
रविवार दिल्ली नेटवर्क
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन को दशलक्षण महापर्व के पांचवें दिन उत्तम सत्य धर्म पर प्रथम स्वर्ण शांतिधारा का मिला सौभाग्य
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद का रिद्धि-सिद्धि भवन कवियों की शब्दोपासना से सुगंधित हो उठा। इस कवि सम्मेलन में कवयित्री डॉ. अनामिका जैन अंबर, श्री सौरभ सुमन, श्री दमदार बनारसी, श्री विनोद पाल और श्रीमती शिखा श्रीवास्तव के आस्थामय गीतों और भजनों पर सैकड़ों श्रावक और श्राविकाएं बार-बार झूमते नज़र आए। स्टुडेंट्स में अपने पसंदीदा कवियों की फोटो के संग-संग लाइव वीडियो भी लेने की होड़ लगी रही। वाह-वाही के संग तालियों की गड़गड़ाहट कवियों की हौसलाफजाई करती रही। डॉ. अनामिका जैन अंबर ने जैन शब्दोपासना के जरिए धर्म के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान व्यक्त किया। उन्होंने नवकार महामन्त्र से अपना काव्य पाठ आरंभ किया। डॉ. अंबर बोलीं, तीरथ अपना मांग रहे हां अधिकार हमारा है…हमें जान से प्यारा है जो, वो गिरनार हमारा है…। जैन कवयित्री डॉ. अनामिका ने कहा, मेरे ईश्वर मेरे भगवन मेरा विश्वास न टूटे. जीवन की जो तुमसे है प्रभु कभी वो आस न टूटे…। कवयित्री शिखा श्रीवास्तव ने मां का भजन, जबकि श्री सौरभ सुमन ने हल्दीघाटी पर वीर रस का पाठ किया। श्री दमदार बनारसी और श्री विनोद पाल ने भी अपनी-अपनी विधा में मेहमानों और स्टुडेंट्स का दिल जीत लिया।
कवयित्री डॉ. अनामिका जैन अंबर ने नवकार महामन्त्र को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ मंत्र बताते हुए कहा, जैन धर्म दुनिया की सबसे कम आबादी वाला धर्म है। सबसे शांत और सबसे अनुशासित लोग जैन धर्म में ही मिलते हैं। संचालन करते हुए श्री सौरभ सुमन बोले, गुजरात में स्थित गिरनार पर्वत जैन धर्म के लिए प्रमुख महातीर्थ है। यह 22वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ की मोक्ष और ज्ञान स्थली है। श्री सुमन ललकारते हुए बोले, ऐसे में गिरनार पर्वत पर जैन धर्म का ही अधिकार है। इस मौके पर श्रीमती ऋचा जैन, ईडी श्री अक्षत जैन और वीसी प्रो. वीके जैन ने डॉ. अनामिका जैन अंबर को श्रीरामलला का स्मृति चिन्ह भेंट किया। कवि सम्मेलन में सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं के अलावा कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन, जैन समाज के अध्यक्ष श्री अनिल जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन, श्रीमती जाह्नवी जैन आदि की भी उल्लेखनीय मौजूदगी रही। कवि सम्मेलन में श्री मनोज जैन, प्रो. विपिन जैन, श्री विपिन जैन, प्रो. एसके जैन, प्रो. रवि जैन, डॉ. विनोद जैन, डॉ. आशीष सिंघई, डॉ. रत्नेश जैन, प्रो प्रवीण कुमार जैन आदि की भी मौजूदगी रही।
उत्तम सत्य धर्म पर प्रतिष्ठाचार्य श्री ऋषभ जैन शास्त्री के सानिध्य में देव शास्त्र गुरु पूजन, महावीर जिन पूजन विधि-विधान से हुए। प्रथम स्वर्ण शांतिधारा का सौभाग्य तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन को मिला। भक्तांबर पाठ का वाचन अक्षित जैन और सौम्या जैन ने किया, जबकि तत्त्वार्थसूत्र के पंचम अध्याय के वाचन का पुण्य शीतल जैन ने कमाया। श्रीमती ऋचा जैन ने शीतल जैन को सम्मानित किया। श्रीमती सुनीति जैन एवम् डॉ. नम्रता जैन ने अभिषेक और शांतिधारा करने वालों को सम्मानित किया। प्रथम स्वर्ण कलश से श्री प्रक्षाल जैन, द्वितीय स्वर्ण कलश से श्री सम्यक जैन, तृतीय स्वर्ण कलश से श्री हर्ष जैन, चतुर्थ स्वर्ण कलश से श्री अरिहंत जैन को अभिषेक करने का सौभाग्य मिला। द्वितीय रजत शांतिधारा का पुण्य चीफ वार्डन श्री विपिन जैन ने कमाया। भोपाल के सचिन जैन एंड पार्टी के भक्तिमय गीतों- नमोकर नमोकर, आए हैं तुम्हारी शरण में, अब न करेंगे मनमानी अब से पढ़ेंगे जिनवाणी, चंदा सा मुखड़ा पाए, काली घटाएं फूल और खुशबू यह सब तो पुराने हैं काले काले प्रभु हमारे न्यारे हैं, एक दिन मिट जाएंगे माटी के मोल जग में रह जाएंगे तेरे बोल पर श्रावक-श्राविकाएं भक्ति में झूम उठे।