे हैं। एरोमा पार्क काशीपुर में 40 एकड़ भूमि पर इत्र से संबंधित प्रोसेसिंग यूनिट को एक जगह पर लाने का निर्णय महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि एरोमा वैली पॉलिसी प्रारूप तैयार है, जिसे दो-तीन महीने में अनुमोदन प्राप्त हो सकता है। उन्होेंने बताया कि कीवी के उत्पादन को मिशन मोड में लेकर कार्य किया जाएगा।
चतुर्थ सत्र में मेहमानों का स्वागत ग्राम्य विकास आयुक्त अनुराधा पाॅल ने किया। सत्र का संचालन आर्गेनिक बोर्ड के एमडी विनय का कुमार ने किया। इस मौके पर प्रवासी उत्तराखण्डियों और मेहमानों का सम्मान भी किया गया।