दीपक कुमार त्यागी
देश व दुनिया में रतन टाटा का नाम एक प्रसिद्ध उधोगपति के साथ-साथ देशभक्ति के भाव से ओत-प्रोत एक ऐसी शानदार शख्सियत के रूप में हमेशा जिंदा रहेगा, जो जीवन पर्यन्त सादगी, सरलता, दयालुता की प्रतिमूर्ति बनकर के इंसान व इंसानियत की सेवा करते हुए देश व दुनिया में भारत का नाम रोशन करते रहे। अपने उत्कृष्ट गुणों के दम पर पद्म विभूषण और पद्म भूषण जैसे बेहद ही प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित रतन टाटा असाधारण व्यक्तित्व के धनी महामानव थे। वह जो एक बार ठान लेते थे, उसको करके ही दम लेते थे। हालांकि अब वह दुनिया में नहीं रहे हैं, लेकिन रतन टाटा के जीवन का सफ़र हमेशा लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बना रहेगा, उनके अनमोल विचार लोगों का हमेशा मार्गदर्शन करते रहेंगे।
भारतीय उधोग जगत को वैश्विक स्तर पर विशिष्ट पहचान देने वाले उधोग जगत के महान पुरोधा रतन टाटा का 86 वर्ष की उम्र में 9 अक्टूबर 2024 की रात करीब 11 बजे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। वह अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थे और उम्र के साथ लगने वाली विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे थे। रतन टाटा फिलहाल टाटा संस के मानद चेयरमैन के रूप में ग्रुप का बखूबी मार्गदर्शन कर रहे थे। उन्होंने टाटा ग्रुप की देश व दुनिया में विशिष्ट पहचान बनाने के लिए दिन-रात कार्य किया था, उन्होंने जीवन पर्यन्त कभी भी किसी व्यापारिक लोभ लालच में सिद्धांतों व देशहित से समझौता नहीं किया था।
देश व दुनिया को हुई इस अपूर्णीय क्षति की जानकारी प्रसिद्ध उद्योगपति हर्ष गोयनका ने रात 11 बजकर 24 मिनट पर सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म एक्स के माध्यम से दी। हर्ष गोयनका ने लिखा कि “घड़ी की टिक-टिक बंद हो गई। टाइटन नहीं रहे। रतन टाटा ईमानदारी, नैतिक नेतृत्व और परोपकार के प्रतीक थे।”
जिसके बाद उनके प्रशंसकों के बीच शोक की लहर दौड़ गयी। देश व दुनिया के ताकतवर लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रतन टाटा को श्रद्धांजलि अर्पित करने लगें।
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने लिखा कि “भारत ने एक ऐसे आइकॉन को खो दिया है, जिन्होंने कॉरपोरेट ग्रोथ, राष्ट्र निर्माण और नैतिकता के साथ उत्कृष्टता का मिश्रण किया। पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित रतन टाटा ने टाटा ग्रुप की विरासत को आगे बढ़ाया है।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक्स पर लिखा कि “टाटा एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर, दयालु आत्मा और एक असाधारण इंसान थे। उन्होंने भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में से एक को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया। उनका योगदान बोर्ड रूम से कहीं आगे तक गया।”
केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लिखा कि “देश के महान सुपुत्र रतन टाटा जी के निधन का समाचार सुन कर स्तब्ध हूं। रतन टाटा जी से तीन दशकों से अधिक का अत्यंत घनिष्ट पारिवारिक संबंध रहा है। इतने बड़े व्यक्ति की सादगी, उनकी सहजता, अपने से छोटे का भी सम्मान करना, ये सारे गुण मैने काफी नज़दीक से देखे और अनुभव किए है। मुझे अपने जीवन में उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। देश के सबसे बड़े व्यवसायी के नाते देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में, रोजगार निर्माण करने में उनका बड़ा योगदान है। वो परम देश भक्त होने के साथ साथ उसूलों पर चलने वाले इन्सान थे। जितने बड़े व्यवसायी थे, उससे भी बड़े संवेदनशील समाजसेवी थे। उनके निधन से भारत ने एक आदर्श और कर्तृत्ववान सुपुत्र को खोया है। ये देश रतन टाटा जी को कभी भूल नही सकता। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें। ॐ शांति”
