चरितार्थ हो रहा यह नारा कि हेमंत है तो हिम्मत है !

This slogan is coming true that if there is Hemant then there is courage

सीता राम शर्मा ” चेतन “

झारखंड में बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सरकार बनाने के बाद राज्य का नेतृत्व कर रहे हेमंत सोरेन की कार्यशैली में एक परिपक्व राजनीतिज्ञ का जो बदलाव देखने को मिल रहा है, वह निःसंदेह प्रसंशनीय है । हेमंत में आए इस बदलाव को समझने के लिए उनकी पत्नी कल्पना सोरेन, जो बहुत कम समय में झारखंड की राजनीति में अपना विशिष्ट स्थान बना चुकी हैं के हेमंत सोरेन को लेकर उस हालिया बयान पर गौर करने की जरूरत है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जो जेल गए वो हेमंत सोरेन थे और वह जब जेल से बाहर आए तो गुरुजी हैं । लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके भाषणों को सुनें, समझें और सरकार के कामकाज के तरीकों पर गौर करें तो भी यह स्पष्ट हो जाएगा कि हेमंत अब पहले से कहीं अधिक परिपक्व और शासकीय गुणों से युक्त शासक बन चुके हैं । यह झारखंड के साथ उनके लिए भी बेहतर संकेत है ।

लगातार दूसरी बार सरकार बनाने के बाद सरकार के शुरुआती बयानों और कामकाजों पर गौर करें तो यह बहुत स्पष्टता से देखा समझा जा सकता है कि सरकार ने ना सिर्फ शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सुधार और विकास के प्रयास तेज किए हैं बल्कि राज्य को नक्सलवाद और नशों के उत्पादन तथा कारोबार से मुक्त कर सुशासन लाने के अपने प्रयासों में भी ज्यादा गंभीरता और जिम्मेवारी के साथ सरकारी सक्रियता बढ़ाई है । बेलगाम नौकरशाही पर नियंत्रण और भ्रष्टाचार मुक्त शासन रखने का काम किसी भी शासक का मुख्य दायित्व और कर्तव्य होता है । गौरतलब है कि ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरों तक विकास और व्यवस्था को सुचारु रुप से बनाए रखने में अंचल और पुलिस-प्रशासन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । इन दोनों को व्यवस्थित और जिम्मेवार बनाकर सुशासन लाना ज्यादा सरल होता है । इन दोनों के भ्रष्टाचार मुक्त और कर्तव्यनिष्ठ होने से व्यवस्था के अन्य कुछ क्षेत्रों में आपरुपी कई सुधार आ जाते हैं । अंचल कार्यालयों में व्याप्त अफसरशाही और भ्रष्टाचार पर हेमंत सोरेन के हालिया सख्त बयानों और कठोर कार्रवाईयों से जनता का शासन में भरोसा बढ़ा है । यह जनता के साथ सरकार के लिए भी बहुत बेहतर स्थिति है । सरकार को इस बात पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत है कि जनता में सरकार के प्रति बनता यह भरोसा कम या खत्म होने की बजाय निरंतर बढ़ता रहे और इसके लिए जरुरी है कि सरकार जनता के लिए सीधी शिकायत और जन शिकायतों के निपटान तथा दोषि अधिकारियों कर्मचारियों पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई को अपनी नियमित कार्यशैली बनाए । मुख्यमंत्री को इसके लिए एक माॅनिटरिंग टीम बनानी चाहिए और नियमित रूप से खुद उसकी रिपोर्ट लेनी चाहिए । यह सर्वविदित सत्य है कि व्यवस्थागत भ्रष्टाचार का कोढ़ इतना विकराल हो चुका है कि इसका त्वरित निदान संभव नहीं पर जो प्रयास होते दिखाई देते हैं वह आशा और विश्वास पैदा करने वाले हैं ।

बात केंद्र सरकार से या राज्य के विपक्ष से सामंजस्य की करें तो इस दिशा में भी हेमंत के प्रयास सराहनीय हैं । भाषाई शालीनता और कुशलता किसी भी बड़े राजनीतिज्ञ का प्रमुख गुण होता है । इसी गुण के साथ विपक्ष को मुद्दा विहीन बनाने और बनाए रखने का काम हेमंत को करना होगा । बेहतर होगा कि विधानसभा सत्रों के दौरान वे विपक्षी विधायकों से निरंतर आग्रह करें कि आप अपने क्षेत्र की जरूरतों और समस्याओं से हमें अवगत कराएं । केंद्र सरकार के द्वारा बड़ी बकाया राशी का भुगतान न करने के मामले में भी अब हेमंत को निरंतर सार्वजनिक तौर पर विनम्रता की ऐसी कुटनीति का सदुपयोग करना चाहिए कि बात सीधे जन हृदय को छुए और समझ आए । रही बात विपक्ष का एक मुख्य चुनावी मुद्दा अवैध घुसपैठ की तो बेहतर होगा कि अब हेमंत सरकार खुद इस मुद्दे पर केंद्र का सहयोग मांगे और इसके दोषियों पर कार्रवाई करे ।

गठबंधन सरकार चलाने की कुछ चुनौतियां और मजबुरियां होती है पर यदि मुख्य दल और नेतृत्व विश्वास से भरा हो तो जितनी चुनौतियां मजबूरियां मुख्य दल और नेतृत्व की होती है उससे बहुत ज्यादा सहयोगी दलों की हो जाती है । सहयोगी मंत्रियों, विधायकों और दलों के साथ वन टू वन आमने-सामने की मुलाकातें होती रहनी चाहिए । मुझे लगता है एक मंत्री, एक विधायक रोज की पंद्रह-पंद्रह मिनट की दिनचर्या और महिने में एक दिन एक अलग शहर या कस्बे की चौपाल पर एक-आधे घंटे की जनता से सीधी बात और मुलाकात का लाभ जितना जनता और सुशासन को मिलेगा उससे कहीं ज्यादा लाभ शासक को खुद और खुद की सत्ता को ज्यादा सक्षम बनाने में होगा । राजतंत्र में कई लोकप्रिय कुशल राजा रात्री काल में वेश बदलकर अपने राज-काज और व्यवस्था की सच्चाई जानने के लिए जनता के बीच जाते थे । अब वह काम शासक को दिन में करना चाहिए । इस परिप्रेक्ष्य में गोवा के दिवंगत लोकप्रिय नेता मनोहर पर्रिकर की जीवनी का अध्ययन अनुसरण किया जा सकता है । कल क्या होगा कहना मुश्किल है पर वर्तमान समय में हेमंत के वक्तव्यों और उनकी सरकार की सख्तियों से यह नारा जरुर चरितार्थ होता दिखाई देता है कि हेमंत है तो हिम्मत है !