प्रधानमंत्री से राजस्थान के मुख्यमंत्री की भेंट पर हुआ चर्चाओं का बाजार गर्म

There was heated discussion on the meeting of Rajasthan Chief Minister with the Prime Minister

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

मीडिया में सनसनी,कयास और ब्रेकिंग न्यूज का ऐसा सिलसिला चलता रहता है कि कई बार सामान्य घटनाएं भी विशेष हो जाती है और जन चर्चा का विषय बन जाती है। प्रायः केन्द्र अथवा राज्यों में जब नई सरकार का गठन होता है तो यह एक सामान्य शिष्टाचार होता है कि प्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री गण नए प्रधानमंत्री से शिष्टाचार भेंट करने और बधाई देने के लिए राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली आते है। बकायदा उसके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय को एक रिक्वेस्ट भेजी जाती है। प्रधान मंत्री कार्यालय से कभी तुरंत तो कभी प्रधानमंत्री की व्यस्ताओं के कारण विलम्ब से भी मुलाकात का समय आता है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने इसी संदर्भ में सोमवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की। बताते है कि यह मुलाकात दो घंटे चली और उसी के साथ ही मीडिया में कयासों का बाजार भी शुरू हो गया। बताते है पीएम से भेंट के दौरान मुख्यमंत्री ने राजस्थान के विकास सहित विभिन्न विषयों पर विस्तृत चर्चा की। देश के हिंदी बेल्ट उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में इस बार लोकसभा आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी आशानुरूप चुनाव परिणाम नही ला सकी है जिसके कारण भाजपा को लोकसभा में अपने बलबूते पर बहुमत नहीं मिल पाया है और उसे एनडीए के अपने सहयोगियों की मदद से केंद्र में नई सरकार का गठन करना पड़ा है। हालांकि मोदी-03 की इस गठबंधन सरकार में पहली बार प्रधानमंत्री सहित 72 मंत्रियों का जंबो मंत्रिपरिषद का गठन किया गया है। लोकसभा चुनाव के आने के बाद राजनीतिक हलकों में यह अफवाहें जोर से चली थी कि आम चुनाव से पहले जिस तरह हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को हटा कर प्रदेश में ईश्वर सिंह सैनी को नया मुख्यमंत्री बनाया गया और मनोहर लाल को सांसद का चुनाव लड़ा कर केंद्रीय मंत्री बनाया गया। उस समय कयास लगाए गए थे कि जिस तरह हरियाणा में बदलाव किए गए, इसी प्रकार उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी सत्ता एवं संगठन में जल्द ही बदलाव होंगे लेकिन इसी टिप्पणी में हमने लिखा था कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को संकेत दिए है कि फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा। अतः वे अफवाहों में ध्यान नहीं देकर अपने काम पर अधिक ध्यान केंद्रित करें। हालांकि यह भी तय था कि शीर्ष नेतृत्व द्वारा आगे पीछे इन प्रदेशों में भाजपा की हार जीत का विश्लेषण अवश्य किया जाएगा तथा आवश्यकता अनुसार सत्ता संगठन में परिवर्तन भी किए जा सकते है।

प्रधानमंत्री मोदी से भेंट के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने अपने सोशल हैंडल एक्स पर लिखा कि “आज राजधानी दिल्ली में विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता, 140 करोड़ भारतीयों के सुख, समृद्धि और कल्याण के लिए साधनारत, भारत के ‘अमृतकाल के सारथी’ आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी से स्नेहपूर्ण भेंट कर उनका स्नेहिल आशीर्वाद व आत्मीय मार्गदर्शन प्राप्त किया। माननीय प्रधानमंत्री जी के यशस्वी नेतृत्व में केंद्र की एनडीए सरकार ‘आत्मनिर्भर भारत-विकसित भारत’ के निर्माण और जन जन की सतत सेवा हेतु पूर्णतः संकल्पित है।”

