अस्वच्छता किसी जघन्य अपराध से कम नहीं, यह राष्ट्र की उन्नति एवं विकास में अवरोध पैदा करती है

Uncleanliness is no less than a heinous crime; it creates obstacles in the progress and development of the nation

गंदगी जान लेवा है इसमें हो, सजा एवं भारी दण्ड का प्रावधान

के.के. गुप्ता

भारतवासियों को यह बात भली भाँति समझनी होगी कि आजादी के 100 वर्ष बाद वर्ष 2047 में जब हम अपने देश भारतवर्ष की स्वतंत्रता की 100 वीं जयंती मनाएंगे तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कल्पना के अनुरूप ”विकसित भारत के लक्ष्य को हम ”स्वच्छ भारत” के बिना किसी भी हालात में पूरा नहीं कर पायेंगे। इसलिए हर भारतीय को प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के सपनों के भारत को साकार बनाने में जुटना पड़ेगा और स्वच्छता को बहुत ही गंभीरता के साथ अंगीकार करना होगा।

अंग्रेजों की सदियों पुरानी गुलामी से भारत को आजाद कराने के लिए चलाये जा रहें स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान भी राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने स्वच्छता को सर्वोपरी रखा था। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 में स्वच्छ भारत बनाने की कल्पना इसी भावना के साथ की शुरु की थी। स्वच्छता आन्दोलन एक ऐसा राष्ट्रीय मिशन है जोकि भारत के 142 करोड़ देशवासियों के जीवन को ही नहीं वरन् भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि और अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करने वाला हैं।

देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डालती है अस्वच्छता

गंदगी देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डालती है। आज हम देख रहे हैं केन्द्र और राज्यों की सरकारों को मुफ्त इलाज की कई योजनाएं चलानी पड़ रहीं हैं। केंद्र सरकार भी गरीबों के इलाज के लिए आयुष्मान बीमा योजना चला रही हैं जिसमें 5 लाख रु. तक के मुफ्त इलाज का प्रावधान हैं। स्वास्थ्य की इन योजनाओं पर करोड़ो रुपया खर्च हो रहा हैं। सरकारों का विकास कार्यों पर खर्च किया जाने वाला पैसा आज आयुष्मान जैसी योजनाओं पर खर्च करना पड़ रहा है। गरीब के इलाज के नाम पर प्राइवेट हॉस्पिटल धन्य हो रहें हैं। आज लोगों को इस बात को समझना होगा अगर हम शहर एवं गांवों को स्वच्छ बना देंगे तो आयुष्मान जैसी योजनाओं की भारी राशि की बचत होगी और आमजन स्वस्थ रहने के साथ-साथ लंबी उम्र भी प्राप्त कर सकेगा। कानून में किसी व्यक्ति को मारने का प्रयास करने वालों के विरुद्ध फांसी तक की सजा का प्रावधान है जबकि दूसरी तरफ हमारे देश में गंदगी में पाए जाने वाले कीटाणुओं से फैलने वाली बीमारी उल्टी, दस्त, टाइफाइड, मलेरिया, डेंगू, बुखार से मरने वालों की संख्या अनगिनत है। ऐसे में जो लोग गंदगी फैला रहे हैं उनके विरूद्ध भी ऐसी ही सजा और कठौर आर्थिक दण्ड का प्रावधान क्यों नहीं होना चाहिए? क्योंकि अस्वच्छता भी किसी जघन्य अपराध से कम नहीं है।

