गोपेंद्र नाथ भट्ट
बहु प्रतीक्षित पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) की संयुक्त परियोजना रपट (डीपीआर) बनाने को लेकर रविवार को नई दिल्ली में केन्द्र सरकार, राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत इस समझौते के मुख्य सूत्रधार बने है।
भाजपा की वसुन्धरा राजे सरकार के समय इस परियोजना की अवधारणा पर काम शुरू हुआ था और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयीजी की नदी जोड़ों परियोजना का भी यह अभिन्न हिस्सा था। वसुन्धरा राजे के सत्ता में रहते तत्कालीन केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गड़करी का साथ मिलने के बावजूद यह परियोजना सिरे पर नही चढ़ पाई। बाद में कांग्रेस के सत्ता में आने पर राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने इसे आगे बढ़ाया और बार-बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सार्वजनिक मंचों से दिए गए आश्वासनों का हवाला देकर केन्द्र सरकार को घेरने में कोई कसर बाकी नही रखी। कतिपय कारणों से गहलोत सरकार के वक्त भी ईआरसीपी को केन्द्र सरकार से अपेक्षित मदद नही मिल पाई और गहलोत सरकार के अलग ही रुख अख़्तियार कर अपने बलबूते पर राज्य बजट में धन राशि का प्रावधान रख कार्य शुरू कराया लेकिन अकेले प्रदेश के संसाधनों से इतना बड़ा काम पूरा होने के वर्षों का समय लगना तय था। विधान सभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ईआरसीपी को चुनावी मुद्दा भी बनाया।केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने तब बार-बार कहा कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही यह मसला सुलझा दिया जायेगा।
रविवार को नई दिल्ली में हुए ईआरसीपी समझौते के बाद जयपुर लौटें मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा का गर्म जोशी से स्वागत किया गया तथा इस ऐतिहासिक फैसले पर मन्त्रियों और विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने उन्हें बधाई दी। दूसरी ओर ईआरसीपी को लेकर सोमवार को राजस्थान विधानसभा में जबर्दस्त हंगामा हुआ।मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने राज्य सरकार से इस मामले पर जवाब देने की मांग की, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने ईआरसीपी पर चर्चा की अनुमति नही दी तो प्रतिपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया, हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही भी आधे घंटे के लिए स्थगित हुई। दरअसल, शून्यकाल के बाद प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने ईआरसीपी मुद्दा उठाना चाहा। उन्होंने कहा कि जब विधान सभा का सदन चल रहा है और ऐसे समय में राज्य सरकार ने ईआरसीपी संबंधी समझौता किया है। राज्य सरकार को इस मुद्दे पर सदन में विस्तृत जानकारी एवं जवाब देना चाहिए। इस मध्य, सत्ता पक्ष के कुछ सदस्यों और मंत्रियों ने यह मुद्दा उठाने पर आपत्ति जताई।इससे दोनों पक्षों के मध्य आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया।
विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी ने विपक्ष को यह मुद्दा उठाने की अनुमति देने से यह करते हुए इंकार कर दिया कि यह विषय आज की कार्य सूची में नहीं है ।इसलिए इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। इस पर विपक्षी सदस्य विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी की आसन के सामने आकर नारेबाजी करते हुए सरकार से जवाब दिलवाने की मांग करने लगे।
उल्लेखनीय है कि ईआरसीपी विवाद को लेकर राजस्थान और मध्यप्रदेश 20 साल से जूझ रहे थे और ईआरसीपी परियोजना में पानी के बंटवारे को लेकर राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच गहरा विवाद था। राजस्थान 75 प्रतिशत वाटर डिपेंडेबिलिटी पर अड़ा था, जबकि मध्यप्रदेश 50-50 प्रतिशत की मांग कर रहा था।
