टीएमयू संस्कारों की पाठशाला: सृष्टि भूषण माताजी

रविवार दिल्ली नेटवर्क

रिद्धि-सिद्धि भवन में वात्सल्य कीर्ति आर्यिका रत्न 105 श्री सृष्टि भूषण माताजी और कंठ कोकिला आर्यिका रत्न 105 श्री विश्वयशमती माताजी के सानिध्य में श्रीजी का अभिषेक और शांतिधारा हुई, माताजी ने तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी का सुयश पूरे विश्व में फैलने की शुभकामनाएं भी दीं, माताजी ने भजन के जरिए 24 तीर्थंकरों के नामों का कराया स्मरण, सीसीएसआईटी स्टुडेंट्स ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की दी प्रस्तुति, आर्यिका रत्न 105 श्री सृष्टि भूषण माताजी और कंठ कोकिला आर्यिका रत्न 105 श्री विश्वयशमती माताजी के सानिध्य में टीएमयू कैंपस में कल- रविवार को भव्य रथयात्रा निकलेगी

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के रिद्धि-सिद्धि भवन में प्रातःकाल की मधुर बेला में वात्सल्य कीर्ति आर्यिका रत्न 105 श्री सृष्टि भूषण माताजी और कंठ कोकिला आर्यिका रत्न 105 श्री विश्वयशमती माताजी के सानिध्य में श्रीजी का अभिषेक और शांतिधारा हुई। आस्था में डूबे श्रावक-श्राविकाओं ने श्रीजी की सुरमय धुनों और भजनों पर आरती की। आर्यिका रत्न 105 श्री सृष्टि भूषण माताजी ने अपने आशीर्वचन में कहा, तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी संस्कारों की पाठशाला है। टीएमयू के छात्रों को पूजा और पूजा के अर्घ्य पढ़ने और क्रियाएं करने में दक्षता प्राप्त है। शिक्षा के साथ संस्कार मिल जाएं तो व्यक्ति मुक्ति की ओर बढ़ जाता है। जैन संत भारत में प्रज्ञा का दीप जलाने में जुटे हुए हैं। संतों का उद्देश्य भारत को संस्कारों की पाठशाला बनाकर विश्वगुरु बनाना है। माताजी ने कुलाधिपति श्री सुरेश जैन और फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन को भी आशीर्वाद देते हुए उनकी मुक्तकंठ से प्रशंसा की। साथ ही तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी का सुयश पूरे विश्व में फैलने की शुभकामनाएं भी दीं। कार्यक्रम में जीवीसी श्री मनीष जैन और श्रीमती ऋचा जैन के संग-संग मुरादाबाद जैन समाज के अध्यक्ष श्री अनिल जैन की भी उल्लेखनीय मौजूदगी रही। आर्यिका रत्न 105 श्री सृष्टि भूषण माताजी और कंठ कोकिला आर्यिका रत्न 105 श्री विश्वयशमती माताजी के सानिध्य में टीएमयू कैंपस में कल- रविवार को भव्य रथयात्रा निकलेगी। रथयात्रा महोत्सव की सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं।

आर्यिका रत्न 105 श्री सृष्टि भूषण माताजी बोलीं, वे पुण्यवान माता-पिता होते हैं, जो कार के साथ साथ संस्कार देते हैं। जिनवाणी सदा उनके गीत गाती है, जिनके जीवन में संस्कार और साधना उतर जाते हैं। उन्होंने तुमको पूजे सुरपति अहिपति नरपति देव…, आज धन्य मानुष भयो पायो जिनवर थान… पढ़ते हुए बताया कि जहां महावीर की पूजा की जाती है, संस्कार पाले जाते हैं, वो पुण्यवान बनकर भगवान बनने की राह प्रशस्त करते हैं। माताजी ने मेरी भावना नामक रचना के पद्यों का उल्लेख किया। शिकारी और तोते की कहानी के जरिए बताया कि कर्म-धर्म करो उसमें जीओ, दिखावा न करो। नियमों के प्रदर्शन पर नहीं अनुपालन पर ध्यान दो ताकि अनंत चतुष्टय को पा सकंे। गरीब गुरु और शिष्य की कहानी के जरिए बताया कि परमात्मा जो हमारे साथ करता है वह हमारी भलाई के लिए ही होता है। हमें उस पर भरोसा रखते हुए अच्छे कर्म करने चाहिए।

दूसरी ओर आचार्य गुरुवर श्री 108 सुमति सागर जी महाराज की परम प्रभाविका शिष्या वात्सल्य मूर्ति आर्यिका रत्न सृष्टि भूषण माताजी एवं कोकिला कंठ आर्यिका रत्न विश्वयशमति माताजी ससंघ का मंगल आगमन की संध्या पर रिद्धि-सिद्धि भवन में गुरु भक्ति हुई। गुरु भक्ति में आर्यिकाओं ने चलो रे चलो गुरु की नगरिया…., तारीफ तेरे दिल से है निकली…, चलो पारस प्रभु के दरबार…., रंग में रंग रखियो रे…., जापो रे जापो रे प्रभु नाम जापो रे… आदि भजनों से रिद्धि-सिद्धि भवन को भक्तिमय बना दिया। माताजी ने भजन के जरिए 24 तीर्थंकरों के नामों का स्मरण कराया। इसके पश्चात सीसीएसआईटी स्टुडेंट्स ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की शुरुआत मंगलाचरण के संग की गई। संचालन आदि जैन और माही जैन ने किया। इसके बाद भगवान के पंचकल्याणक की सुंदर प्रस्तुति की गई। स्टुडेंट्स ने जन्म कल्याणक की शुभ घड़ी आई…, जैन धर्म की सबसे अनमोल घड़ी…, रेशम की है पगड़ी…., सखी मंगल गाओ री…., पूरी नगरी आज सजाओ बेला अलबेली है… आदि सुरमय भक्ति गीतों पर नृत्य की प्रस्तुति दी। श्री पारसनाथ चालीसा पर नृत्य की प्रस्तुति दी गई। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के पश्चात् रिद्धि-सिद्धि भवन में भगवान की आरती भी की गई। इस मौके पर ब्रहमचारिणी कल्पना दीदी, श्री विपिन जैन, डॉ. विनोद जैन, प्रो. आरके जैन, डॉ. अर्चना जैन, श्री आदित्य जैन, डॉ. विनीता जैन, श्री सार्थक जैन आदि मौजूद रहे।