गोपेन्द्र नाथ भट्ट
रेगिस्तान प्रधान राजस्थान पर इस बार इन्द्र देवता मेहरबान हो रहें हैं। इस कारण कभी बूंद-बूंद बारिश के लिए तरसता राजस्थान इन दिनों मूसलाधार वर्षा से सराबोर हो रहा हैं। इस मूसलाधार वर्षा से प्रदेश की राजधानी जयपुर की सड़कों सहित राज्य के कई अन्य शहर, कस्बें , गांव और ढाणी तक जलमग्न हुई हैं । इससे विशेष कर निचले इलाकों की बस्तियां अधिक प्रभावित हुई लेकिन समय रहते प्रशासन द्वारा की गई कार्यवाही से स्थिति नियन्त्रण में रही है ।हालांकि प्रदेश में अतिवृष्टि के फलस्वरूप कुछ लोगों की जानें भी गई हैं। इस मध्य प्रतिपक्ष के हमलों और व्यंग बाणों के बीच भजन लाल मंत्रिपरिषद से इस्तीफा देने वाले प्रदेश के आपदा राहत मंत्री डा किरोड़ी लाल मीणा ने पुनः अपना कार्य भार संभाला है जिससे फिलहाल प्रदेश के एक बड़े राजनीतिक संकट से मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की सरकार उबरी हैं। दूसरी ओर प्रदेश के बांधों के वर्षा जल से भरने के कारण भजनलाल सरकार को प्रदेश में गर्मियों के मौसम में होने वाले जल संकट से भी निजात मिलने की उम्मीद हैं।
प्रदेश के जल संसाधन विभाग ने राजस्थान में संभाग वार बारिश के आंकड़े जारी किए है जिसमें एक विशेष बात यह देखी गई है कि एक समय प्रदेश का चेरापूंजी माना जाने वाला दक्षिणी राजस्थान का उदयपुर विशेष कर बांसवाड़ा संभाग में सामान्य से भी 2.2 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है जबकि उदयपुर संभाग में भी अब तक सामान्य से मात्र 11.6 प्रतिशत अधिक बारिश ही हुई है।
राजस्थान सरकार के जल संसाधन विभाग द्वारा जारी 1 जून से 31 अगस्त तक के वर्षा संबंधित आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में सबसे ज्यादा जोधपुर संभाग में सामान्य से 109 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई है। इसी प्रकार बीकानेर संभाग में सामान्य से 83.1 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। इसके अलावा अजमेर संभाग में सामान्य से 73.4 प्रतिशत अधिक बारिश, भरतपुर संभाग में सामान्य से 73 प्रतिशत अधिक बारिश, जयपुर संभाग में सामान्य से 72.3 प्रतिशत अधिक बारिश, सीकर संभाग में सामान्य से 46.8 प्रतिशत अधिक बारिश, कोटा संभाग में सामान्य से 20 प्रतिशत अधिक बारिश और पाली संभाग में सामान्य से 12.4 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज हुई है। अधिकृत आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में अब तक सामान्य से 57 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है तथा प्रदेश के 25 जिलों में सामान्य से 60 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज हुई है और 16 जिलों में सामान्य से 20 से 59 प्रतिशत अधिक बारिश की गई है,जबकि 9 जिलों में सामान्य से 19 प्रतिशत तक अधिक बारिश हुई है।
हालांकि मानसून का मौसम होने से राज्य में अभी भी बारिश का दौर लगातार जारी है और कई जिलों में मध्यम से भारी वर्षा के एलर्ट भी जारी किए गए है। अब तक तुलनात्मक रूप से प्रदेश के अन्य संभागों कम वर्षा वाले उदयपुर और बांसवाड़ा संभाग के कई इलाको में पिछले कुछ दिनों में मूसलाधार बारिश होने की खबरें आ रही हैं। पड़ोसी प्रदेशों गुजरात और मध्यप्रदेश में भी अच्छी वर्षा हो रही हैं। मध्यप्रदेश से पानी की आवक होने से दक्षिणी राजस्थान का सबसे बड़ा बांध बांसवाड़ा का माही बजाज सागर डेम छलक उठा है और उसके सोलह में से आधे से अधिक गेट खोल दिए गए है। माही बांध की भराव क्षमता 281.50 मीटर है। सोमवार शाम नौ बजे तक बांध में 280.05 मीटर पानी आ चुका है।राजस्थान में भारी बारिश के बाद प्रदेश के बांधों में पानी की जोरदार आवक शुरू हो गई है। प्रदेश के छोटे-बडे़ 691 बांधों की कुल भराव क्षमता 12900 मिलियन क्यूबिक मीटर है और अब बांधों में कुल भराव क्षमता के 73 .14 प्रतिशत भर चुके हैं। प्रदेश के लगभग 270 बांध पूरी तरह भर चुके हैं। राजस्थान की जीवन रेखा माने जाने वाले बीसलपुर बांध में भी जल स्तर 311.600 मीटर पर पहुंच चुका है और बांध के कैचमेंट एरिया में पानी की आवक जारी है। यह बांध दो वर्षो के बाद छलकने को बेताब हैं।इसी प्रकार राजस्थान के अन्य बांधों की वर्तमान स्थिति के अनुसार कोटा संभाग के बांधों में कुल भराव क्षमता का 85.01 प्रतिशत पानी आया हैं। साथ ही बांसवाड़ा संभाग के बांधों में कुल भराव क्षमता का 84.90 प्रतिशत पानी आ गया हैं। इसके अलावा जयपुर संभाग के बांधों में कुल भराव क्षमता का 73.35 प्रतिशत पानी आया है जबकि उदयपुर संभाग के बांधों में कुल भराव क्षमता का 49.08 प्रतिशत पानी ही आया हैं।
मानसून के सक्रिय होने से प्रदेश के 17 जिलों को एलर्ट मोड़ पर रखा हुआ है। वर्तमान में अतिवृष्टि से उदयपुर और जोधपुर में हालात अधिक बिगड़े हैं। देखना है प्रायः सूखा और अकाल से ग्रसित रहने वाले राजस्थान में अब राज्य सरकार बाढ़ नियंत्रण के उपायों को जमीन पर उतारने में कितनी सफल रहती है?