राजस्थान इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय परियोजना घोषित कराने की मांग कर रहा था ताकि इनके निर्माण की 90 फीसदी लागत केंद्र सरकार वहन कर सके। पिछले पाँच वर्षों में ना तो दोनों राज्यों के मध्य पानी के बंटवारे पर सहमति बनी और ना ही केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फरवरी 2022 में जब दौसा जिले के दौरे पर आए थे तब उन्होंने कहा था कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना और पार्वती कालीसिंध चंबल को जोड़ते हुए राजस्थान और मध्यप्रदेश मिल कर बात करे। इसके बाद ईआरसीपी में संशोधन किया गया। इस सिंगल प्रोजेक्ट से नदी जोड़ो योजना के तहत पार्वती कालीसिंध चंबल योजना को भी शामिल किया गया। अब दोनों प्रोजेक्ट को मिलाकर एक प्रोजेक्ट बनाया गया है। इस परियोजना पर केंद्र की मंजूरी के बाद अब केवल राजस्थान नहीं बल्कि राजस्थान और मध्यप्रदेश दोनों प्रदेशों के 13-13 जिलों को पीने का पानी और सिंचाई के लिए जल उपलब्ध कराया जाएगा। इस परियोजना से पहले एक राज्य को पूरा फायदा मिलने वाला था जबकि संशोधित प्रोजेक्ट के बाद अब दोनों राज्यों को इसका लाभ मिलेगा। केंद्र सरकार की मंजूरी मिलने बाद अब इस परियोजना की 90 प्रतिशत लागत का भुगतान केंद्र सरकार करेगी।इस प्रकार इसे राष्ट्रीय दर्जा भी मिल जाएगा।
ईआरसीपी प्रोजेक्ट को केंद्रीय मंजूरी मिलने के बाद राजस्थान को 2.80 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई का पानी मिल सकेगा। पहले 80 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित क्षेत्र थी जबकि अब 2 लाख नया क्षेत्र जुड़ जाएगा। इससे प्रदेश के 25 लाख किसान परिवारों को सिंचाई का पानी मिल सकेगा। साथ ही प्रदेश की 40 प्रतिशत आबादी को पेयजल आपूर्ति हो सकेगी। इस प्रोजेक्ट से मिलने वाले पानी से 32 बांध भरे जा सकेंगे। इनमें जयपुर का रामगढ बैराज, महलपुर बैराज, नवनैरा बैराज, मेज बैराज, राठौड़ बैराज, डूंगरी बांध और पूर्वनिर्मित 26 बाँधों का पुनरुद्धार भी हो सकेगा।
राजस्थान और मध्यप्रदेश के मध्य पानी के बंटवारे का विवाद पिछले 20 साल से चल रहा था। साल भर पहले केंद्र सरकार ने पार्वती कालीसिंध चंबल परियोजना को ईआरसीपी से जोड़ने का प्रस्ताव को प्राथमिकता दी थी लेकिन प्रदेश की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार इसके पक्ष में नहीं थी। प्रदेश में सरकार बदलने और भाजपा सरकार आने के बाद इस पर तेजी से काम हुआ। रविवार दोपहर को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जयपुर आए। उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मुलाकात की। दोपहर बाद दोनों मुख्यमंत्री दिल्ली गए और रात आठ बजे संशोधित प्रोजेक्ट पर एमओयू साइन हो गए। इसके साथ ही अब इस परियोजना को केंद्र सरकार की मंजूरी मिल जाने से बीस साल से चल रहा विवाद अंततोगत्वा सुलझ गया है ।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने इस पर ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा है कि भाजपा सरकार द्वारा 2016 में तैयार की गई ईआरसीपी परियोजना के लिए का यह एमओयू प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिबद्धता का परिणाम है।उन्होंने कहा कि प्रदेश के 13 ज़िलों को जल संकट से उभारने, दो लाख हैक्टर नया सिंचित क्षेत्र विकसित करने,80 हजार हैक्टर क्षेत्र को पुनः सिंचित क्षेत्र में बदलने और प्रदेश के औघोगिक विकास को गति देने के लिए उनके मुख्यमंत्रित्व काल में भाजपा सरकार ने इस परियोजना को तैयार किया था, पर दुर्भाग्य से इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर कांग्रेस सरकार ने पूरे समय राजनीति की। इसे आगे नहीं बढ़ने दिया।