मुख्यमंत्री शर्मा ने नई दिल्ली प्रवास में प्रधानमत्री मोदी के अलावा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण,केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जे पी नड्डा,केंद्रीय ऊर्जा और शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर, वन और पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव,पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पूरी आदि से भी मुलाकात की तथा राजस्थान के हितों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श किया। राजस्थान में 3 जुलाई से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में प्रदेश का पूर्ण बजट भी रखा जाना है क्योंकि लोकसभा चुनाव के कारण पूर्व में अंतरिम बजट ही रखा गया था।

अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ लंबी मुलाकात में मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने प्रदेश से जुड़े अन्य कई विषयों पर भी चर्चा की होगी तथा भोगौलिक दृष्टि से देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान की जरूरतों का जिक्र भी अवश्य किया होगा। विशेष कर रेगिस्तान प्रधान प्रदेश में पीने के पानी की समस्या,पाक से लगे सीमावर्ती इलाकों की समस्याओं तथा आधारभूत सुविधाओं का विकास, बाड़मेर रिफाइनरी के निर्माण की प्रगति आदि के साथ प्रदेश की लंबित परियोजनाओं जैसे पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना एवं प्रदेश के शेखावाटी अंचल में यमुना जल पहुंचाने आदि पर भी चर्चा हुई होगी। साथ ही यह भी लाजमी है कि इस बार लोकसभा आम चुनाव में भाजपा द्वारा राजस्थान की सभी 25 सीटें नही जीत पाने और सिर्फ 14 सीट जीतने तथा 11 सीटों पर हार होने के कारणों पर भी चर्चा हुई होगी। मुख्यमंत्री शर्मा ने पीएम मोदी को इस संबंध में भी ब्रीफ किया होगा ।

मुख्यमंत्री शर्मा,प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी मंत्रिपरिषद की लगातार तीसरी बार शपथ ग्रहण समारोह के साक्षी बनने के लिए 9 जून को नई दिल्ली आए थे तथा तब भी वे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह,गृहमंत्री अमित शाह , भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा सहित अन्य कई केंद्रीय मंत्रियों से मिले थे। बताते है मुख्यमंत्री शर्मा तब भी अपने साथ राजस्थान की लोकसभा की सभी सीटों का ब्यौरा लेकर आए थे और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी के साथ जोधपुर हाउस में लंबी चर्चा भी हुई थी लेकिन तब शीर्ष नेताओं की व्यस्तताओं के कारण उस पर उनकी किसी से चर्चा नही हो पाई थी।

वैसे राजस्थान के साथ यह एक विडंबना है कि हर पांच वर्ष बाद विधानसभा के चुनाव नवंबर – दिसंबर में होते है और राज्य की नई सरकार को काम करने का बमुश्किल चार महीनों का भी समय नहीं मिलता कि अप्रेल-मई में लोकसभा चुनाव आ जाने से आदर्श आचार संहिता लग जाती है। इतना ही नही लोकसभा चुनाव के बाद राज्य सरकार स्थानीय निकायों और पंचायती राज के चुनाव में जुट जाती है। इन सभी कारणों से शासन में रहने वाली राज्य सरकार को विकास कार्यों और अपनी योजनाओं तथा संकल्प पत्र की घोषणाओं को लागू करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता और विकास के कामों की गति भी मंद पड़ जाती है जिसका खामियाजा आगे भुगतना पड़ता है।

वैसे इस बार हर पांच साल में सरकार बदलने की परम्परा कायम रहते हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला और राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत की सरकार को उनकी कई लोक लुभावनी योजनाओं, कार्यक्रमों और गारंटियों के बावजूद सत्ता से हाथ गंवाना पड़ा। लेकिन भाजपा को भी झटके लगे और विधानसभा में तत्कालीन प्रतिपक्ष नेता राजेन्द्र राठौड़ और उप नेता डॉ. सतीश पुनियां चुनाव हार गए। इस बार विधानसभा चुनाव में प्रदेश के सात सांसदों को भी विधायक का चुनाव लड़ाया गया और सांसद सी पी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बना कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर सामूहिक एक जुटता से चुनाव लड़ा गया था।

