केन्द्रीय मंत्रिमंडल और संगठन में भी बदलाव की पटकथा लिखी जा रही
नीति गोपेंद्र भट्ट
नई दिल्ली।बिहार में नीतीश कुमार की जनता दल यू द्वारा भाजपा का साथ छोड़ने के बाद भारतीय जनता पार्टी में राजनीतिक सरगर्मियाँ बढ़ गई हैं और अगले दो वर्षों में दस राज्यों के विधानसभा चुनावों और लोकसभा के 2024 में होने वाले आम चुनाव से पहलें भाजपा में उथल पुथल शुरु हो गई है तथा इसकी शुरुआत संसदीय बोर्ड और केन्द्रीय चुनाव समिति में बड़ा बदलाव करने के साथ कर दी गई है। इस परिवर्तन के बाद अब केन्द्रीय मंत्रिमंडल और संगठन में भी बदलाव की पटकथा लिखी जा रही है। पार्टी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृह मन्त्री अमित शाह की जोड़ी और अधिक ताकतवर हो कर उभर रही है।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पार्टी के संसदीय बोर्ड और केन्द्रीय चुनाव समिति में से आरएसएस के नाक के बाल माने जाने वाले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हटाना बड़े संकेत दे रहा है ।इसी प्रकार राजस्थान के लिहाज से केन्द्रीय चुनाव समिति में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और पूर्व सांसद ओम प्रकाश माथुर को जगह मिलना भी कुछ नए संकेत देने वाला हैं।
बीजेपी संसदीय बोर्ड में बड़ा बदलाव किया गया है।इसमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बोर्ड से हटाया गया है तो वहीं बी.एस. येदियुरप्पा, सुधा यादव, इकबाल, सर्बानंद सोनोवाल, के.लक्ष्मण को नए सदस्यों के रूप में शामिल किया गया है।
अब नई संसदीय बोर्ड में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (अध्यक्ष), प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह,अमित शाह,सर्बानंद सोनोवाल,कर्नाटका के पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा, तेलंगाना के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के.लक्ष्मण,पंजाब के इकबाल सिंह लालपुरा,हरियाणा की पूर्व सांसद सुधा यादव और भाजपा के राष्ट्रीय महामन्त्री बी एल संतोष को संसदीय बोर्ड में बतौर सचिव शामिल किया गया है।
इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति का भी ऐलान कर दिया गया है। इस समिति में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और राजस्थान के पूर्व सांसद ओम माथुर और मध्य प्रदेश के सत्यनारायण जटिया को एवं कर्नाटका के वी.श्रीनिवास को भी जगह मिली है।
अब नई केंद्रीय चुनाव समिति में जगत प्रकाश नड्डा (अध्यक्ष),नरेंद्र मोदीराजनाथ सिंह,अमित शाह,बीएस येदियुरप्पा,सर्बानंद सोनोवाल,के.लक्ष्मण,इकबाल सिंह लालपुरा,सुधा यादव,सत्यनारायण जटिया,भूपेंद्र यादव,देवेंद्र फडणवीस के साथ ही बी.एल.संतोष (सचिव) और वी.श्रीनिवास (पदेन) सदस्य शामिल किए गए है।
राजनीतिक सूत्र बताते है कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल और पार्टी संगठन में भी इस माह के अन्त तक अथवा सितम्बर में किसी भी वक्त बदलाव होने जा रहा है। इस बदलाव में चुनाव होने वाले प्रदेशों के उन नेताओं को प्राथमिकता मिलने की उम्मीद है जोकि मोदी-शाह की पसन्द के होंगे। साथ ही मोदी मंत्रिपरिषद के वर्तमान चेहरों में से कई चेहरे बदलने की सम्भावना भी बताई जा रही हैं। नई टीम में युवा चेहरों और अनुभव का समिश्रण होगा।पूरी चुनावी रणनीति को तैयार करने से पूर्व आरएसएस के शीर्ष नेतृत्व को भी विश्वास में ले लिया गया है। इस सारी कसरत का एक ही उद्देश्य 2024 से 2029 और उसके आगे का रोडमेप बनाना है। विशेष कर इसका मक़सद कांग्रेस के बचे दो प्रदेशों से उसे हटाने के साथ ही देश में परिवारवादी पार्टियों और रीजनल पार्टियों के दबदबे को कम करना हैं ताकि भाजपा का विस्तार और जनाधार पूरे देश के अधिकांश प्रदेशों में बढ़ने के साथ ही से संसद में ख़ास कर लोकसभा के साथ ही भाजपा की ताक़त राज्यसभा में बढ़ सके ताकि पार्टी अपने ऐजेंडा पर बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ सकें।