- 2023 के विश्व कप में भारतीय टीम वाकई बहुत आगे तक जा सकती है
- भारतीय टीम को सलाह, खुद पर दबाव न डाल, बड़े जिगरे से खेलो
- विश्व कप बहुतेरे खिलाडिय़ों के लिए हीरो और स्टार बनने का मौका
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : वीरेन रसकिन्हा 2002 में एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने तथा 2006 मॉनशेनग्लाडबाख(जर्मनी) में पुरुष हॉकी विश्व कप में खेलने वाली भारतीय टीम के मिडफील्डर रहे। अब एफआईएच ओडिशा पुरुष हॉकी विश्व कप भुवनेश्वर-राउरकेला 2023 को शुरू होने में सौ दिन से भी कम जीत बचे हैं। भारत ने पुरुष हॉकी विश्व कप में अंतिम बार 1975 में क्वालालंपुर में विश्व कप में सुनहरा तमगा जीतने के बाद से कभी पदक नहीं जीता है।
वीरेन रसकिन्हा ने कहा, ‘मेरा मानना भारत के लिए भारत में बड़े टूर्नामेंट में खेलने से बेहतर और कोई अहसास नहीं हो सकता है। 2023 में भुवनेश्वर-राउरकेला 2023 में होने वाला पुरुष हॉकी विश्व कप शानदार रहेगा क्योंकि ओडिशा के लोगों के दिलों में हॉकी बसती है। ओडिशा के लोगों में हॉकी को लेकर जुनून है। यहां के लोगों की हौसलाअफजाई किसी भी टीम का पलड़ा भारी कर सकती है। सबसे पहले मैं यही कहूंगा कि भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 41 बरस के लंबे अंतराल के बाद 2020 के टोक्यो ओलंपिक में कांसा जीत कर हम सभी देशवासियों को बहुत खुशी दी। मैं मौजूदा पुरुष भारतीय हॉकी टीम की प्रतिभा और क्षमता से रोमांचित हूं। मेरा मानना है कि 2023 के विश्व कप में भारतीय टीम वाकई बढिय़ा प्रदर्शन कर बहुत आगे तक जा सकती है। मेरी भारतीय पुरुष हॉकी टीम के खिलाडिय़ों खासतौर पर नौजवान खिलाडिय़ों को बस यही सलाह है कि खुद पर दबाव नहीं डालो और जिगरे से खेलो। कामयाब के लिए बड़े दिल से खेलना जरूरी है। मैच मे खेल शुरु होने की सीटी से खत्म होने की आखिरी सीटी तक एक टीम के रूप में खेलो।आपको विश्व कप में अपने देश की नुमाइंदगी करने के बहुत मौके नहीं मिलते हैं। विश्व कप बहुतेरे खिलाडिय़ों के लिए ऐसे स्टार और हीरो बनने का बहुत बड़ा मौका, जिसे हर कोई सदैव याद रखे।’
उन्होंने कहा, ‘मेरे तरह हॉकी के मुरीद रहे किसी भी बच्चे का सपना भारत के लिए ओलंपिक या विश्व कप में खेलना होता है। अपने देश की विश्व कप की टीम में आप अपना नाम पाना ही आपके लिए सब कुछ होता है। मै जानता हूं कि मेरा विश्व कप में भारत के लिए खेलना मेरे माता-पिता के लि बहुत मायने रखता है। खासतौर पर मेरे पिता के लिए। मेरे पिता हमेशा हॉकी के प्रशंसक रहे। जब मेरे माता पिता ने मुझे भारत के लिए विश्व कप में खेलते देखा तो वे बेहद भावुक हो गए थे। बतौर हॉकी खिलाड़ी आपने अपने इस सपने को पूरा करने के बहुत मेहनत की।’
वीरेन रसकिन्हा के जेहन में 2004 में भारत के लिए लाहौर में चैंपियंस ट्रॉफी और पाकिस्तान के खिलाफ खेली हॉकी सीरीज की यादें आज भी ताजा हैं। उन्होंने कहा, ‘ मेरा मानना है कि महाद्वीप की दोनों दिग्गज टीमों के बाद यह बेहद रोमांचक मुकाबला था। तब जब भी भारत और पाकिस्तान की टीमें आमने-सामने आमने होती तो बेहद तनाव और कड़ी प्रतिस्पद्र्धा होती थी। मुझे याद है भारत और पाकिस्तान की टीमें जिस होटल मेंï तब ठहरी थी उसमें सुरक्षा व्यवस्था बेहद चौकस थी। होटल से स्टेडियम जाना और लाहौर में नैशनल स्टेडियम में 60 हजार दर्शकों को देखना सब कुछ रोमांचित करने वाला था। यह ऐसा अनुभव है जिसे बयां नहीं किया । आपको यह भी याद रखना होगा कि तब पाकिस्तान की टीम बेहतरीन टीम थी।’