उमेश उपाध्याय पत्रकारिता एवं राष्ट्रवादी सोच के प्रतिभापुंज

Umesh Upadhyay, a genius of journalism and nationalist thinking

ललित गर्ग

पत्रकारिता के एक महान् पुरोधा पुरुष, मजबूत कलम एवं निर्भीक वैचारिक क्रांति के सूत्रधार, उत्कृष्ट राष्ट्रवादी, प्रखर मीडिया प्रशासक एवं लेखक उमेश उपाध्याय अब हमारे बीच नहीं रहे। उनका 66 वर्ष की उम्र में 1 सितम्बर 2024 को एक दुर्घटना में इस तरह अलविदा कह देना स्तब्ध कर रहा है, गहरा आघात दे रहा है, समूचा पत्रकार जगत अपने इस योद्धा को खोकर गममीन एवं दुःखी है। एक संभावनाओं भरा हिन्दी पत्रकारिता एवं राष्ट्रीय विचारों का सफर ठहर गया, उनका निधन न केवल पत्रकारिता जगत के लिये बल्कि भारत की राष्ट्रवादी सोच के लिये अपूरणीय क्षति है। टेलीविजन, प्रिंट, रेडियो और डिजिटल मीडिया में चार दशकों से अधिक के अपने करियर के दौरान उन्होंने प्रमुख मीडिया संगठनों में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं। मीडिया उद्योग की बारीकियों की गहरी समझ, पत्रकारिता की ईमानदारी के प्रति समर्पण और तेजी से बदलते मीडिया उद्योग के साथ सामंजस्य बिठाने की उनकी कुशलता के लिए वे जाने जाते थे। उमेश उपाध्याय का जीवन सफर आदर्शों एवं मूल्यों की पत्रकारिता की ऊंची मीनार है। उनका निधन एक युग की समाप्ति है।

उमेश उपाध्याय वरिष्ठ भारतीय टेलीविजन पत्रकार, लेखक और मीडिया कार्यकारी थे। उनकी पुस्तक “वेस्टर्न मीडिया नैरेटिव्स ऑन इंडिया-गांधी टू मोदी” विदेशी मीडिया के भारत विरोधी एजेंडे की संदिग्धता को उजागर करती है। विदेशी मीडिया की भारत विरोधी साजिश को भी बेनकाब करने में इस पुस्तक की महत्वपूर्ण भूमिका है। टीआरपी की रेस में तेजी से दौड़ते न्यूज़ चैनल के प्रमुख कर्ताधर्ता होने के बावजूद औरों से इतर, चीख-चीत्कार से दूर रचनात्मक एवं सृजनात्मक टीवी पत्रकारिता करते हुए उन्होंने जो मूल्य-मानक स्थापित किये, वे लम्बे दौर तक अविस्मरणीय रहेंगे। उनकी बड़ी विशेषता रही कि वे अपने सहकर्मियों के साथ सहज, सरल और शालीन व्यवहार करते हुए सबके प्रिय एवं आत्मीय बने रहे। उमेश उपाध्याय ने बदलते समय और तकनीक के साथ-साथ अपनी कम्युनिकेशन स्किल को और ज्यादा धार दी। वे एक स्वतंत्र लेखक, स्वतंत्र मीडिया सलाहकार और विश्लेषक भी थे। उन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड में मीडिया के अध्यक्ष और निदेशक के रूप में काम किया, इससे पहले वे नेटवर्क 18 में समाचार के अध्यक्ष थे। मीडिया और शिक्षा जगत में अपने 25 साल से ज्यादा लंबे करियर के दौरान उन्होंने जनमत टीवी में चैनल हेड, ज़ी न्यूज़ में कार्यकारी निर्माता और आउटपुट संपादक, होम टीवी में कार्यकारी निर्माता, दूरदर्शन के संवाददाता और प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया में उप संपादक रहे। उन्होंने सब टीवी में भी काम किया। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में एक व्याख्याता के रूप में अपना करियर शुरू किया, ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) के साथ एक राजनीतिक विश्लेषक और टिप्पणीकार रहे हैं और एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया के सदस्य भी रहे हैं।

