दीपक कुमार त्यागी
- छत्तीसगढ़ सरकार के बजट 2023 त्वरित टिप्पणी
- भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल के इस अंतिम बजट को विशुद्ध चुनावी बजट कहा जा सकता है : डॉ राजाराम त्रिपाठी
छत्तीसगढ़ सरकार का बजट 2023 मुख्य रूप से गांव और किसानों पर केंद्रित रहा है। यह सरकार मुख्य रूप से किसानों के वोटों से ही सत्ता में वापस आई थी, इसलिए इस चुनाव में भी उन्हें साधने की कवायद इस बजट पर दिखती है। इसीलिए धान खरीदी के लिए 6800 करोड रुपए प्रावधानित किए गए हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, रसोइया, मितानिन आदि के मानदेय बढ़ाने की बहुप्रतीक्षित मांग को पूरा कर लगभग डेढ़ लाख ग्रामीण परिवारों को अपनी और करने की कोशिश की गई है। इसी तरह ग्रामीण सामाजिक व्यवस्था की विलुप्तप्राय अंतिम कड़ी ग्राम पटेल तथा ग्राम कोटवार जैसे पदों के मानदेय बढ़ाकर लगभग एक लाख परिवारों को प्रभावित किया है। छत्तीसगढ़ में फसल विविधीकरण की अपार संभावनाओं के मद्देनजर यहां औषधीय सुगंधीय तथा मसाला फसलों की खेती की संभावना की चर्चा तो बहुत होती है पर उसके लिए बजट में ना कोई योजना है ना कोई राशि। यह स्थापित तथ्य है की कृषि आधारित उद्योगों के विकास के बिना प्रदेश की खेती और किसानों का विशेष विकास संभव नहीं है। प्रदेश की खेती को दूरगामी सिंचाई योजनाओं अच्छी बीज सस्ते छोटे उन्नत कृषि यंत्रों की आवश्यकता है। किंतु इसके लिए कोई विशेष बजट अथवा योजना का ना होना निराश करता है। बजट में ढेर सारी योजनाओं का जिक्र है ,पर उनके लिए प्रावधानित राशि सर्वथा अपर्याप्त है। जैसे कि पूरे प्रदेश की शहरी उद्योग हेतु मात्र 50 करोड की राशि अथवा एरो सिटी हेतु 2 करोड़ की राशि तो विज्ञापनों सेमिनार जैसी उत्सव में ही खर्च हो जानी है। जाहिर है सरकार के पास फंड सीमित है, और राजस्व बढ़ाने हेतु कोई विशेष कारगर कार्य भी नहीं हुए हैं। किसानों को उनके सभी कृषि उपज हेतु “एमएसपी गारंटी कानून” लागू करके यह सरकार सभी किसानों का दिल जीत सकती थी।