टाटा संस के चेयरमैन चंद्रशेखर ने लिखा कि “हम अत्यंत क्षति की भावना के साथ रतन टाटा को विदाई दे रहे हैं। समूह के लिए टाटा एक चेयरपर्सन से कहीं अधिक थे। मेरे लिए वे एक गुरु, मार्गदर्शक और मित्र थे।”
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने लिखा कि “रतन टाटा दूरदृष्टि वाले व्यक्ति थे। उन्होंने बिजनेस और परोपकार दोनों पर कभी न मिटने वाली छाप छोड़ी है। उनके परिवार और टाटा कम्युनिटी के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।”
गौतम अडाणी ने लिखा कि “भारत ने एक महान और दूरदर्शी व्यक्ति खो दिया है। टाटा ने मॉडर्न इंडिया के पाथ को रिडिफाइन किया। टाटा सिर्फ एक बिजनेस लीडर नहीं थे, उन्होंने करुणा के साथ भारत की भावना को मूर्त रूप दिया।”
दिग्गज उधोगपति आनंद महिंद्रा ने लिखा कि “मैं रतन टाटा की अनुपस्थिति को स्वीकार नहीं कर पा रहा हूं। श्री टाटा को भुलाया नहीं जा सकेगा। क्योंकि महापुरुष कभी नहीं मरते।”
मुकेश अंबानी ने लिखा कि “ये भारत के लिए बहुत दुखद दिन है। रतन टाटा का जाना ना सिर्फ टाटा ग्रुप, बल्कि हर भारतीय के लिए बड़ा नुकसान है। व्यक्तिगत तौर पर रतन टाटा का जाना मुझे बहुत दुख से भर गया है, क्योंकि मैंने अपना दोस्त खो दिया है।”
सुंदर पिचाई ने लिखा कि “रतन टाटा से पिछली मुलाकात के दौरान उनका विजन सुनना मेरे लिए प्रेरणादायक था। वे एक्स्ट्राऑर्डिनरी बिजनेस लीगेसी छोड़ गए हैं। उन्होंने भारत में मॉडर्न बिजनेस लीडरशिप को मार्गदर्शन देने और डेवलप करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।”
रतन टाटा एक ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने जीवन पर्यन्त कभी भी अपने उसूलों से समझौता नहीं किया। वह जो एक बार ठान लेते थे, वो करके ही दम लेते हैं।
इसकी एक छोटी सी बानगी दुनिया को उस वक्त देखने को मिली थी जब वर्ष 2008 के मुंबई अटैक के बाद पाकिस्तान ने टाटा कंपनी की टाटा सूमो कार को भारी संख्या में खरीदने में अपनी दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन रतन टाटा ने नुकसान की परवाह किए बिना ही पाकिस्तान को टाटा सूमो कार बेचने से स्पष्ट मना कर दिया था।
वहीं वर्ष 2008 के मुंबई अटैक में होटल ताज को हुए भारी नुकसान की मरम्मत करने के लिए जब टाटा संस ग्रुप ने निविदा निकाली थी, तो उस वक्त पाकिस्तान की दो कंपनियों ने भी निविदा डाली थी, लेकिन रतन टाटा ने सिफारिशों के बावजूद भी दोनों कंपनियों को काम देने से स्पष्ट मना कर दिया था। यहां तक की रतन टाटा को उनसे मिलने के लिए उस वक्त राजनेताओं व उधोगपतियों की सिफारिशें भी आयी, लेकिन उसके बावजूद भी वह दोनों पाकिस्तानी कंपनियों के भारतीय प्रतिनिधियों से मिले नहीं थे।
बेशक रतन टाटा आज हमारे बीच नहीं रहे हैं, लेकिन उनके विचार हमारे बीच हैं और यह भी तय है कि भारत के इतिहास में रतन टाटा का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। देश व दुनिया के उधोग जगत में रतन टाटा का अनमोल योगदान हमेशा एक नज़ीर बना रहेगा। उनके देश निर्माण में भी अनगिनत योगदान हैं, जिन्हें आसानी से नहीं भुलाया जा सकता है। वह जीवन पर्यन्त लोगों के प्रेरणास्रोत रहे हैं, उनके मार्गदर्शन ने देश व दुनिया के लाखों युवाओं को जीवन जीने की नई राह दिखाने का कार्य किया था और उनके विचार हमेशा करते रहेंगे। मैं भी रतन टाटा को कोटि-कोटि नमन करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।