रविवार दिल्ली नेटवर्क
सांप पकड़ने में माहिर पिता पुत्री, हर किसी की मदद को रहते हैं हर समय तैयार, जहरीले से जहरीले सांप को चुटकी में पकड़ लेती है दामिनी।
ऊना : जब भी किसी के घर में कोई सांप दिखाई देता है तो वह सांप जहरीला है या नहीं यह सोच विचार किए बिना वहां चीखोपुकार मच जाती है। लेकिन ऊना शहर और आसपास के लोगों के लिए एक पिता पुत्री इन सांपों से बचने का सबसे सुरक्षित और आसान तरीका बनाकर हर समय उपलब्ध रहते हैं। शहर और आसपास के क्षेत्र ही नहीं बल्कि दूरदराज के लोग भी जहरीले सांप निकलने पर इन्हें मदद के लिए पुकारते हैं और यह फौरन मौके पर पहुंचकर उन सांपों को काबू करते हैं।
हम बात कर रहे हैं शहर से सटे रामपुर के रहने वाले जितेंद्र कुमार और उनकी बेटी दामिनी की। जितेंद्र कुमार सालों से सांप पकड़ने का काम कर रहे हैं हालांकि वह एक तरह से सांप को रेस्क्यू करते हैं और उसे सुरक्षित जगह पर ले जाकर छोड़ देते हैं। लेकिन हिमाचल प्रदेश के इस क्षेत्र में जहरीले से जहरीले सांप आसानी से उपलब्ध होने के चलते कई बार लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है लिहाजा अकेले जितेंद्र कुमार के लिए इन सारी चीजों को मैनेज करना आसान नहीं था। जिसके चलते उन्होंने अपनी बेटी दामिनी को प्रोत्साहित करते हुए सांप पकड़ने की कला में पारंगत किया। अब बेटी भी पिता के कंधे से कंधा मिलाते हुए पिछले 3 सालों से छोटे-बड़े और जहरीले हर प्रकार के सांपों को सफलतापूर्वक रेस्क्यू कर रही है।
इस दुनिया में सांप एक ऐसा प्राणी है जो किसी के भी सामने आने पर उसे बिना डसे दहशत में डाल सकता है। हिमाचल प्रदेश का ऊना जिला ऐसा क्षेत्र है जहां पर किंग कोबरा और रसल वाइपर जैसे जहरीले और खतरनाक सांप आम पाए जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक हर वर्ष करीब 70 से 100 तक लोगों की मौत सांप के डसने से ऊना जिला में हो जाती है। लोगों को ऐसी ही मुसीबत से बचने के लिए शहर से सटे रामपुर के रहने वाले जितेंद्र कुमार और उनकी बेटी दामिनी हर प्रकार के सांप को रेस्क्यू करने और लोगों को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
मूल रूप से जितेंद्र कुमार कई सालों से सांप पकड़ने का काम करते आए हैं, लेकिन अब उन्होंने अपनी बेटी को भी इस काम में पूरी तरह पारंगत करते हुए लोगों की मदद के लिए आगे आने को प्रेरित किया है। सांप का रेस्क्यू करने में पिता की मदद करने वाली दामिनी हमेशा तत्पर रहती है कि वह अब तक जहरीले से जहरीले कई प्रकार के सांपों को रेस्क्यू कर चुकी है और यह काम उन्होंने अपने पिता से सीखा है।
हालांकि आज तक सरकार ने इस परिवार की कोई आर्थिक मदद नहीं की लेकिन दामिनी को लोगों की रक्षा करने के लिए गणतंत्र दिवस पर विशेष रूप से सम्मानित किया जा चुका है। जिला में प्रतिवर्ष सांप के डसने से औसतन 70 से 100 के करीब लोगों की मौत होती है जिसके चलते दामिनी लोगों को यह संदेश देती है कि इस प्रकार की घटना होने पर झाड़ फूंक के चक्कर में पड़ने की बजाय मरीज को सीधा अस्पताल लेकर जाएं।
सांप रेस्क्यू करने में माहिर रामपुर के रहने वाले जितेंद्र कुमार का कहना है कि वे भगवान काल भैरव की कृपा से कई सालों से सांपों को रेस्क्यू करने का काम करते आ रहे हैं। बेटी दामिनी को सांप रेस्क्यू करने की शिक्षा देने के संबंध में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए जितेंद्र ने कहा कि उन्होंने कभी भी बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं समझा जब एक बेटी देश की प्रधानमंत्री बन सकती है तो एक बेटी सांप रेस्क्यू करने का काम क्यों नहीं कर सकती। इसके बाद अब दामिनी बेख़ौफ़ होकर अकेले भी इस काम को अंजाम देती है।
हालांकि इस परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है जितेंद्र कहते हैं कि यदि इस काम को करते हुए कभी सांप उन्हें डस भी दे तो उसका इलाज करवाने के लिए भी उनके पास पर्याप्त धनराशि नहीं है। जितेंद्र बताते हैं कि सांप रेस्क्यू करने के लिए वह अपने जिला के सभी पांच उपमंडलों में जा चुके हैं जबकि इसके अतिरिक्त मंडी जिला तक के लोग भी उन्हें इस काम के लिए बुला चुके हैं।