राजे ने केन्द्र सरकार, राजस्थान और मध्यप्रदेश सरकारों द्वारा इस योजना को फिर से पटरी पर लाने के लिये किए गए एमओयू को प्रदेश के लिए आशा की एक किरण बताया है। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा उनके इस प्रोजेक्ट को पूरा करेंगे और राजस्थान को अपने हितों के अनुरूप पूरा पानी मिल सकेगा। पूर्व मुख्यमंत्री ने इस एमओयू के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा , मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव तथा जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का आभार व्यक्त किया है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) में राजस्थान और मध्यप्रदेश सरकारों में पानी के बंटवारे के समझौते के बाद इस योजना का मसौदा तय होने से एक स्वर्णिम युग का उदय और सर्वांगीण विकास होगा। इस कार्य के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का आभार व्यक्त किया है।
सोमवार को भाजपा मुख्यालय पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि डबल इंजन की सरकार बनने के बाद दोनो सरकारों के बीच समझौता और एक ऐतिहासिक निर्णय हुआ। चुनाव के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रदेश की जनता से जो वादा किया था उसे पूरा किया है। यही कारण है कि देश की जनता को मोदी की गारंटी पर पूरा भरोसा है। इस समझौते से 20 वर्षों से चल रहे विवाद का खात्मा हुआ। संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना (ईआरसीपी) मध्यप्रदेश और राजस्थान दोनों राज्यों के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि नदियों के पानी का सदुपयोग करने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है। ईआरसीपी में पानी के बंटवारे को लेकर समझौता होने से दोनों राज्यों के 26 जिलों को लाभ मिलेगा। प्रदेश में 13 जिलों के लगभग 25 लाख किसान परिवारों को सिंचाई जल मिलेगा। इस योजना से राज्य की लगभग 40 प्रतिशत आबादी को पेयजल उपलब्ध हो सकेगा। जल्दी ही राज्य में 2.80 लाख हैक्टेयर भूमि में सिंचाई के लिए जल उपलब्ध हो सकेगा, साथ ही भूजल स्तर भी बढ़ेगा। ईआरसीपी के तहत आने वाले क्षेत्रों में औद्योगिक आवश्यकताओं के लिए भी पानी उपलब्ध हो सकेगा जिससे रोजगार के अवसर बढेंगे और कृषि उत्पादन में वृद्धि होने से किसानों की आय भी बढेगी।
इसी तरह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने भी ईआरसीपी एम ओ यू पर प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताते हुए कहा कि प्रदेश की जनता ने देखा कि पूर्व की कांग्रेस सरकार ने जो वादे किए वे वापस चुनाव के समय ही याद आए और उन्हें पूरा करने की कोई योजना भी नहीं बनाई। ईआरसीपी को लेकर भी कांग्रेस ने सिर्फ राजनीति ही की जो डीपीआर बनाई उससे सिर्फ तीन जिलों को 525 एमसीएम पानी मिलता। अब डबल इंजन सरकार में प्रदेश के 13 जिलों झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर और टोंक में पेयजल उपलब्ध होगा। ईआरसीपी में सम्मिलित रामगढ़ बैराज, महलपुर बैराज, नवनैरा बैराज, मेज बैराज, राठौड़ बैराज, डूंगरी बांध, रामगढ़ बैराज से डूंगरी बांध तक फीडर तंत्र, ईसरदा बांध का क्षमता वर्धन और पूर्वनिर्मित 26 बांधों का पुनरूद्धार किया जाएगा साथ ही कई बांध भरे जा सकेंगे।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि प्रदेश में भाजपा की डबल इंजन सरकार ने सत्ता में आते ही संकल्प पत्र में जनता से किए गए वादों पर काम करना शुरू किया। संकल्प पत्र में कहा था कि भाजपा की सरकार बनते ही ईआरसीपी हमारी प्राथमिकता होगी। ईआरसीपी पर भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार ने काम शुरु किया था, लेकिन कांग्रेस की सरकार ने इसे अटकाने का काम किया।
पूर्वी राजस्थान और मध्य प्रदेश के 26 जिलों की जीवनदायी और वरदान माने जाने वाली इस महत्वाकांक्षी परियोजना ने दोनों प्रदेशों की जनता के मन में उम्मीदों के नए पंख लगाए है और इस ऐतिहासिक एमओयू ने नदियों के जल के व्यर्थ में ही बह कर समुद्र में गिर जाने की समस्या और नदियों को जोड़ने की संकल्पनाओं का मार्ग प्रशस्त कर दिया हैं।
देखना है कि अब तक अटकी रही इस महत्वाकांक्षी परियोजना का कार्य कितनी तेज़ी से धरातल पर उतर कर सार्थक होती है?