- क्या भाजपा राजस्थान में महाराष्ट्र फ़ार्मूला अपना कर इस बारसत्ता पर क़ाबिज़ होंगी?*
गोपेंद्र नाथ भट्ट
नई दिल्ली।राजस्थान में विधान सभा चुनाव ज्यों-ज्यों नज़दीकआ रहें है त्यों -त्यों प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियों के साथ- साथ अन्य कई प्रकरण भी निरन्तर भी सुर्खियाँ पा रहें है । साथही इस बार राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा लगायें जा रहेंपरस्पर आरोप-प्रत्यारोप भी अपनी सभी सीमाएँ तोड़ रहें है। कहाँजा रहा है कि अभी तों यह मात्र ट्रेलर है असली पिक्चर तों अभीबाकी है। पिछलें विधान सभा चुनावों की तरह इस बार भी कईनए राज,सुराग और सीडी आदि बाहर आने को बेताब है। इसमध्य केन्द्रीय ऐजेंसियां भी मैदान में कूद पड़ी है और उनकी जाँचपड़ताल के अंजाम क्या रहेंगे ? आने वाले दिनों में यह देखनादिलचस्प होंगा।
प्रदेश में सत्ताधारी दल कांग्रेस की बात करें तों पार्टी के नेता और आम कार्यकर्ता अभी भी इस असमंजस्य में है कि वह मुख्यमंत्रीअशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट में से किसगुट के साथ खड़े होकर चुनाव का काम करें। प्रदेश के कई जिलोंमें अभी भी संगठन का पुनर्गठन नही हुआ हैं।इस कारण आमकार्यकर्ता किंकर्तव्यविमूढ़ दिख रहा हैं।
पिछलें दिनों कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे औरपूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी की मध्यस्थता के कारण राष्ट्रीयराजधानी दिल्ली में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का एक साथ फोटो कई महीनों बाद इनशीर्ष नेताओं के साथ सुर्ख़ियों में आया था। साथ ही गहलोत एवंपायलट के मध्य सुलह की खबरें भी बाहर आई थी लेकिन सुलहका फ़ार्मूला आज तक बाहर नही आने से भी पार्टी के नेता औरकार्यकर्ता काफ़ी परेशान और हैरान हैं।राहुल गांधी अभी विदेश मेंहै और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी एवं कांग्रेस महामन्त्रीप्रियंका के भी यूके यात्रा पर जाने का कार्यक्रम प्रस्तावित है। इसेदेखते हुए दोनों नेताओं के मध्य सुलह फ़ार्मूला कब बाहर धरातलपर आयेगा ?कहा नही जा सकता। बहरहाल पार्टी प्रभारीसुखजिंदर सिंह रंधावा का कहना है कि इस बारे में गहलोत औरसचिन दोनों को मालूम है कि उन्हें आगे क्या करना हैं? हालाँकिपार्टी के लिए इसे सुखद ही कहा जा सकता है कि दोनों नेता इनदिनों एक दूसरे के खिलाफ़ नही बोल रहें और दोनों के मध्य पहलेजैसी तल्खी भी नही दिखाई दे रही ।हालाँकि सचिन पायलट केबयानों से लगता है कि वे अभी भी अपनी माँगों पर झुकने कोतैयार नही हैं।
सचिन पायलट को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई प्रकार कीखबरें और अफ़वाहें गर्म है। कोई कहता है वह 11 जून को अपनेपिता दिवंगत राजेश पायलट की पुण्य तिथि पर दौसा में नई पार्टीके गठन की घोषणा कर सकते है। सचिन पायलट के साथपिछलें दिनों सड़कों पर उतरें कांग्रेस कार्यकर्ताओं विशेष करयुवकों की अदावत गहलोत समर्थित नेताओं और कार्यकर्ताओं केसाथ निजी रंजिश की हद तक पहुँच गई है। सचिन पायलट द्वारानई पार्टी बनाने की अफ़वाह पर कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठनमहासचिव के सी वेणु गोपाल और प्रदेश प्रभारी रंधावा ने कहा हैकि सचिन पायलट कोई नई पार्टी नही बना रहे है और यह कोरीअफ़वाह है । दोनों नेताओं ने मीडिया के समक्ष खुलासा किया हैकि गहलोत और पायलट एक साथ मिल कर पार्टी के सामूहिकनेतृत्व में विधान सभा चुनाव लड़ेंगे तथा राजस्थान में कांग्रेस कीसरकार रीपिट होंगी।
