रविवार दिल्ली नेटवर्क
- भारत पाकिस्तान सीमा पर बना यह मंदिर है आस्था का केंद्र,
- 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान अदृश्य शक्ति ने की थी सीमा की हिफाजत,
- इस युद्ध के दौरान 21 जवान हो गए थे शहीद,
- ग्रामीणों ने भी गाँव खाली नहीं करके सेना का दिया था साथ,
- हर मनोकामना होती है इस मंदिर में पूरी,
श्रीगंगानगर: देश की सरहद को सुरक्षित रखने में सेना के जवान तो अपनी भूमिका निभाते ही है लेकिन सुरक्षा के साथ साथ आस्था भी इसमें अपनी विशेष भूमिका निभाती है. भारत-पाक सीमा के निकट दो मंदिर ऐसे हैं, जिनकी आस्था और चमत्कार के चर्चे दूर-दूर तक फैले हैं. इनमें एक जैसलमेर जिले का तनोट माता मंदिर है वहीँ दूसरा मंदिर श्रीगंगानगर जिले के श्रीकरणपुर इलाके की नग्गी बॉर्डर पर है. ये रिपोर्ट देखिये
जिले के करणपुर इलाके का नग्गी गाँव भारत पाकिस्तान सीमा से महज डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर है. सरहद पर दुर्गा माँ का मंदिर भी बना हुआ है जो आस्था का विशेष का केंद्र है. इस मंदिर की स्थापना के बारे में बताते हुए पुजारी मोहन लाल ने बताया कि जब इस मंदिर का निर्माण हुआ तो वे सोलह वर्ष के थे. उन्होंने बताया कि 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान 18 दिसम्बर को युद्ध समापत हो गया था लेकिन पाकिस्तान ने धोखा करते हुए 21 दिसम्बर को एक बार फिर से आक्रमण कर दिया. जब पैरा बटालियन के 22 जवान दुश्मन पर आक्रमण के लिए बढ़ रहे थे तो पाकिस्तान द्वारा बिछाई गयी माइंस से 21 जवान शहीद हो गए लेकिन एक जवान को माता ने दर्शन दिए और आगे का रास्ता दिखाया. ठीक इसी जगह पर सेना द्वारा मंदिर का निर्माण किया गया और शहीद जवानो की याद में एक स्मारक भी बनाया गया.
भारत पाक सीमा इलाके और मंदिर विसुअल: शहीद स्मारक के वीओ दो: नग्गी गाँव के पूर्व सरपंच रणजीत सिंह साहू ने बताया कि इस युद्ध के दौरान ग्रामीणों ने सेना का साथ दिया और गाँव को खाली नहीं किया. उन्होंने बताया कि जब भारतीय सेना वापिस लौट गयी थी और पाकिस्तानी सेना ने धोखे से आक्रमण किया तो भारतीय सेना के सरहद पर पहुँचने तक ग्रामीणों ने मोर्चा संभाला और ट्रैक्टरों के साइलेंसर निकाल कर तेज आवाज में ट्रैक्टर चलाये और दुश्मन को लगा कि भारतीय टैंक और सेना पहुँच गयी है और दो दिन तक दुश्मन को रोके रखा.
उन्होंने कहा कि माँ दुर्गा पूरे नग्गी गाँव पर अपनी कृपा बनाये हुए हैं
रणजीत सिंह साहू, पूर्व सरपंच वीओ तीन: मंदिर में दर्शन करने आये लोगो का कहना है कि इस मंदिर में आकर उन्हें सकून मिलता है और यहाँ हर मनोकामना पूरी होती है. बता दे कि इस मंदिर का रखरखाव सेना करती है और पिछले साल जनप्रतिनिधियों और सेना के माध्यम से मंदिर का जीर्णोद्वार भी करवाया गया है.