रविवार दिल्ली नेटवर्क
कोलकाता : पश्चिम बंगाल सरकार के सूचना एवं संस्कृति विभाग के अंतर्गत पश्चिमबंग हिंदी अकादमी ने द्विदिवसीय राष्ट्रीय लघुकथा उत्सव का आयोजन अकादमी के सभागार में किया।
इस मौके पर उद्घाटन सत्र में विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित थे- साहित्य अकादमी के क्षेत्रीय अधिकारी श्री क्षेत्रबासी नायक तथा वर्तमान पत्रिका (हिंदी) के संपादक श्री रविशंकर सिंह। इसके साथ ही देश के प्रतिष्ठित लघुकथाकारों ने जहां हिस्सा लिया वहीं बंगाल के विभिन्न भाषाओं के लघुकथाकारों तथा समीक्षकों ने शिरकत की।
कार्यक्रम का प्ररम्भ दीप प्रज्वलन से हुआ। अकादमी की सदस्य रचना सरन के संचालन में हुए इस कार्यक्रम में स्वागत वक्तव्य दे रहे थे वरिष्ठ साहित्यकार और कार्यक्रम संयोजक श्री रावेल पुष्प। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि क्षेत्रबासी नायक ने जहां लघुकथा के महत्व पर चर्चा की वहीं रविशंकर सिंह ने वर्तमान पत्रिका में इसके महत्व को स्वीकारते हुए अब से इसके रविवारीय अंक में नियमित लघुकथाएं प्रकाशित करने की घोषणा की।
उत्सव के प्रथम दिन आमंत्रित विशिष्ट लघुकथाकारों ने इसके विभिन्न आयामों पर चर्चा की, जिसमें शामिल थे- राजस्थान से पधारे डॉ. रामकुमार घोटड़ ,पंजाब से पधारे श्री जगदीश राय कुलेरियां तथा उत्तर प्रदेश के पधारीं निवेदिता श्रीवास्तव।इसके अलावे जहां प्रथम दिन हिन्दी के लघुकथाकारों ने अपनी लघुकथाओं का पाठ किया वहीं दूसरे दिन राजस्थानी, पंजाबी,आसामी,उड़िया तथा नेपाली की लघुकथाओं पर चर्चा तथा पाठ हुए, जिनमें शामिल थे- सर्वश्री अभिषेक रथ, डॉ.सत्यप्रकाश तिवारी, डॉ. रेशमी पांडा मुखर्जी,प्रो. शुभ्रा उपाध्याय, डॉ. शाहिद फ़रोगी, ओंकार बनर्जी, डॉ. शिप्रा मिश्रा,चन्दा प्रहलाद्का,मौसमी प्रसाद, सविता भुवानिया, नूपुर श्रीवास्तव, निधि कुमारी सिंह, शमशेर अली,बेबी कारफरमा, शताद्रू मजूमदार, कल्याण भट्टाचार्य तथा अन्य।
इसके अलावे दूसरे दिन के आखिरी सत्र में कोलकाता की प्रसिद्ध नाट्य संस्था लिटिल थेस्पियन के कलाकारों ने रंगकर्मी उमा झुनझुनवाला के निर्देशन में आगत विशिष्ट लघुकथाकारों की कुछ लघुकथाओं का अभिनयात्मक पाठ किया, जिससे ऐसे लगा कि पात्र मंच पर जीवंत हो उठे हों।
गौरतलब है कि बीते साल से कोलकाता में शुरू हुए इस राष्ट्रीय लघुकथा उत्सव ने न सिर्फ प्रदेश बल्कि देश में एक ख़ास पहचान बना ली है।
संलग्न चित्र: लघुकथा उत्सव का दीप प्रज्वलन कर उद्घाटन करते हुए. बायें से: रचना सरन,उत्पल पाल(अकादमी प्रशासनिक अधिकारी)रावेल पुष्प, रविशंकर सिंह, रामकुमार घोटड़, जगदीश राय कुलेरियां तथा क्षेत्रबासी नायक।