उधर भाजपा का दावा है कि गहलोत और पायलट के मध्य हो रहीनूरा कुश्ती को प्रदेश की जनता पिछलें साढ़े चार वर्षों से देख रहीहैं। साथ ही पेपर लीक प्रकरण और कांग्रेस के नेताओं द्वारा हीअपनी सरकार के मन्त्रियों पर भ्रष्टाचार के कई संगीन आरोपलगाने के अलावा मीडिया की सुर्खियाँ बटोर रहें ताजा मामलेकांग्रेस और उनके सरगनाओं की पोल खोल रहें है।इसलिए इसबार प्रदेश के मतदाता विधान सभा और लोक सभा चुनावों मेंभाजपा की सरकार बनाएँगे तथा केन्द्र और राज्य में डबल इंजनकी सरकारें बनेगी ।भाजपा का यह भी कहना है कि रेवड़ियाँबाटने से सरकारें रीपिट नही होती। प्रदेश में महँगाई राहत शिविरके नाम पर जनता का पैसा जनता की जेब से ही निकाल उन्हेंवापस देने का गोरख धंधा चल रहा है लेकिन जनता है कि वह सबकुछ जानती है।
इधर कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी रंधावा इन दिनों फिर से प्रदेश केदौरें पर है और पार्टी के विधायकों से पुनः राय शुमारी भी कर रहेंहै। वे पहले भी ऐसा कर चुके है लेकिन उसके परिणाम धरातलपर नही दिख रहें। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरतसिंह के उम्रशुदा विधायकों से युवा कार्यकताओं के लिए आगे का निर्बाधमार्ग बनाने के लिए अगला चुनाव नही लड़ने और मुख्यमंत्रीगहलोत से भी चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री नही बनने कीघोषणा करने की अपील करने से प्रदेश में एक नया वातावरणबनाने के प्रयासों की मंशा भरी गूँज सुनाई दे रही है। स्वयं पार्टीप्रभारी रंधावा का भी ऐसा ही बयान कार्यकर्ताओं की समझ मेंनही आ रहा और सभी इसमें निहित गूढ़ अर्थों को ढूँढने में जुटें हुएहैं।
उधर राजनीतिक गलियारों में यह चर्चाएँ भी गर्मा रही है किकांग्रेस नेता सचिन पायलट, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी केसंस्थापक सांसद हनुमान बेनीवाल और भाजपा के क़द्दावर नेतासांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा मिल कर प्रदेश में गुर्जर -मीणाऔर जाट कोंबीनेशन बनाने का प्रयास कर रहें है।साथ ही दिल्लीके मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की आप पार्टी और ट्राइबलइलाक़ों में बीटीपी और समान विचार धारा वाली अन्य पार्टियोंको साथ में लेकर तीसरा मोर्चा के रूप में भाजपा और कांग्रेसदोनों को सत्ता की रेस से बाहर करने की रणनीति बना रहे हैं।