1959 में मथुरा में जन्मे उपाध्याय ने 1980 के दशक की शुरुआत में पत्रकारिता को करियर के रूप में अपनाया। उपाध्याय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र थे। उन्होंने जेएनयू के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज से मास्टर्स और एम.फिल किया और दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद के सदस्य के रूप में कार्य किया।

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय जनसंचार एवं पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल की प्रबंध समिति और कार्यकारी परिषद, राष्ट्रीय जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान, अहमदाबाद की सलाहकार परिषद, आईआईएमसी सोसाइटी, भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली की कार्यकारी परिषद और भारतीय राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय सोसाइटी (एनओएस) के कार्यकारी बोर्ड के वे सदस्य रहे।

उपाध्याय को पत्रकारिता और मीडिया के क्षेत्र में आजीवन योगदान के लिए गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे एक सार्वजनिक वक्ता और मीडिया मुद्दों के विशेषज्ञ भी थे। उपाध्याय समसामयिक राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर नियमित टिप्पणीकार एवं स्तंभकार थे। उपाध्याय ने रायपुर में दिशा एजुकेशन सोसाइटी के निदेशक के रूप में शैक्षणिक क्षेत्र में एक वरिष्ठ पद संभाला। उन्होंने दिशा ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशंस के मामलों का प्रबंधन किया और उन्हें दिशा विश्वविद्यालय के प्रो वीसी के रूप में नामित किया गया था। उपाध्याय नई दिल्ली में नारद जयंती पुरस्कारों के लिए जूरी के सदस्य भी थे। उपाध्याय भोपाल के माखन लाल राष्ट्रीय पत्रकारिता और जनसंचार विश्वविद्यालय के लिए एक नए कुलपति का चयन करने वाली खोज समिति के सदस्य भी थे।

उमेश उपाध्याय को निर्भीक विचारों, स्वतंत्र लेखनी और बेबाक राजनैतिक टिप्पणियों के लिये जाना जाता रहा है। उनको पढ़ने वाले लोगों की संख्या लाखों में है और अपने निर्भीक लेखन से वे काफी लोगों के चहेते थे। उन्होंने पत्रकारिता में उच्चतम मानक स्थापित किये। अपनी कलम के जरिये उन्होंने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी कलम जब भी चली उन्होंने लाखों लोगों की समस्याओं को सरकारों और प्रशासन के सामने रखा और भारतीय लोकतंत्र में लोगों की आस्था को और मजबूत बनाने में योगदान दिया। हम उन्हें भारतीयता, पत्रकारिता का अक्षयकोष कह सकते हैं, वे चित्रता में मित्रता के प्रतीक थे तो गहन मानवीय चेतना के चितेरे जुझारु, निडर, साहसिक एवं प्रखर व्यक्तित्व थे। वे एक ऐसे बहुआयामी व्यक्तित्व थे, जिन्हें पत्रकार जगत का एक यशस्वी योद्धा माना जाता है। उन्होंने आमजन के बीच, हर जगह अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया।

लाखों-लाखों की भीड़ में कोई-कोई उपेशजी जैसा विलक्षण एवं प्रतिभाशाली व्यक्ति जीवन-विकास की प्रयोगशाला में विभिन्न प्रशिक्षणों-परीक्षणों से गुजर कर महानता का वरण करता है, विकास के उच्च शिखरों पर आरूढ़ होता है और अपनी मौलिक सोच, कर्मठता, कलम, जिजीविषा, पुरुषार्थ एवं राष्ट्र-भावना से समाज एवं राष्ट्र को अभिप्रेरित करता है। उन्होंने आदर्श एवं संतुलित समाज निर्माण के लिये कई नए अभिनव दृष्टिकोण, सामाजिक सोच और राष्ट्रीयता से ओतप्रोत सकारात्मक वातावरण निर्मित करने की शुरुआत की। देश और देशवासियों के लिये कुछ खास करने का जज्बा उनमें कूट-कूट कर भरा था। वे समाज एवं पत्रकारिता के लिये पूरी तरह समर्पित थे। उनके जीवन से जुड़ी विधायक धारणा और यथार्थपरक सोच ऐसे शक्तिशाली हथियार थे जिसका वार कभी खाली नहीं गया। वे जितने उच्च नैतिक-चारित्रिक पत्रकार थे, उससे अधिक मानवीय एवं सामाजिक थे। उनके जीवन के सारे सिद्धांत मानवीयता एवं राष्ट्रीयता की गहराई ये जुड़े थे और उस पर वे अटल भी रहते थे।

