फिलिपींस की इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में पैरामेडिकल की टीएमयू की तीन सीनियर्स फैकल्टी ने दिया व्याख्यान

Three senior paramedical faculty members of TMU delivered lectures at an international conference in the Philippines

रविवार दिल्ली नेटवर्क

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद की तीन सीनियर फैकल्टीज़ ने यूनिवर्सिटी ऑफ फिलिपींस की इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का प्लेटफॉर्म साझा किया। इस इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस की थीम- फॉरेंसिक्स ऑफ द फॉरगॉटनः अनकवरिंग मेमोरी, कल्चर एंड आइडेंटिटी इन द ग्लोबल साउथ रही। इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में टीएमयू के कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज़ की मेडिकल लैब टेक्निक्स की एचओडी प्रो. रूचि कांत, फॉरेंसिक के एचओडी श्री रवि कुमार और सीनियर फैकल्टी श्री योगेश कुमार ने अपने-अपने टॉपिक्स पर व्याख्यान दिए। ऑनलाइन आयोजित इस कॉन्फ्रेंस में प्रो. रूचि कांत ने बायोकेमिकल पाथवेज़ ऑफ़ रेज़िलिएंसः अंडरस्टैंडिंग हेल्थ, जेंडर, एंड एजिंग इन पोस्ट-क्राइसिस कॉनटेक्स्ट्स, श्री रवि कुमार ने एमर्ज़िंग फ़्रंटियर्स इन फ़ॉरेंसिक साइंस एजुकेशन एंड इनोवेशनः बिल्डिंग कैपेसिटीज़ फ़ॉर द ग्लोबल साउथ और श्री योगेश कुमार ने टैफ़ोनॉमी एंड फ़ॉरेंसिक एंटोमोलॉजीः रिकन्स्ट्रक्टिंग डेथ एंड मेमोरी इन ट्रॉपिकल एनवायरनमेंट्स पर अपने-अपने विचार साझा किए।

प्रो. रूचि कांत ने कहा, लचीलापन (रेजिलिएंस) समन्वित न्यूरोएंडोक्राइन, इम्यून और मेटाबॉलिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न होता है। संकट के बाद का तनाव कोर्टिसोल नियमन, सूजन, न्यूरोप्लास्टिसिटी और आंत-मस्तिष्क सिग्नलिंग को बदल देता है। लिंग और उम्र इन मार्गों को हार्माेनल बदलावों जैसे एस्ट्रोजन, टेस्टोस्टेरोन, मेनोपॉज और एंड्रोपॉज के माध्यम से प्रभावित करते हैं। जैविक, सामाजिक और लिंग-विशिष्ट तंत्रों को मजबूत करने से रिकवरी तेज होती है और दीर्घकालिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। श्री रवि कुमार ने बताया, फॉरेंसिक में क्या-क्या गैप्स हैं और कैपेसिटी बिल्डिंग क्यों जरूरी है। उन्होंने एआई, नैनोटेक्नोलॉजी, वर्चुअल अटोप्सी, थ्रीडी इमेजिंग, इथिक्स एंड पॉलिसी चैलेंजेज़, रोल ऑफ यूनिवर्सिटीज़ एंड इंटरनेशनल कोलाबोरेशन, करिकुलम मॉर्डनाइजेशन एंड रिकमांडेशन की फॉरेंसिक साइंस में भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। श्री योगेश कुमार ने फोरेंसिक टैफोनोमी पर प्रकाश डालते हुए बताया,मृत्यु के बाद मानव शरीर के साथ क्या होता है। बाहरी वातावरण में शरीर के साथ जो कुछ भी होता है, वह पौधों, जानवरों, मिट्टी, पर्यावरण कई अन्य प्राकृतिक कारकों से हुए परिवर्तन का परिणाम होता है। शव पर पाए जाने वाले कीड़ों, जैसे ब्लो फ्लाई के लार्वा के जीवन चक्र का विश्लेषण करके, फोरेंसिक एंटोमोलॉजिस्ट यह अनुमान लगा सकते हैं कि व्यक्ति की मृत्यु कब हुई।