इस बार हम महिला हॉकी विश्व कप के शीर्ष चार में पहुंचने र्में कसर नहीं छोड़ेंगे: सविता

अब हमसे हर टूर्नामेंट में शीर्ष तीन में रहने की उम्मीद की जाती है

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : कप्तान गोलरक्षक सविता पूनिया की गिनती भारतीय महिला हॉकी टीम के किले की सबसे चौकस और मजबूत प्रहरी के रूप में होती है। बीते बरस भारतीय महिला हॉकी टीम के टोक्यो ओलंपिक में बहुत करीब से कांसा जीतने के चूक चौथे स्थान पर रह अपनी अलग छाप छोडऩे और इसके बाद हर टूर्नामेंट में बढिय़ा प्रदर्शन करने और उम्मीदों पर खरा उतरने की आस की बाबत की बाबत कप्तान सविता पूनिया ने ‘हॉकी पर चर्चाÓ के दौरान चर्चा की। जुलाई में नीदरलैंड और स्पेन की संयुक्त मेजबानी में होने वाले महिला हॉकी विश्व कप से पहले यूरोप में एफआईएच प्रो लीग मैचों में सविता पूनिया भारत की कप्तानी करेंगी। सविता ने कहा, ‘ यूरोप में प्री हॉकी लीग मैचों और महिला हॉकी विश्व कप से पहले बहुत ही रोमांच है। पिछली बार महिला हॉकी विश्व कप में टीम के क्वॉर्टर फाइनल में पहुंचने से हम रोमांचित थे लेकिन इस बार हम शीर्ष चार में पहुंचने में कोई कसर नहीं छोड़ेगे।’

2021 में कोरोना के चलते टोक्यो ओलंपिक के स्थगित कर पुनर्निधारित किए जाने की स्थिति से गुजरने के बाद अब एशियाई खेलों के अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किए जाने से भारतीय टीम के सामने फिर वही स्थिति है। बावजूद भारत की कप्तान सविता पूनिया खासी आशान्वित हैं और कहती हैं, ‘ अब एशियाई खेलों को स्थगित किए जाने को हम खुद को इसके लिए बेहतर ढंग से तैयार करने के मौके के रूप में लेंगे। ओलंपिक को एक बरस तक स्थगित किए जाने से हमें और खास तौर पर मुझे अपने खेल को बेहतर करने का मौका मिला। मैंने तब यॉन्की शॉपमैन के साथ अपनी गोलकीपिंग बेहतर करने पर मेहनत की। टोक्यो ओलंपिक में किसी ने हमारी टीम से क्वॉर्टर फाइनल से आगे पहुंचने की उम्मीद नहीं की थी। हमारे बहुत से समर्थकों ने बस यही सोचा था कि बहुत हुआ तो हमारी टीम क्वॉर्टर फाइनल में पहुंच जाएगी लेकिन किसी ने भी हमारे इसमें जीत की आस तो एकदम नहीं की थी। हमारी टीम में जीत और आखिर क्षण तक हार न मानने का जज्बा हमारे कोचिंग स्टाफ ने हममें भरा। हम जानते थे कि हमें टोक्यो में कहानी बदलनी है और हम बदल सकते हैं। हमारी टीम टोक्यो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहने के बाद हर किसी का ध्यान हम पर गया। इससे पहले तक ओलंपिक में हॉकी में उम्मीदें बस भारतीय पुरुष हॉकी टीम से ही हुआ करती थी। हमारी महिला टीम अब जिस भी टूर्नामेंट में खेलती है तो उससे शीर्ष तीन में रहने की उम्मीद करते हैं और यह हॉकी के लिए अच्छा है।’