देश में करदाताओं की भी हो जातिगत गणना – सीटीआई

There should be caste census of taxpayers in the country - CTI

दीपक कुमार त्यागी

  • सीटीआई ने कनोट प्लेस में चलाया अभियान
  • जितनी टैक्स देनदारी – उसको मिले उतनी हिस्सेदारी – सीटीआई
  • सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी लिखेंगे पत्र
  • करदाताओं के भी जाति आधारित आंकड़े किए जाएं सार्वजनिक
  • टैक्सपेयर्स को भी मिले सरकारी योजनाओं का लाभ

दिल्ली : पिछले दिनों राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के द्वारा जाति जनगणना का मुद्दा तेजी से उछला गया था। कांग्रेस समेत विपक्ष के दल जाति जनगणना के मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे हैं।
दिल्ली में व्यापारिक संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने इसको लेकर आज कनॉट प्लेस में अभियान चलाया जिसमें कश्मीरी गेट, चांदनी चौक, खारी बावली, सदर बाजार,करोल बाग, भागीरथ प्लेस,किनारी बाजार, चावड़ी बाजार, लाजपत नगर, कनोट प्लेस, सरोजिनी नगर, कमला नगर, राजौरी गार्डन, गांधी नगर, रोहिणी, द्वारका आदि के व्यापारियों ने हिस्सा लिया ।

CTI चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने कहा कि जातिगत सर्वे के साथ यह डेटा भी इकट्ठा किया जाए, किस जाति के लोग कितना टैक्स सरकार को देते हैं?

इसे लेकर सीटीआई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा है, सीटीआई की तरफ से सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी पत्र भेजा जाएगा। सीटीआई महासचिव गुरमीत अरोड़ा और वरिष्ठ उपाध्यक्ष दीपक गर्ग ने बताया कि इसके पीछे सीटीआई का मकसद है कि आखिर, लोगों को यह भी पता चलना चाहिए कि देश की अर्थव्यवस्था को चलाने में किस जाति के लोगों की अहम भूमिका है? कौन सबसे अधिक टैक्स देता है? क्या सरकार उनके हितों को ध्यान में रखकर कोई नीति बनाती है?

सीटीआई उपाध्यक्ष राहुल अदलखा और राजेश खन्ना ने बताया कि सरकार के पास इनकम टैक्स और जीएसटी संबंधी सभी तरह का डेटा है। करदाताओं की सूची भी जाति आधारित जारी हो, आज तक यह पता नहीं चल पाया कि कौनसी जाति सरकार को कितना राजस्व देती है? जो भी जाति सबसे अधिक राजस्व देती है, उसके लिए भी नीतियां, बीमा, पेंशन, मेडिकल सुविधाएं होनी चाहिए।

बृजेश गोयल ने कहा कि पूरे देश में 6 करोड़ व्यापारी हैं और दिल्ली में 20 लाख व्यापारी हैं, उनको भी सामाजिक समानता के अनुसार उनका हक मिलना चाहिए, व्यापारिक संगठन होने के नाते ऐसी मांग कर रहे हैं, ट्रेडर्स कम्युनिटी में इस पर जोरों की चर्चा चल रही है। हजारों व्यापारियों ने CTI की इस मांग पर सहमति जताई है।