लोकसभा चुनाव में कई सीटिंग सांसदों के टिकट काट कर नए चेहरे चुनाव मैदान में उतारे गए। चूरू के सांसद ने टिकट कटने पर बगावती तेवर अपना कर कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस ने प्रदेश की नागौर,बांसवाड़ा डूंगरपुर,सीकर सीटों पर इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों को उतार कर नए जातीय समीकरण बनाएं । साथ ही अशोक गहलोत एवं सचिन पायलट ने मिल कर रणनीति के साथ चुनाव अभियान का नेतृत्व किया। जबकि भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी सहित राज्य के सभी बड़े नेता लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला,केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, भूपेंद्र यादव, अर्जुन राम मेघवाल और कैलाश चौधरी आदि अपने-अपने संसदीय इलाकों में ही फंसे रहे और चुनाव प्रचार के लिए बाहर ही नही निकल पाए। इसके अलावा दो बार की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे को किनारे करना भी भाजपा को महंगा पड़ा। वसुन्धरा राजे पांचवी बार सांसद बने अपने पुत्र दुष्यंत सिंह के निर्वाचन क्षेत्र झालावाड़ से बाहर नही निकली।

इसके अलावा देश के किसानों, जाटों,राजपूतों, अल्प संख्यकों, ओबीसी जातियों आदि का भाजपा के विरुद्ध लामबंद होना तथा सबसे बड़ा कारण आरएसएस कार्यकर्ताओं के सक्रिय नही होने और कांग्रेस से आकर भाजपा का टिकट प्राप्त करने से भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं की नाराजगी आदि कई कारणों इस बार भाजपा को उत्तर भारत में विशेष कर जनसंख्या के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश , भोगौलिक दृष्टि से सबसे बड़े राजस्थान और जाट लैंड हरियाणा के अलावा महाराष्ट्र,पश्चिम बंगाल और दक्षिणी प्रदेशों में आशानुरूप लोकसभा सीटें नही मिली।

संयोग से सोमवार को राज्यपाल कलराज मिश्र भी नई दिल्ली में ही थे। उन्होंने भी केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह से भेंट की और राजस्थान के विकास सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा की। राज्यपाल कलराज मिश्र का पांच वर्ष का कार्यकाल भी इस वर्ष सितंबर ने ही पूरा होने जा रहा है। मिश्र पीएम मोदी के शपथ ग्रहण के समय भी दिल्ली में ही थे। जब जब राज्यपाल और मुख्यमंत्री दोनों एक साथ दिल्ली में होते है तो परम्परा के अनुसार मुख्यमंत्री राजस्थान हाऊस में शिफ्ट हो जाते है। प्रदेश में यह शिष्टाचार बदस्तूर कई वर्षों से चल रहा है।

इधर भाजपा ने महाराष्ट्र,हरियाणा,झारखंड और जम्मू एवं कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव प्रभारियों और सह प्रभारियों की नियुक्ति कर दी है। जिनमें महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए केन्द्रीय मंत्रियों राजस्थान के भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव को चुनाव प्रभारी और सह प्रभारी बनाया गया है। झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने केंद्रीय कृषि मंत्री मध्य प्रदेश के शिवराज सिंह चौहान और असम के सीएम हिमंत बिश्व सरमा को जिम्मेदारी दी है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी को प्रभारी बनाया गया है। इसके अलावा केंद्रीय धर्मेंद्र प्रधान को हरियाणा का चुनाव प्रभारी और सांसद बिप्लब कुमार देव को सह-प्रभारी बनाया गया है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राजस्थान में आने वाले समय में विधायक से सांसद बने पांच विधायकों की सीटें रिक्त होने के कारण होने वाले उप चुनावों, स्थानीय निकायों और पंचायती चुनावों की अग्नि परीक्षाओं से निकल कर मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा किस प्रकार से कसौटी पर खरे उतरेंगे?