- हालाँकि सभी को है गहलोत पायलट सन्धि फ़ार्मूला का भी इन्तज़ार
- कभी भी हो सकता केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में बड़ा बदलाव
गोपेंद्र नाथ भट्ट
नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में महाराष्ट्र में रविवार को हुए राजनीतिकघटनाक्रम की चर्चाओं के साथ ही केन्द्रीय मंत्री परिषद के विस्तार और राजस्थान कांग्रेस में छत्तीसगढ़ कीतर्ज पर बदलाव को लेकर चर्चाओं और अफ़वाहों का बाज़ार भी गर्म है। बताया जा रहा है कि प्रधान मंत्रीनरेन्द्र मोदी अब कभी भी केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में फेरबदल और पुनर्गठन कर सकते है। मोदी ने सोमवार तीनजुलाई को केन्द्रीय मंत्री परिषद की बैठक बुलाई है।यह बैठक प्रगति मैदान के नव निर्मित कन्वेंशन हाल मेंहोंगी। इसके साथ ही केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में बड़ा बदलाव होने की संभावनाएँ भी बढ़ गई है। हालाँकि पिछलें दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और आरएसएसतथा पार्टी के शीर्ष लोगों के साथ भी एक बैठक की थी। पिछली बार भी उन्होंने जब मंत्री परिषद में भारीबदलाव किया था तथा कई दिग्गज मन्त्रियों को बाहर का रास्ता दिखाने के साथ ही नए मन्त्रियों को शपथदिलाई गई थी। इस बड़े बदलाव के पूर्व भी उन्होंने ऐसी ही एक बैठक की थी।बताया जा रहा है कि मोदीमंत्रिपरिषद में होने वाले इस अंतिम सम्भावित बदलाव में विधान सभा चुनाव होने वाले प्रदेशों के सांसदों कोवरियता दी जायेंगी।इसी प्रकार 2024 में होने वाले लोकसभा आम चुनाव को ध्यान में रख कर भी बदलावहोंगे। साथ ही यह सम्भावना भी बताई जा रही है कि इस बार भी मंत्रिपरिषद में औसत प्रदर्शन करने वालेमंत्रियों की छुट्टी कर नए मंत्रियों को शामिल किया जायेगा। हालाँकि अब लोकसभा चुनाव में बहुत कमसमय बाकी है और संसद का मानसून सत्र भी बीस जुलाई से शुरू होने वाला है,ऐसे में मंत्रिपरिषद का यदिअभी विस्तार और फेरबदल नही हुआ तों यह विस्तार हमेशा के लिए भी टल सकता है।
राजनीतिक हलकों में यह चर्चा भी है कि केन्द्रीय मंत्री परिषद के विस्तार में राजस्थान से कुछ सांसदों कोशामिल किया जाएगा और कुछ को बाहर कर संगठन में स्थान दिया जा सकता है।हालाँकि मोदी मंत्रिपरिषदमें राजस्थान को वर्तमान में पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिला हुआ है फिर भी आगामी चुनावों के मद्दे नज़र कुछबदलाव हो सकते है। पिछलें दिनों पीएम मोदी ने मंत्री परिषद में आंशिक बदलाव कर राजस्थान केबीकानेर सांसद अर्जुन राम मेघवाल को अपने संसदीय कार्य और संस्कृति राज्य मंत्री के अतिरिक्त विधि औरन्याय राज्य मंत्री का स्वतंत्र प्रभार सुपुर्द कर उन्हें क्रमोन्नत किया है। फिर भी राजस्थान से जातीयसमीकरणों को साधने के लिए पूर्वी राजस्थान के क़द्दावर नेता डॉ किरोड़ी लाल मीणा दक्षिणी राजस्थान केआदिवासी नेता कनकमल कटारा ओबीसी वर्ग से पी पी चौधरी राजपूत वर्ग से दीया कुमारी और आर्यसमाज से जुड़े सुमेधा नंद सरस्वती अनुसूचित जाति की रंजिता कौली और ब्राह्मण समाज से घनश्यामतिवारी आदि के नाम चर्चाओं में है।
चर्चा है कि मोदी मंत्रिपरिषद के विस्तार के साथ ही आगामी चुनावों को देखते हुए भाजपा के राष्ट्रीय संगठनमें भी नए पदाधिकारी बनाये जाने की संभावनाएँ हैं।
राजस्थान कांग्रेस में नही होंगा कोई बदलाव
इधर राजस्थान कांग्रेस में छत्तीसगढ़ के तर्ज पर कोई बदलाव होने की सम्भावनाएं बहुत क्षीण लग रही है ।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पेरों में आई चोट और डाक्टरों द्वारा उन्हें सात दिनों का आराम करने की सलाहके कारण आज तीन जुलाई सोमवार को नई दिल्ली के एआईसीसी मुख्यालय में प्रस्तावित बैठक अब नहीहोंगी।हालाँकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा दिल्ली पहुँचें है।वैसे भी अभी सभी महाराष्ट्र मेंहुए राजनीतिक उठा पढ़क पर नज़रें गढ़ायें हुए हैं।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में बहुत कम समय शेष होने के कारण राजस्थानकांग्रेस में छत्तीसगढ़ के तर्ज पर कोई बड़ा बदलाव होने की सम्भावना क्षीण दिखाई दे रही है। एआईसीसी सूत्रों का भी यहीं कहना है। हालाँकि सभी को अभी भी गहलोत-पायलट के मध्य उच्च स्तर पर हुए सन्धिफ़ार्मूला का इन्तज़ार है जिसका निर्णय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गाँधी केसाथ अशोक गहलोत तथा सचिन पायलट की पिछलें दिनों नई दिल्ली में हुई बैठक के किया गया था औरसार्वजनिक रूप से यह बताया गया था कि आने वाले विधान सभा चुनाव अशोक गहलोत तथा सचिनपायलट एक साथ मिल कर लड़ेंगे तथा प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रीपिट करायेंगे। इधर केन्द्रीय नेताओं सेमिल कर जयपुर लोटें सचिन पायलट नए आत्म विश्वास से लबरेज़ बताए जा रहे है और पंजाब प्रभारी हरीशचौधरी और अपने समर्थक नेताओं से मिलने में व्यस्त है लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है किराजस्थान कांग्रेस में कोई बड़ा बदलाव नही होने वाला है। हाँ ! पार्टी हाई कमान प्रदेश के सभी नेताओं कोएक मंच पर एक जुट कर नए आत्म विश्वास के साथ चुनाव मैदान में उतारना चाहता है । इसे देखते हुएमुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सहमति से कुछ आवश्यक बदलाव किए जा सकते है।
अब महाराष्ट्र के ताज़ा घटना क्रम के बाद देखना होंगा है कि आने वाले सप्ताह में देश और प्रदेश कीराजनीति में चल रहें क़यासों का पटाक्षेप किस ढंग से होंगा और राजनीति किस करवट पलटेंगीं?