किन्तु किसी भी प्रकार की रूढ़ि या पूर्वाग्रह उन्हें छू तक नहीं पाता। वे हर प्रकार से मुक्त स्वभाव के थे और यह मुक्त स्वरूप भीतर की मुक्ति का प्रकट रूप है।

उमेश उपाध्याय के नेतृत्व में ज़ी न्यूज़ ने अपनी पहुंच और प्रभाव का काफ़ी विस्तार किया, और पूरे भारत में एक जाना-माना नाम बन गया। उनके कुशल मीडिया प्रबंधन और सामग्री वितरण के लिए दूरदर्शी दृष्टिकोण के कारण उनके साथियों में भी उनका काफी सम्मान था। अपने पूरे करियर के दौरान, उमेश उपाध्याय को ज़िम्मेदार पत्रकारिता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता था। उन्होंने समाचारों के नैतिक प्रसार का समर्थन किया और पत्रकारों की अगली पीढ़ी को मार्गदर्शन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी अध्यात्म में गहरी रुचि एवं उनका खुद गहरा आध्यात्मिक चिंतन था। भारत के संतों एवं आध्यात्मिक गुरुओं में वे बड़ी आस्था रखते थे और अक्सर उनसे मिलकर गहन चर्चाएं करते थे। उनके घर का परिवेश भी अध्यात्ममय था, जहां रामायण आदि का पाठ अक्सर होता रहता था। वे नए तरीके से सोचने में विश्वास रखते थे यही वजह है कि उन्होंने उसे समय पर न्यूज़ और व्यूज यानी जनहित एवं मनोहारिता को मिक्स करने के कई प्रयोग किये और वे सफल भी रहे, जिन्हें बाद में कई लोगों ने आजमाया। उन्होंने डिजिटल मीडिया की इतनी संभावनाओं से करीब एक दशक पहले ही यह बात कह दी थी कि आने वाला समय टेलीविजन से हटकर मोबाइल में सिमट जाएगा।

उमेशजी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व सफल प्रखर पत्रकार, लेखक, कुशल मीडिया प्रशासक के रूप में अनेक छवि, अनेक रंग, अनेक रूप में उभरकर सामने आता हैं। आपके जीवन की दिशाएं विविध एवं बहुआयामी थीं। आपके जीवन की धारा एक दिशा में प्रवाहित नहीं हुई, बल्कि जीवन की विविध दिशाओं का स्पर्श किया। यही कारण है कि कोई भी महत्त्वपूर्ण क्षेत्र आपके जीवन से अछूता रहा हो, संभव नहीं लगता। आपके जीवन की खिड़कियाँ पत्रकारिता, समाज एवं राष्ट्र को नई दृष्टि देने के लिए सदैव खुली रही। उनकी सहजता और सरलता में गोता लगाने से ज्ञात होता है कि वे गहरे मानवीय सरोकार से ओतप्रोत एक अल्हड़ व्यक्तित्व थे। बेशक उमेशजी अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन अपने सफल लेखक-पत्रकार जीवन के दम पर वे हमेशा भारतीय पत्रकारिता के आसमान में एक सितारे की तरह टिमटिमाते रहेंगे। वे व्यक्ति नहीं बल्कि मिशन थे। उनका निधन एक आदर्श एवं बेबाक सोच की पत्रकारिता का अंत है। वे सिद्धांतों एवं आदर्शों पर जीने वाले व्यक्तियों की श्रृंखला के प्रतीक थे।