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के घोर विरोधी और एक समयवसुन्धरा राजे के चाणक्य माने जाने वाले शिव सेना शिन्दे गुट केनेता चन्द्र राज सिंघवी से हाल ही सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणाकी भेंट कोई नया गुल खिला सकती है ऐसी चर्चा भी है । वहींदूसरी ओर यह अफ़वाह भी चल रही है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्ववसुन्धरा राजे और अशोक गहलोत के बारी-बारी से प्रदेश मेंमुख्यमंत्री बनने के क्रम को इस बार तोड़ कोई नया गेम प्लान बनारहा है। सूत्रों के अनुसार भाजपा महाराष्ट्र के राजनीतिक मोडलको राजस्थान में लागू करने पर काम कर रही है , जिसमें पहलें पूर्वमुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे को साध कर चुनाव जीतने की रणनीतिऔर बाद में कांग्रेस के एक बड़े धड़े को तोड़ सचिन पायलटअथवा अन्य नेता को आगे कर सत्ता हथियाने की रणनीति होंगी।भाजपा पूर्वी राजस्थान पर विशेष फ़ोकस कर रही है।
दूसरी ओर भाजपा सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने मुख्यमंत्रीअशोक गहलोत,उनके पुत्र वैभव गहलोत और उनकी पत्नी केख़िलाफ़ ईडी में शिकायत करने की घोषणा कर प्रदेश कीराजनीति को और अधिक गर्मा दिया है। केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंहशेखावत ने भी हाल ही दिल्ली में मीडिया के समक्ष उन परमुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस द्वारा लगाए जा रहेंआरोपों पर अपना जवाब और स्पष्टीकरण दिया है।
इन सब बातों से दूर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रात-दिन महँगाईराहत शिविरों के माध्यम से अपनी दस प्रमुख योजनाओं केगारण्टी कार्ड आम अवाम तक पहुँचाने के काम में राज्य केविभिन्न भागों के दौरे कर रहें है । उनका दावा है कि उनकेराज्यव्यापी दोरों में जनता का जो रेस्पॉन्स मिल रहा है वह नाभूतों ना भविष्यते जैसा है और इस बार प्रदेश में हर पाँच वर्ष मेंसरकार बदलने की परम्परा हर हाल में टूट कर रहेगी। बक़ौलगहलोत हमारी सरकार की योजनाएँ न केवल प्रदेश में वरन पूरेदेश में लोकप्रिय और गूँज रही है।राजनीतिक गलियारों में यहचर्चा आम है कि मुख्यमंत्री की योजनाओं और उन्हें लागू कराने केलिए उनके द्वारा की जा रही मशक़्क़त और सक्रियता सेराजस्थान में कांग्रेस के बहु संख्यक कार्यकर्ताओं का मनोबल नईऊँचाईयां छू रहा है और भाजपा पहली बार बचाव की मुद्रा मेंदिखाई दे रही है तथा गहलोत की लोकप्रिय योजनाओं की काटके उपाय तलाश रही है। हालाँकि प्रदेश में नए भाजपा अध्यक्ष केरूप में सांसद सी पी जोशी की ताजपौशी के बाद पूर्व मुख्यमंत्रीवसुन्धरा राजे की प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ी सक्रियताभाजपा के लिए सकूँन भरी कही जा रही है लेकिन जब तक उनकोप्रदेश में चुनाव की कमान नही सौंपी जाती तब तक आगामीचुनाव के लिए भाजपा का आक्रामक रूप दिखने में संशय ही बनाहुआ है।देखना होगा कि आने वाले दिनों में भाजपा का शीर्षनेतृत्व राजस्थान को लेकर किस प्रकार की रणनीति बनाता हैऔर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा उनके चाणक्य अमित शाह कीसेना मरु भूमि में कमल खिलाने के लिए कौन से नए कदम उठातेहै ? पार्टी का राजस्थान में विजय और पराजय का सारादारोमदार इसी पर निर्भर करेगा।हालाँकि राजनीतिक गलियारोंमें यह चर्चा ज़ोरों पर है कि क्या भाजपा इस बार राजस्थान मेंमहाराष्ट्र फ़ार्मूला को अपनायेंगी अथवा राजस्थान की सत्ता पानेके लिए अन्य कोई नया फ़ार्मूला लागू करेगी ?