भ्रष्टाचार रोकने को यूपी का रास्ता अपनाना होगा

To stop corruption, we have to adopt the path of UP

अशोक मधुप

आज आमजन भ्रष्टाचार पीड़ित है।ऐसा लगने लगा है कि कोई काम अब रिश्वत दिए बिना नही होता। भ्रष्टाचार देश की जड़ तक पहुच गया। सभी इससे परेशान हैं किंतु इसके रोकने के लिए कोई पहल नही कर रहा। ईमानदारी का चोला पहन कर राजनीति में आई आम आदमी पार्टी खुद आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी है।आप के सर्वे सर्वा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल स्वयं दिल्ली के शराब घोटाले में जेल में हैं।

भ्रष्टाचार रोकने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने नई व्यवस्था की है।ये बहुत अच्छी व्यवस्था है हालाकि अभी इसमें बहुत कुछ करना होगा। उत्तर प्रदेश के इस माडल को पूरे देश को स्वीकारना होगा।भ्रष्टाचार करने वालों के विरूद्ध उत्तर प्रदेश की कार्रवार्ई को अन्य प्रदेशों को अपने यहां लागू करना होगा ,हालाकिं अभी उत्तर प्रदेश में शुरूआत है।इस आदेश के परिणाम आने में समय लगेगा।

अपराधियों और माफियाओं के विरूद्ध उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बुलडोजर चलाया। उनके द्वारा खड़ी की गई अवैध संपत्तियों को ध्वस्त किया गया। ये प्रयोग इतना सफल रहा कि उत्तर प्रदेश में अपराध घटे। अपराधी प्रदेश छोड़कर भागने लगे।प्रदेश की कामयाबी देख अन्य कुछ राज्यों ने भी यही बुलडोजर की कार्रवाई को स्वीकारा। इसे अपने यहां लागू किया। स्वयं सर्वोच्च न्यायालय ने राज्यों के बुलडोजर एक्शन पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश के एक्शन की प्रशंसा की।

प्रदेश में भ्रषटाचार रोकने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक आदेश में राज्य के आईएएस, आईपीएस, पीपीएस, पीसीएस अफसरों की तर्ज पर राज्य कर्मचारियों को भी ऑनलाइन संपत्तियों का ब्यौरा देना अनिवार्य कर दिया है। सभी सरकारी कर्मचारियों को अपनी चल और अचल संपत्ति का ब्यौरा ऑनलाइन मानव संपदा पोर्टल पर अपलोड करने को कहा गया था। हालाकि शिक्षकों, निगम कर्मचारी, स्वायत्तशासी संस्थाओं के कर्मचारियों को अभी इसमें शामिल नहीं किया गया। सरकार ने इसके लिए समय सीमा निर्धारित करते हुएए इसके लिए आखिरी तारीख 31 अगस्त तय की गई थी। आदेश के बाद भी बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने ये काम नहीं किया। इस कारण सरकार ने इनकी सैलरी रोकने का आदेश किया दी।पहले खबर आई थी इनका प्रमोशन भी रोका जा रहा है। अब यूपी सरकार ने कर्मचारियों को एक महीने का और वक्त दिया है। ये सरकार की ओर से आखिरी अल्टीमेटम माना जा रहा है। जानकारी के मुताबिक मात्र 71 फीसदी कर्मचारियों ने ही अपनी चल और अचल संपत्ति की जानकारी अपलोड की है। 2,44,565 राज्य कर्मचारियों की संपत्ति का ब्यौरा मानव संपदा पोर्टल पर अपलोड नहीं हो पाया।

उत्तर प्रदेश सरकार के चीफ सेक्रेटरी ने सभी विभागों के प्रमुखों को पत्र लिखा था। पत्र में कहा गया था कि सभी सरकारी कर्मचारी 31 अगस्त तक चल-अचल संपत्ति घोषित करें नहीं तो उनका प्रमोशन नहीं होगा। इसके साथ ही कर्मचारियों की अगस्त महीने की सैलरी भी नहीं आएगी। सरकारी कर्मियों को संपत्ति घोषित करने का निर्देश पहले भी दिया जा चुका है लेकिन संतोषजनक रिस्पांस नहीं मिलने पर सरकार ने कड़ा फैसला लिया है।

यूपी सरकार ने अब राज्य कर्मचारियों को एक महीने की छूट दी है और आदेश दिया है कि कर्मचारी दो अक्तूबर तक संपत्ति का ब्योरा दे सकेंगे। पहले ब्योरा न देने वालों कर्मचारियों की अगस्त महीने की सैलरी रोकने का आदेश दिया गया था।संपत्ति का ब्यौरा देने में टेक्सटाइल, सैनिक कल्याण, ऊर्जा, खेल, कृषि और महिला कल्याण विभाग के कार्मिक सबसे आगे रहे। जबकि, शिक्षा विभाग के कार्मिक अपनी संपत्ति को छिपाने में आगे हैं। इस लिहाज से सबसे फिसड्डी बेसिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, चिकित्सा स्वास्थ्य, औद्योगिक विकास और राजस्व विभाग साबित हुए।

