आर्यिकाओं के अभिनंदन को टीएमयू ने बिछाए पलक-पांवड़े

रविवार दिल्ली नेटवर्क

वात्सल्य मूर्ति आर्यिका रत्न 105 श्री सृष्टिभूषण और कोकिलाकंठ आर्यिका 105 श्री विश्वयशमती माताजी की तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी परिसर में अगवानी ढोल-नगाड़ों और दिव्य घोष के साथ हुई। आर्यिकाओं के आगे-आगे जिन शासन की प्रतीक जैन ध्वजा लिए हुए कुर्ते-पाजामे में श्रावक, जबकि केसरिया रंग की साड़ी पहने और कलश लिए हुए श्राविकाओं के संग-संग दिव्य घोष की आस्थामय धुनों के बीच भक्तिनृत्य करते हुए माताजी के साथ चल रहे थे। इससे पूर्व कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन, श्रीमती ऋचा जैन, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन ने यूनिवर्सिटी के मुख्य द्वार पर भक्तिभाव के साथ आर्यिकाओं की अगवानी की। जिनालय पहुंचकर माताजी के पादप्रक्षालन का सौभाग्य कुलाधिपति परिवार से फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन और श्रीमती ऋचा जैन ने प्राप्त किया। भगवान महावीर के दर्शनोपरांत दिव्य घोष के बीच आर्यिकाएं प्रवचन हेतु रिद्धि-सिद्धि भवन पहुंचीं। रिद्धि-सिद्धि भवन से आर्यिकाओं ने संत भवन की ओर प्रस्थान किया।

रिद्धि-सिद्धि भवन में कुलाधिपति परिवार के संग-संग मुरादाबाद जैन समाज समिति के अध्यक्ष श्री अनिल जैन, जैन समाज के प्रतिनिधियों ने दीप प्रज्ज्वलन करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया। 105 श्री सृष्टिभूषण और 105 श्री विश्वयशमती माताजी के संग ब्रहमचारिणी कल्पना दीदी ने मंगलाचरण किया। साथ ही सीसीएसआइटी के स्टुडेंट्स ने णमोकार मंत्र है सबसे प्यारा… जैसे भजनों पर मंगलाचरण नृत्य प्रस्तुत किया। टिमिट कॉलेज के छात्र- रितिक जैन ने बजे कुंडलपुर में बधाई…, ओ महावीरा प्यारा… पर आकर्षक नृत्य की प्रस्तुति दी। संचालन ब्रह्मचारिणी दीदी कल्पना जैन ने किया।

गुरू माताजी ने कुलाधिपति परिवार को दिया खूब आशीर्वाद
105 श्री सृष्टिभूषण माताजी ने अपने अमृतवचन में बताया, जो सर्वस्व त्याग देगा, वही महावीर बन जाएगा। प्रभु तुम सवांरोगे, हमारा जीवन संवर जाएगा। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में जीवन-निर्माण के सूत्र दिए जाते हैं। बाती, तीली और दीपक की कहानी के जरिए बताया कि तीली अपने अस्तित्व को खत्म कर नई जोत जलाती है। उन्होंने कहा कि जो भगवान के विद्यालय में पढ़ेगा तो वह निश्चित ही इंसान बनेगा और अध्यात्मिक उन्नति कर मोक्ष के मार्ग की ओर प्रशस्त करेगा। कुलाधिपति परिवार को खूब आशीर्वाद दिया। साथ ही बोलीं, यह विश्वविद्यालय छात्र-छात्राओं के ज्ञान के दीपक जलाकर ज्ञान के चक्षु खोल रहा है। 105 श्री विश्वयशमती माताजी ने कहा, टिमिट की नींव माताजी ने रखी थी। वह बोलीं, जैसा टीएमयू के बारे में सुना था, उससे ज्यादा अच्छा पाया। यहां पर लौकिक शिक्षा के साथ-साथ सांस्कारिक औऱ आध्यात्मिक शिक्षा को प्राथमिकता दी जाती है। उन्होंने अपनी मधुर आवाज में हम बच्चों का देश है, ये छोटा-सा परिवार, हम पर रहे हमेशा प्रभु तेरा आशीर्वाद, तुम्हारा प्यार न छूटे… भजन सुनाया।

कुलाधिपति ने बताई टीएमयू की विकास यात्रा
कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी की विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुए बताया, किस तरह और किन कठिन परिस्थितियों में माताजी के मंगल आशीर्वाद से उनके सानिध्य में टिमिट से टीएमयू की शुरुआत हुई। उन्होंने समस्त जैन समाज का स्वागत करते हुए शाम को 6 बजे गुरु माता भक्ति के सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए भी आमंत्रित किया। उन्होंने बताया कि माताजी के सानिध्य में सोना-चांदी रोज बरसता है, जिसका दामन जितना बड़ा उतना ही समेट पाता है। आगामी भव्य रथयात्रा महोत्सव के बारे में भी बताया। अंत में भाव-विह्वल होकर कहा- मांगू मैं क्या किसी से, मेरी मां देती है मुझे दोनों हाथ से…। वात्सल्य मूर्ति आर्यिका रत्न 105 श्री सृष्टिभूषण और कोकिलाकंठ आर्यिका 105 श्री विश्वयशमती माताजी के मंगलप्रवेश के मौके पर प्रो. मंजुला जैन, प्रो. विपिन जैन, प्रो. आरके जैन, श्री विपिन जैन, श्री मनोज जैन, डॉ. विनोद जैन, डॉ. आशीष सिंघई, डॉ. रत्नेश जैन, डॉ. अर्चना जैन, डॉ. विनीता जैन, डॉ. नम्रता जैन, श्री आर्जव जैन, श्री आदित्य जैन, मुरादाबाद जैन समाज से श्री नीरज जैन, श्रीमती नीलम जैन समेत अन्य गणमान्य लोगों ने माताजी से आशीर्वाद प्राप्त किया।