हरिद्वार से स्वरूप पूरी
राज्य में पहुंचने वाले पर्यटक अब वन्यजीव सफारी को लेकर भी अधिक उत्सुक
नजर आने लगे है। बीते दो वर्षों के दौरान कोरोना के चलते पर्यटन सीजन
सुना सुना से नजर आ रहा था। मगर इस वर्ष कोरोना की पाबंदियां हटते ही
राज्य में धार्मिक, साहसिक व वन्यजीव भ्रमण को लेकर लाखों की संख्या में
पहुंचे लोगो ने उम्मीद की नई किरण पैदा की है। हाथियों की आवाज, बाघों की
गर्जना और पक्षियों की चहचहाहट का संगम गंगा नदी के धाराओं के साथ मिल कर
वन्यजीव प्रेमियों बीच अद्भुत आकर्षण पैदा करता है। चारधाम यात्रा के
साथ ही वन छेत्रों के दीदार के शौकीन पर्यटको की बड़ी संख्या ने वन महकमे
के लिए इस बार एक उम्मीद जगाई है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के साथ ही
राजाजी टाइगर रिजर्व में भी इस सत्र में हुई जंगल सफारी ने पिछले कई
रिकॉर्डो को तोड़ा है।
राजाजी का हर गेट रहा पर्यटकों से गुलजार
राजाजी टाइगर रिजर्व की बात करे तो इस वर्ष इस पार्क के हर गेट पर महकमे
ने अच्छा राजस्व इक्कठा किया । पार्क के पांच गेटो रानीपुर, चीलावाली,
आशारोड़ी, मोतीचूर व चीला को लेकर सैलानियों में अंत तक क्रेज बना रहा।
सबसे ज्यादा राजस्व पार्क की चीला रेन्ज में आया। इस रेज में 21 हजार से
ज्यादा पर्यटको ने जंगल भृमण कर 47 लाख से ज्यादा राजस्व महकमे को दिया।
वन्ही मोतीचूर में 7 हजार से ज्यादा सैलानियों से महकमे को 15 लाख से
ज्यादा की आय हुई। वन्ही रानिपुर , चीलावाली व आशारोड़ी गेट ने भी अच्छा
राजस्व अर्जित किया है।
बेहतर हो व्यवस्थाए, तो ओर बढ़ सकता है राजस्व
राजाजी में जंगल सफारी को लेकर पार्क महकमे को ठोस रणनीति बनानी होगी।
पार्क महकमे के अब तक खुद का ऑनलाइन बुकिंग पोर्टल तक नहीं बन पाया है।
वहीं चीला के बाद सबसे ज्यादा पर्यटक मोतीचूर रेंज पहुंचते है। मगर इस
रेंज में मुख्य हाइवे से होकर पहुंचना ही सैलानियों के लिए एक चुनोती बना
हुआ है। पार्क महकमे को जल्द ही यंहा एक नए गेट का निर्माण करना होगा।
जिससे यंहा पँहुचने वाले पर्यटकों को सफारी एन्ट्रेंस गेट खोजने के लिए
जूझना न पड़े। वन्ही जिन रेंजों में सफारी ट्रैक मौजूद है वंहा जंगल सफारी
से जुड़ी सभी व्यवस्थाओं को अभी से परख उन्हें दुरुस्त करना होगा। उम्मीद
है की इन व्यवस्थाओं के हो जाने से भविष्य में राजाजी भी कॉर्बेट के
समकक्ष खड़ा नजर आएगा। राजाजी नेशनल पार्क हरिद्वार के पास शिवालिक
पहाड़ियों के हरे भरे वातावरण के बीच स्थित है। यह नेशनल पार्क विभिन्न
वनस्पतियों और वन्यजीवों के समृद्ध है। इस नेशनल पार्क का नाम प्रसिद्ध
स्वतंत्रता सेनानी और स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर श्री सी.
राजगोपालाचारी के नाम पर रखा गया था, जिन्हें लोकप्रिय रूप से राजाजी के
नाम से जाना जाता है। यह 820 किलाे मीटर और उत्तराखंड के तीन जिलों
हरिद्वार, देहरादून और पौड़ी गढ़वाल में फैला हुआ है।