सीता राम शर्मा ” चेतन “
वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में भारत को यदि अपने निर्धारित लक्ष्यों और सपनों को पूरा करना है तो उसके लिए देश की सरकार से लेकर आम आदमी तक को विवेकशील और दूरदर्शी होकर ना सिर्फ कुछ जरुरी काम करने होंगे बल्कि अपने कुछ स्वार्थों की तिलांजलि भी देनी होगी । बहुत संक्षिप्त में बात देश की सरकार से लेकर आम आदमी तक के उनके जरुरी कुछ कामों पर । सबसे पहले बात सरकार की, क्योंकि यह अकाट्य सत्य है कि मानवीय, पारिवारिक, सामाजिक और राष्ट्रीय व्यवस्था में जरुरी, बड़े और अधिकांश बदलावों की प्रक्रिया उपर से नीचे की तरफ आती है अर्थात यदि बदलाव अभिभावक, सत्ता और शासन के शीर्ष से प्रारंभ होगा तो उसकी सफलता की संभावना शत-प्रतिशत होगी । पिछले नौ साल में स्वच्छता और शासन व्यवस्था में आए कई बड़े बदलाव इसके प्रत्यक्ष प्रमाण हैं । इसलिए सबसे पहले बात सत्ता और शासन की वर्तमान नीति, नीयत और चुनौतियों की, तो आज जन-जन की जुबान पर आत्मनिर्भर भारत, सक्षम और शक्तिशाली भारत, विश्वगुरु भारत का जो दैनिक चिंतन, विमर्श, संकल्प और गौरवगान है, वह सरकार की नीति और नीयत से फलीभूत वर्तमान ही है इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिए, जिन्हें है वे ही इसकी राह में मुख्य बाधा थे, हैं और रहेंगे भी, इसमें भी संदेह की गुंजाइश नहीं है । रही बात इस मार्ग की वर्तमान और निकट भविष्य की मुख्य बाधाओं और चुनौतियों की तो फिलहाल वह राष्ट्रीय कम अंतरराष्ट्रीय ज्यादा हैं, इस सच को देश की सत्ता और शासन से जुड़े मुख्य लोग और विभाग जितनी जल्दी समझ जाएंगे, बेहतर होगा । खासकर अगले एक साल में अर्थात 2024 के लोकसभा चुनाव तक का समय तो बहुत ज्यादा सजगता और सक्रियता की मांग करता है । यह बात शायद भारतीय बुद्धिजीवियों और लोगों को अतिशयोक्तिपूर्ण लगे पर है कठोर सच, जिस पर मैंने पहले भी लिखा है कि वर्तमान भारतीय सत्ता के बढ़ते प्रभाव से आज जितना खौफ देश की अंदरूनी राजनीतिक और षड्यंत्रकारी ताकतों में है उससे कहीं ज्यादा खौफ अंतरराष्ट्रीय शत्रु शक्तियों में है । ये विदेशी ताकतें अगले लोकसभा चुनाव में वर्तमान सत्ता की वापसी को रोकने के लिए विपक्षी दलों के साथ तमाम देश विरोधी ताकतों से मिलकर हर संभव और मुश्किल से मुश्किल काम को भी सफलतापूर्वक अंजाम देने का प्रयास करते हुए कई तरह के षड्यंत्र रचेंगी । अतः वर्तमान सत्ता और शासन से लेकर हर आम भारतीय नागरिक तक को आगामी लोकसभा चुनाव तक बहुत सजग, सतर्क और सक्रिय बने रहने की जरूरत है । भारत विरोधी इन षड्यंत्रकारी ताकतों को रोकने और विफल करने के लिए नितांत आवश्यक है दूरदर्शिता के साथ कुछ काम । इन बेहद जरूरी कामों की सूची में पहला काम है देश भर में एक बेहद सक्षम, सक्रिय और सख्त खुफिया तंत्र का निर्माण और अलग-अलग स्थान तथा भिन्न-भिन्न परिस्थितियों के अनुरूप वहां काम करने की नीतियों, सुविधाओं और संसाधनों की उपलब्धता का विस्तार करना । गौरतलब है कि देश के अलग-अलग क्षेत्रों, राज्यों या मुख्य शहरों में वर्तमान सत्ता और देश विरोधी तत्वों के अलग-अलग दल, समूह, संगठन और गिरोह कार्यशील हैं, जो सत्ता सुख, स्वार्थ, आत्मरक्षा और अपने भ्रष्ट तथा आपराधिक जीवन के भविष्य की सुरक्षा के लिए देश के अंदरुनी शत्रुओं के साथ-साथ विदेशी शत्रुओं के साथ भी मिल सकते हैं । कहीं घातक देश विरोधी तत्वों