टोंक : गाय के साथ बछड़े की पूजा आज

Tonk: Worship of calf along with cow today

रविवार दिल्ली नेटवर्क

  • बछ बारस पर महिलाये नही खाएगी गेंहू ओर कटी हुई सब्जियां….
  • गाय के साथ हुई बछड़े की पूजा आज ….
  • अपने पुत्र की मंगल कामना के लिए रखा महिलाओं ने व्रत…

टोंक : भारत आस्थाओं ओर धार्मिक मान्यताओं वाला देश है। जिसमे धर्म के प्रति लोगो की धार्मिक आस्थाओं के साथ त्योहारों का अपना महत्व है। सनातन मान्यताओं के अनुसार गोमाता का हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार विशेष महत्व है। कृष्ण भगवान को गायो से बड़ा प्रेम था। यही कारण है कि श्रीकृष्ण जन्माष्ठमी के चार दिन बाद आज देश के अलग अलग स्थानों पर गाय और बछड़े की पूजा का पर्व बछ बारस मनाया जा रहा है। जिसमे महिलाओं ने आज गाय के साथ बछड़े की पूजा करते हुए अपने बेटों के जीवन की मंगल कामना करते हुए घर मे मूंग, चने ओर मोठ के साथ ही चोले बनाकर आज मोटे आटे अर्थात गेंहू को छोड़कर ज्वार-बाजरे ओर मक्के की रोटी का सेवन किया है। आज गाय के दूध-दही का सेवन भी महिलाये नही करती है ।

कृष्ण जन्माष्ठमी के चार दिन बाद भादवे में आने वाली बारस अर्थात द्वादशी पर टोंक सहित सभी जगहों पर गाय और बछड़े की पूजा अर्चना महिलाये कर रही और अपने पुत्रों के जीवन की मंगल कामनाओं के लिए आज हिन्दू धर्म की आस्था और मान्यता के अनुसार महिलाओं ने व्रत रखें है। व्रत में महिलाये जंहा गली ओर मोहल्लों में गाय के साथ बछड़े की पूजा करती नजर आई। महिलाये इस दिन मोहल्लों ओर घरो में कथा सुनती भी नजर आई ।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बछ बारस पर गोमाता की उसके बछड़े के साथ पूजा करती है। वह पूजा के लिए एक दिन पूर्व ही घर मे मुंग,मोठ,चना ओर चोले को भिगोकर रखती है। वह इस दिन पर गेंहू की रोटी नही खाने के साथ ही कटी हुई सब्जियां भी नही खाती है। न ही दूध और दही का सेवन करती है। आज के दिन घरो में अंकुरित मूंग, मोठ ओर चने की सब्जियां बनने के साथ ही मोटे अनाज अर्थात मक्का,बाजरे ओर ज्वार की रोटी ही महिलाये खाती है। यंहा तक कि वह महिलाये जो व्रत करती है, वह चाकू से कोई भी सब्जी भी नही काटती है । आज कई महिलाये अपने बछ बारस व्रत का उद्द्यापन भी करती है, जिसमे धर्म-पुण्य करने की परंपरा भी रही है ।

आज के दिन महिलाओं ने सुबह सुबह उठकर अपने दिन की शुरुआत गोमाता ओर बछड़े की पूजा अर्चना से की। जिसमे महिलाओं ने घरो के बाहर मोहल्लों में जाकर एक साथ गाय-बछड़े की पूजा के बाद बछ बारस की कथा सुनी। जिसमे महिलाये मिट्टी व गोबर से बनी काल्पनिक तालाब की मूर्ति या आकृति बनाकर उसकी कुमकुम, मौली, धूप दीप प्रज्वलित कर पूजा करती नजर आई। वह बछबारस की कहानी सुनी। वह सुनाई गोमाता वह बछड़े की पूजा अर्चना का यह त्योहार इस मायने में भी महत्वपूर्ण है क्यो की श्रीकृष्ण को गायो से बडा प्रेम था। वह आज के दिन गाय-बछड़े की पूजा करने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है ।

दान देने कब साथ उद्द्यापन कि भी परम्परा है:- हिन्दू मान्यताओं के अनुसार आज के दिन महिलाये अपने रिश्ते की बहन-बेटियों सास-ननद आदि को दान स्वरूप मोठ-बाजरे को एक कटोरी में रखकर उस पर कोई भी वस्त्र या उपहार दान-पुण्य में देती है। वही कई महिलाएं आज के दिन इस व्रत पर उद्यापन भी करती है, जिसमे 11 से लेकर 21 सुहागन महिलाओं को भोजन कराया जाता है। आज के दिन महिलाये सामूहिक रूप से कथा सुनती है वह अलग कथाएं ओर मान्यताएं आज के दिन को लेकर प्रचलित है ।