डॉ रघुवीर चारण
किसी भी राष्ट्र की प्रगति में शिक्षा की भूमिका महत्वपूर्ण है शिक्षित समाज की कल्पना अनेक विद्वानों, शिक्षाविदों एवं समाज सुधारकों ने की है।उनमें से एक महान अमेरिकी राजनीतिज्ञ बैंजामिन फ़्रैंकलिन के अनुसार ‘ ज्ञान में किए गए निवेश से सर्वोत्तम लाभ प्राप्त होता हैं’ इसलिए प्रत्येक राष्ट्र शिक्षा में सर्वाधिक निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं क्योंकि शिक्षा का समाज के सर्वांगीण विकास में अहम योगदान है।
हमारे देश में शिक्षा का आरंभ वैदिक काल में गुरुकुल से हुआ था तब से लेकर आज तक शिक्षा व्यवस्था में कई सुधार हुए प्राचीन भारत में जिस शिक्षा व्यवस्था का निर्माण किया गया था वह समकालीन विश्व की शिक्षा व्यवस्था से उत्कृष्ट थी लेकिन कालान्तर में अंग्रेज़ी औपनिवेशिक काल में भारतीय शिक्षा व्यवस्था का ह्रास हुआ।अंग्रेजी शिक्षा नीति को प्राथमिकता दी गई और भारतीय भाषाओं का पतन हुआ आज़ादी के बाद राधाकृष्णन आयोग से राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 तक शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न आयोगों से कई सुझाव मिले।
प्रायः ऐसा होता है कि मध्यमवर्गीय परिवार या आर्थिक रूप से कमजोर लोग आर्थिक तंगी की वजह से अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते हैं और अपने सपनों को अधूरा छोड़ देते हैं उन्ही सपनों को साकार करने के लिए हाल ही में केंद्रीय मंत्रीमंडल ने पीएम विद्यालक्ष्मी योजना को मंज़ूरी दी इस पहल के तहत उच्च शिक्षा संस्थानों में दाखिला लेने वाले छात्रों को बिना गारंटर (कोलैटरल) के ऋण प्राप्त हो सकेगा।योजना के तहत हर साल लगभग 1 लाख छात्र अपनी पढ़ाई के लिए शिक्षा ऋण प्राप्त कर सकेंगे। जिन छात्रों के परिवार की सालाना आय 8 लाख रुपये तक है, उन्हें 10 लाख रुपये तक के ऋण पर तीन प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी मिलेगी।प्रत्येक वर्ष, उच्च शिक्षा विभाग इस योजना के तहत पात्र उच्च गुणवत्ता वाले संस्थानों की सूची तैयार करेगा। इस सूची में राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) की विभिन्न श्रेणियों में शीर्ष 100 संस्थान और राज्य या केंद्रशासित प्रदेश सरकारों के शीर्ष 200 संस्थान शामिल होंगे। इसके अलावा, इसमें उच्च शिक्षा के लिए 7.5 लाख रुपए तक के लोन पर भारत सरकार 75% क्रेडिट गारंटी देगी।
ये शैक्षिक ऋण योजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्य गुणवत्ता युक्त उच्च शिक्षा, कौशल विकास,व्यावसायिक पाठ्यक्रम को बढ़ावा तथा शिक्षा में सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने के उद्देश्य से लाई गई आमजन को भी उच्च शिक्षा में समान अवसर प्रदान करने की दिशा में ये सरकारी पहल सराहनीय है।वर्तमान में अंतरिक्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी,चिकित्सा और अन्य कई क्षेत्रों में भारतीय छात्रों का दबदबा क़ायम है उच्च शिक्षा की इस योजना से आने वाली युवा पीढ़ी को नई दिशा मिलेगी किसी भी प्रतिभाशील छात्र को अपनी रुचि के अनुरूप उच्चतर शिक्षा के लिए वितीय बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
वर्तमान में हम दुनिया की तीव्र गतिशील अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं प्रौद्योगिकी की सदी में ज्ञान की वैश्विक महाशक्ति बनने के लिए अपनी शिक्षा प्रणाली में नवाचार बेहद महत्वपूर्ण है भारतीय शिक्षा प्रणाली व्यापक रूप वाली है जो प्राथमिक से उच्चतर शिक्षा तक कई स्तरों में सम्मिलित हैं जहाँ हर बच्चे को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना उसका मौलिक अधिकार है इस व्यवस्था में सबसे महत्वपूर्ण स्तर उच्च शिक्षा वाला है क्योंकि यदि हम उच्च शिक्षा को कौशल आधारित और रोजगार उन्मुख नहीं बनायेंगे तो हमारी भविष्य की चिंताए बढ़ जाएगी इसलिए सभी को गुणवत्ता पूर्ण उच्च शिक्षा उपलब्ध कराना ज़रूरी है जिससे देश के आर्थिक विकास में उत्तरोत्तर प्रगति होगी।
नई शिक्षा नीति को लागू हुए लगभग चार वर्ष पूर्ण हो चुके हैं लेकिन संसाधनों की कमी,संवैधानिक रूप से शिक्षा का समवर्ती विषय होने से राज्य और केंद्र सरकारों में आपसी मतभेद व भाषायी विवाद के कारण आज भी अपने मूल उद्देश्यों से वंचित हैं क्योंकि शिक्षा व्यवस्था में एकरूपता से बदलाव आयेगा देश के कई विद्यालय और विश्वविद्यालय आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं उनमें से प्रमुख प्रशिक्षित शिक्षकों का अभाव और शिक्षकों पर शिक्षण कार्य के अतिरिक्त दूसरे विभागों के कार्यों का बोझ होना शामिल है।।