संजय सक्सेना
शब्दों में ढलती शालीनता, एक मौन का सुर,
गहरा चिंतन, जैसे अमृत का नूर।
धैर्य की प्रतिमा, गरिमा का आभास,
मनमोहन सिंह, युगों तक रहेगा उनका उल्लास।
देश के आँगन में, विकास के चरण,
हर नीति में झलके उनके कर्मों का रण।
शब्द नहीं बोलते थे, पर कर्म थे मुखर,
हर चुप्पी में छिपा था उनका अद्भुत असर।
आर्थिक क्रांति के वो महानायक बने,
भारत के सपनों को पंख उन्होंने दिए।
ग्लोबल मंच पर, गर्व से खड़े हम रहे,
मनमोहन का नेतृत्व, हर मुश्किल में सहे।
उनका जीवन, जैसे गंगा की धार,
शांत, स्थिर, पर देता सबको उधार।
ना कोई विवाद, ना कोई शोर,
उनका व्यक्तित्व था, जैसे सुवासित चंदन का ठौर।
आज भी जब इतिहास के पन्ने पलटते हैं,
उनकी विरासत में हम अपने स्वर मिलाते हैं।
एक शिक्षक, एक अर्थशास्त्री, एक सच्चा इंसान,
मनमोहन सिंह का जीवन, एक प्रेरक गान।
श्रद्धा और सम्मान से, झुके हमारा माथ,
आपकी यादों से सजा रहेगा हर पथ।
शब्दों में समेटा नहीं जा सकता वो अनंत,
मनमोहन जी, आप रहेंगे हमारे दिलों के संग।