के ये समूह नक्सलवादी, उग्रवादी संगठन के रूप में पाए जाते हैं तो कहीं आतंकवादी संगठनों के रूप में, कहीं ऐसे लोग सामाजिक और जातीय समूहों, संगठनों के रूप में सक्रिय हैं तो कहीं राजनीतिक दलों के सदस्यों के रूप में भी हो सकते हैं । अतः देशहित के लिए पहला और जरुरी काम तो हर हाल में सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ पूर्ण रूपेण सक्षम, सख्त और सक्रिय खुफिया तंत्र का त्वरित निर्माण और विस्तार ही है । मुझे लगता है देशहित में वर्तमान सरकारी खुफिया तंत्र के विस्तार के साथ आम जनता के लिए एक दीर्घकालीन ” गुप्त राष्ट्रीय सुरक्षा पुरस्कार ” योजना बनाकर इस दिशा में बेहद सफलतापूर्वक काम किया जा सकता है । करना चाहिए । वर्तमान भारत की अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों पर एक बात और, मुझे लगता है कि वर्तमान समय में भारत को अपने शत्रु राष्ट्रों से ज्यादा मित्र दिखते-दिखाते राष्ट्रों से सचेत और सतर्क रहने की जरूरत है । यहां एक ताजा उदाहरण रुस युक्रेन युद्ध का, युक्रेन के दोस्त और हितैषि बने अमेरिका ने रुस से अपनी शत्रुता साधने के लिए युक्रेन को रुस के साथ युद्ध में झोंक दिया है और अब वह एक और शत्रु चीन को साधने के लिए कभी भारत को उकसा रहा है तो कभी ताइवान को । यह अमेरिकन कूटनीति है । पिछले दिनों भारतीय प्रधानमंत्री ने दुनिया से कहा था कि वर्तमान समय युद्ध का नहीं कूटनीति का समय है, अमेरिका बहुत पहले से उसी कूटनीति का उपयोग बहुत निचले पायदान पर जाकर करता रहा है । भारत के जो परोक्ष शत्रु हैं उन्हें साधने की समझ और शक्ति को बढ़ाते हुए आज बहुत ज्यादा जरूरत इस बात की है कि हम मित्र के वेश में छिपे शत्रु की पूरी पहचान करते हुए मित्र वेश में ही ना सिर्फ उनकी शत्रुता की कूटनीति को असफल कर दें बल्कि ऐसे शत्रुओं को उनकी शत्रुता का समुचित दंड दिलाते हुए अंततोगत्वा उन्हें मित्र बने रहने को भी विवश कर दें ।
वर्तमान समय में भारत के लिए कुछ जरूरी कामों की सूचि में अशांत होते पंजाब और अशांत हो चुके बंगाल के साथ कश्मीर में पूर्ण शांति की बहाली का है । पंजाब को मान के साथ मिलकर एक और केपीएस गिल देने की जरूरत है तो बंगाल को शत-प्रतिशत राष्ट्रपति शासन की । रही बात कश्मीर की, तो वहां लोकसभा के साथ ही चुनाव कराए जांए । जिसके लिए अभी भी एक वर्ष का समय है और अच्छा होगा कि इस बचे हुए एक वर्ष का उपयोग आतंकवाद से पूर्ण मुक्ति का एक वर्षीय लक्ष्य और कार्यक्रम निर्धारित कर उसे सुनियोजित और चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाए । उपर वर्णित ” गुप्त राष्ट्रीय सुरक्षा पुरस्कार ” जैसी योजना के साथ ” कश्मीर पुनर्वास ” और नई स्मार्ट सिटि की ” कश्मीर विकास ” के साथ आम भारतीयों के लिए नई ” भारत आवास योजना ” पर वहां काम किया जाए तो बेहतर होगा । अंतिम शेष और विशेष यह कि ये सब करते हुए प्रारंभ किये गए भ्रष्टाचार मुक्त भारत अभियान को हर संभव विस्तार और गति देते हुए इसका कम से कम पचहत्तर प्रतिशत काम लोकसभा चुनाव से पहले पूरा कर लिया जाए । रही बात इस संभावित राष्ट्रीय समस्या और सुरक्षा पर आम भारतीय नागरिकों की जागरूकता और उनके कर्तव्य निर्वहन की, तो तेजी से बदलती भारतीय व्यवस्था ने आम भारतीय नागरिकों की चेतना को भी बहुत हद तक जागृत कर दिया है, बस जरूरत है तो उसे अपने प्रधान सेवक के आग्रह और आदेश की ।