
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
मौसम विभाग की भविष्यवाणी के बावजूद ग्लोबल वार्मिंग के कारण बदले मौसम चक्र के कारण इस बार राजस्थान में ‘नौतपा’ का असर नहीं दिखा।इस बार नौतपा गुजर गया लेकिन गर्मी नहीं पड़ी कुछ स्थानों में मानसून की बारिश भी जल्दी आ गई।
ज्योतिष अनुसार, जब सूर्य वृषभ राशि में 10° से 23°20’ तक विचरण करता है और चंद्रमा आर्द्रा से स्वाति नक्षत्र तक रहता है, तब नौतपा बनता है। इस दौरान पृथ्वी और सूर्य की दूरी सबसे कम होती है, जिससे सूर्य की किरणें तीव्रतम रूप से धरती पर पड़ती हैं। वर्ष का सबसे गर्म और ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष माने जाने वाले ‘नौतपा’ की शुरुआत पिछले दिनों होनी थी। सूर्यदेव के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश के साथ यह नौ दिवसीय तपन काल शुरू हुआ, जो 2 जून तक चलना था।संवत् 2082 में राजा और मंत्री दोनों सूर्य हैं, जिससे इस बार का नौतपा और भी तीव्र रहने की आशंका थी। इस अवधि में सूर्य की उपासना, जलदान और सेवा कार्य का विशेष महत्त्व है।नौतपा के दौरान शरीर का तापमान सामान्य से अधिक रहता है। ऐसे में लू से बचने के लिए ये सावधानियां जरूरी हैं। जयपुर में तापमान 46 डिग्री और जोधपुर,जैसलमेर-फलौदी में 46 से 48 डिग्री तक पहुंचने की भविष्य वाणी की गई थी।
पूर्वोत्तर के 17 राज्यों में मानसून की बारिश होने से राजस्थान में पारा लुढ़का । राजस्थान में मानसून के दस्तक प्रायः 20 जून के बाद ही होती है लेकिन इस बार कुछ जिलों में मानसून जल्दी आ गया। कुछ दिनों बाद राजस्थान के कई जिलों में बारिश होगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार मौसम में उतार-चढ़ाव: राहु और मंगल का असर है। राहु और मंगल के मीन राशि में गोचर के कारण आंधी, और हल्की बारिश जैसे मौसमी बदलाव देखने को मिल सकते हैं। संवत्सर का मेघेश सूर्य और रोहिणी वास समुद्र में होने के कारण अच्छी वर्षा के संकेत हैं। मेषार्क कुंडली के अनुसार इस वर्ष का मंडल वायु है, इसलिए आंधी तूफान के आसार हैं।
इस बीच गर्मी का असर भी देखने मिल सकता है। विशेष कर पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर, बीकानेर, बाड़मेर , जैसलमेर आदि इलाकों में लू का प्रकोप हो सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि लोगों को इस दौरान ठंडी तासीर वाले पेय जैसे छाछ, नींबू पानी, फल आदि का सेवन करें।।दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक धूप में निकलने से बचें।बाहर जाते समय सिर को ढकें, हल्के और सूती वस्त्र पहनें।पानी की बोतल हमेशा साथ रखनी चाहिए ताकि डी हाइड्रेटेड नहीं हो सके।मानसून की सामान्य बीमारियों से भी सावधानी जरूरी है।
देखना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण बदले मौसम चक्र के चलते इस वर्ष देश और प्रदेश में मानसून की मेहर कैसी रहेगी?