मेरा विश्व रिकॉर्ड तोड़ने का यह सही समय है : सोतोमायर

This is the right time to break my world record: Sotomayor

  • मुझे उम्मीद थी बाशीन व बोंदेरेंको मेरा रिकॉर्ड तोड़ देंगे, पर नहीं तोड़ पाए
  • नीरज चोपड़ा खुद पर भरोसा रखेंगे इस दौर से उबर जाएंगे

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : उंची कूद के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता और विश्व रिकॉर्ड धारी क्यूबा के हेवियर सोतोमायर सातवें एकाम्रा स्पोटर्स लिटरेचर फेस्टिवल 2025 में शिरकत करने के लिए बुलाए जाने के लिए आयोजकों का आभार जताया। सोतोमायर के साथ पैनल चर्चा में भारत के उंची कूद के मौजूदा राष्ट्रीय रिकॉर्डधारी तेजस्विन शंकर(2.29 मीटर) भी मौजूद रहे। सोतोमायर का 27 जुलाई, 1993 को बनाया लंबी कूद में आठ फुट 0.46 इंच (2. 45 मीटर) की छलांग लगाने का बनाया गया विश्व रिकॉर्ड 32 बरस बाद आज भी बरकरार है। इस इस मौके पर सोतोमायर ने देशबंधु के सवाल के जवाब में कहा, ‘उंची कूद में आठ आठ फुट 0.46 इंच की छलांग लगाने का रिकॉर्ड मेरा नहीं आज भी विश्व रिकॉर्ड है। जब मैंने 1993 में यह विश्व रिकॉर्ड बनाया था तब मुझे लगता था कि कतर के लॉन्ग जंपर मुख्तार बाशीन और यूक्रेन के बोहदन बोंदेरेंको मेरा उंची कूद का विश्व रिकॉर्ड तोड़ देंगें लेकिन नहीं तोड़ पाए। बेशक रिकॉर्ड टूटने के लिए बनते हैं। मेरा विश्व रिकॉर्ड तोड़ने का यह सही समय है क्योंकि आज सभी ए़थलीटों के लिए बेहतर सुविधाएं और तकनीक है और आपके पास यदि अनुशासन है तो आप विश्व रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं बावजूद इसके मैं नहीं बता सकता कि कौन कब, मेरा यह रिकॉर्ड तोड़ेगा। सच तो यह है कि मुझे नहीं लगता कि फिलहाल कोई मेरा रिकार्ड तोड़ सकता है।‘

सोतोमायर ने कहा, ‘जहां तक भारत के हाई जंपर तेजस्विन शंकर की बात है तो मैं उन्हें सलाह दे सकता हूं लेकिन अपना अलग मुकाम बनाने के लिए उन्हें खुद ही मेहनत करनी होगी। कभी किसी ने मेरा उत्साह बढ़ाया और अब मेरी बारी है और मैं भी प्रेरित कर सकता हूं। जब भारत के जेवलिन थ्रोअर नीज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण और 2024 के पेरिस ओलंपिक में रजत पदक जीता था मुझे बहुत खुशी हुई थी। फिलहाल नीरज हाल ही में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पदक नहीं जीत पाए तो इस बाबत मैं बस यही कहूंगा कि कभी कभी तो मशीन भी फेल हो जाती है वह तो इंसान है। नीरज ने अपने प्रदर्शन से दिखाया कि वह दुनिया के महान जेवलिन थ्रोअर हैं और मेरी उनको बस यही सलाह है कि वह मेहनत के साथ खुद पर भरोसा रखेंगे तो इस दौर से उबर जाएंगे। जहां तक भारत के पैरा एथलीटों के बेहतर प्रदर्शन की बात है तो वे ऐसा खुद पर भरोसा कायम रखने के चलते ही कर पाए हैं।