17 अगस्त को जब यह आदेश जारी हुआ था, तब 131748 यानी 15 फीसदी राज्य कर्मियों ने ही पोर्टल पर अपनी संपत्ति दर्ज की थी। 20-31 अगस्त के बीच यह बढ़कर 71 फीसदी हो गया। शासन के एक उच्चपदस्थ अधिकारी ने बताया कि संपत्ति का ब्यौरा न देने वाले कार्मिकों का वेतन रोकने का आदेश पहले ही दिया जा चुका है। सभी विभागों को इसका अनुपालन सुनिश्चित करना होगा।प्रदेश में कुल 846640 राज्य कर्मी हैं। इनमें से 602075 ने ही मानव संपदा पोर्टल पर चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा दिया। विवरण दर्ज कराने के आदेश पर जीपी मुख्यालय ने नियुक्ति विभाग को पत्र भेजकर उनके कार्मिकों के लिए संपत्ति का ब्यौरा देने के लिए कुछ और समय दिए जाने का अनुरोध किया है। पत्र में कहा गया है कि त्योहारों और पुलिस भर्ती परीक्षा के कारण तमाम पुलिस कर्मी समय से अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं दे पाए। माना जा रहा है कि गृह विभाग के लिए यह तिथि बढ़ाई जा सकती है।शासन के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, जिन अधिकारियों-कर्मचारियों का अगस्त माह का वेतन रोका गया, इसे तभी जारी किया जाएगा, जब वे संपत्ति का ब्यौरा दे देंगे। उनकी संपत्ति का ब्यौरा मिलने पर वेतन देने का फैसला संबंधित विभाग शासन से वार्ता के बाद ले सकेंगे। लगता है कि इसी पत्र के बाद विवरण दर्ज कराने के लिए एक माह का और समय दिया गया है।

आदेश सही है किंतु इसमें अभी सुधार करना होगा,भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए अभी उत्तर प्रदेश को बहुत कुछ करना होगा। कर्मचारियों के अपनी चल और अचल संपत्ति के मानव संपदा पोर्टल पर दर्ज कराने से काम नही चलेगा। इसके लिए उसके परिवार के सभी सदस्यों की संपत्ति का ब्योरा दर्ज कराना होगा। ये आदेश राज्य सभी सरकारी और अर्ध सरकारी कर्मचारियों पर लागू किया जानी चाहिए। वास्तव में यह कार्य सेवा में आने से पूर्व होना चाहिए।सेवा में आने के बाद शादी होने पर कर्मचारी अपनी पत्नी की प्रत्येक प्रकार की संपत्ति दर्ज कराए। बच्चे होने पर उनका विवरण दर्ज हो। इतना ही नही जन प्रतिनिधियों , जन सेवकों पर भी यह व्यवस्था लागू की जानी चाहिए। आज हालत यह है कि देख गया है कि प्रधान या स्थानीय निकाय का चेयरमैन बनते ही उसके पास लंबी चौड़ी गाड़ी आ जाती है। यह तभी रूकेगी जब,उसके और उसके परिवार की चल अचल संपत्ति चुने जाते ही शपथ से पूर्व घोषित की जाए।विधायकों और विधान परिषद सदस्य,विभिन्न बोर्ड के पदाधिकारी और सदस्यों पर भी यह व्यवस्था लागू होनी चाहिए।

समाज में फैले भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए देश को सख्त निर्णय लेने होंगे।भ्रष्ट हुई व्यवस्था अब बिना सख्ती के ठीक नही होगी। इसकी जड़े आज बहुत गहराई तक पहुंच गई हैं।भ्रष्टाचार की इन जड़ों को ही हमें नही काटना होगा, अपितु इनकी जड़ों का मिल रहा खाद पानी भी रोकना होगा। एक बात और कि ऐसी भी व्यवस्था कानून में होनी चाहिए की रिश्वत देने वाला सरकार को बताए कि उससे रिश्वत मांगी जा रही है। उसके द्वारा दी गई सूचना गुप्त रखी जाए। सूचना पर कार्रवाई होने के बाद सूचना देने वाले को सम्मानित भी किया जाए। अगर नही बताता है तो पता चलने पर उसके विरूद्ध भी कार्रवाई होनी चाहिए।

एक चीज और हमें स्कूली शिक्षा से ही बच्चों को आदर्श नागरिक बनने के बारे में उसे बताना होगा। उसे प्रेरित करना होगा कि वह समझे कि भ्रष्टाचार गलत है।भ्रष्टाचारी के प्रति होने वाली कार्रवाई से भी उसे अवगत कराया जाए, ताकि बचपन से ही इस कुरूति के प्रति उसके मन में गलत धारणा बन सके। ऐसा होने पर ही इसे रोका जा सकेगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)