दुनिया भर के धावकों की प्रेरणा हैं फलस्तीन के धावक दवीदर
फेस्टिवल में शिरकत करने वाले दूसरे नामचीन एथलीट फलीस्तीन के 800 मीटर के के धावक मोहम्मद याहिया सुलेमान दवीदर ने वैश्विक मंच पर फलीस्तीन की नुमाइंदगी की हकीकत की बाबत बताया। युद्ध की विभिषका झेल रहे मोहम्मद ने 2024 में पेरिस ओलंपिक और 2025 की टोक्यो विश्व एथलेटिक्स में शिरकत कर अपने देश की फलस्तीन की नुमाइंदगी कर कोई पदक न जीत पाने के बावजूद सभी का ध्यान खींचने वाले धावक दवीदर दुनिया भर के धावकों की प्रेरणा बन चुके हैं। दवीदर ने अपने संघर्ष की कहानी साझा करते हुए कहा, ‘मैं अपने स्वर्गीय पिता द्वारा की हौसला अफजाई से 800 मीटर की दौड़ में ओलंपिक जैसी बड़ी प्रतियोगिता में शिरकत कर पाया। मैं जब अपनी दौड़ के अभ्यास के लिए बाहर जाता तो मेरी मां कहती बेटा बस घर जरूर वापस लौट आना है। फलीस्तीन में अभ्यास की कोई सुविधा नहीं। मैं जर्मनी में शुभचिंतकों के सहयोग जरूर वहां कुछ अभ्यास कर पाता हूं। मेरे पास कोई प्रायोजक नहीं है। मैं कुल मिलाकर सब कुछ खुद से ही करता हूं। मुझे ठीक से अंग्रेजी नहीं आती है लेकिन अपनी बात कहने के लिए अंग्रेजी सीख रहा।

एकाम्रा स्पोटर्स लिटरेचर फेस्टिवल सीज़न 7 के दौरान फेस्टिवल डायरेक्टर और खेल लेखक संदीप मिश्रा ने कहा, ‘ इस फेस्टिवल के जरिए हमारी कोशिश एक ऐसा मंच देने की है जहां खिलाड़ी और लेखक अपने काम और जीवन की बाबत ईमानदारी से बात कर सकें। अगर हम खेल से जुड़ी बातचीत में कुछ और खुले ढंग से कर पाते हैं तो मेरा मानना हौ हम अपना काम सही कर रहे हैं।’ इस फेस्टिवल में खेल लेखक संदीप मिश्रा की किताब गन्ड डाउन: द मर्डर ऑफ एन ओलंपियन (रॉबिनहुड बनने की कोशिश में हॉकी ओलंपियन पृथीपाल सिंह की असमय मौत की कहानी), तीन बार फॉर्मूला वन के विश्व चैंपियन रहे एक ब्राजीली रेसिंग ड्राइवर एर्टन सेना डा सिल्वा ‘सेना: द ट्रुथ में’ किताब के लेखक फ्रेंको नगनेस ने आयर्टन सेना की अंतिम रेस की जांच पर चर्चा की। फुटबॉल पर संदीप मेनन की किताब सेक्रेड ग्राउंड्स और जयदीप बसु की किताब हू स्टोल माय फुटबॉल की किताब पर भी चर्चा हुई। साथ ही इस दौरान भारतीय एथलेटिक्स की नई पीढ़ी पर भी भी चर्चा हुई। इस चर्चा में बाधा धावक शौर्या अंबुरे, ट्रिपल जंपर पूर्वा सावंत और मध्यम व लंबी दुरी की धाविका बुशरा खान शामिल हुई। पैरा स्पोर्ट्स में, भारत की पहली महिला पैरालंपिक पदक विजेता और पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त दीपा मलिक अपनी आत्मकथा ब्रिंग इट ऑन पर चर्चा के लिए मौजूद रहीं। क्रिकेट लेखक एवं फिल्म मेकर जैरॉड किम्बर ने अपनी नई किताब द आर्ट ऑफ बैटिंग और मॉडर्न क्रिकेट को आकार देने वाले क्रिकेटरों पर विस्तार से चर्चा की।