प्रधानमंत्री ने दिया स्वच्छता को ”जन आंदोलन” का स्वरूप

प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भारत में स्वच्छता के लिए महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय मिशन शुरु करवा देश में स्वच्छता को ”जन आंदोलन” का स्वरूप दिया गया हैं। आज केन्द्र और राज्य सरकारें शहरों और गाँवों में गंदगी को साफ करने के लिए सफाई कर्मचारियों, सीवरेज, सफाई मशीनों आदि पर भारी धन राशि खर्च कर रही है परंतु इसके बावजूद आज भी हमारे देश के अधिकांश शहर एवं गांव गंदगी से अटे पड़े है। प्रधानमन्त्री मोदी के आह्वान पर भारत में स्वच्छता अभियान को प्रारम्भ में अभूतपूर्व सफलता मिली थी और देश के इंदौर, सूरत और डूंगरपुर जैसे कई छोटे एवं बड़े शहरों ने स्वच्छता के क्षेत्र में अकल्पनीय कार्य किया था और इन शहरों में आज भी स्वच्छता का यह कार्य निर्बाध ढंग से किया जा रहा हैं लेकिन देश की राजधानी नई दिल्ली सहित अनेक शहरों की सिरत और सूरत अभी भी नहीं बदली हैं। दुर्भाग्य वश स्वच्छता के लिए जिस ईमानदारी से कार्य होना चाहिए था वह अधिकांश जगहों पर नहीं हों रहा हैं। आज हम देख रहे हैं कि स्वच्छता आंदोलन में सभी अधिकारियों, कर्मचारियों और जनता का अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने से यह अभियान जन आंदोलन बन सफलता के सौपान नहीं छू पा रहा है। हालांकि यह कार्य बिल्कुल असंभव नहीं हैं। इसमें राजनीतिक और प्रशासनिक इच्छा शक्ति की आवश्यकता हैं। यदि स्वच्छता को आर्थिक दण्ड और कठौरतम दण्ड से जोड़ दिया जाये तो कोई ताकत देश को स्वच्छ होने से नहीं रोक सकती। आज जरूरत सिर्फ इस बात की हैं कि स्वच्छता से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी थोड़ी सी सख्ती से इस कार्य को करें तो स्वच्छता को आसानी से धरातल पर उतारा जा सकता है लेकिन अनुभव किया जा रहा है कि जो रूचि होनी चाहिए वह नही बन पा रही है, जबकि स्वच्छता अभियान की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि अधिकारी एवं कर्मचारी जनता के साथ मिलकर इसे ”जन आंदोलन” बनाने की जरूरत है।

स्वच्छ भारत मिशन के तहत नाइट स्वीपिंग का कार्य अगर व्यवस्थित किया जाता है तो कॉमर्शियल एरिया वाले शहरों और गाँवों में चोरी पर प्रतिबंध लग सकता है तथा कचरा सेग्रीगेशन में अगर हम शहर के सारे याचक और भिक्षावृत्ति में लगे लोगों को लगा दें या कचरा चुकने वालों को लगा दें तो घरों में रात में घरो मे होने वाली चोरियाँ भी बंद हो जाएगी तथा वास्तविक जरूरतमंद लोगों को रोजगार भी मिलेगा। स्वच्छता एक सेवा भी है और बेरोजगारों के लिए एक बहुत बड़े रोजगार का साधन भी। पहले लोग घरों के कचरे को अनुपयोगी समझ उन्हें बाहर फैंक देते थे परंतु आज यह कचरा मात्र कचरा ना होकर लोगों की आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी बन गया हैं। आज कचरे से ऊर्जा एवं जैविक खाद तक बनाई जा रहीं है।

स्वच्छता के क्षेत्र में किए गए सराहनीय कार्यों के लिए दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी बहुल वागड़ अंचल के ऐतिहासिक डूंगरपुर शहर की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्रियों तथा देश के अनेक नेताओं, वरिष्ठ अधिकारियों और अन्य विशिष्ठ जनों ने सराहना की हैं। विदेशों में भी डूंगरपुर की स्वच्छता की प्रशंसा हुई है तथा स्थानीय निकाय को कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड भी मिलें हैं। डूंगरपुर नगर परिषद के स्वच्छता के क्षेत्र में आदर्श निकाय बनने का राज यहाँ के सभी जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, कर्मचारियों और स्थानीय नागरिकों का एकजुट प्रयास एवं सहयोग रहा हैं जिसके कारण स्वच्छता को सही मायने में धरातल पर उतारा जा सका हैं। इसी तर्ज पर अब वागड़ क्षेत्र के बांसवाड़ा को भी स्वच्छता के क्षेत्र में अव्वल बनाने के लिए गंभीर प्रयास शुरु किए गए हैं तथा जन प्रतिनिधियों, अधिकारियों, कर्मचारियों एवं जनता से पूर्ण सहयोग मिल रहा है। उम्मीद है कि आने वाले समय में सभी के सहयोग से बांसवाड़ा भी स्वच्छ बांसवाड़ा कहलाएगा।

स्वच्छता में देवी देवताओं का वास होता है

वैदिक मान्यताओं के अनुसार स्वच्छता में देवी देवताओं का वास होता है और जिस शहर और गाँव में देवी देवताओं का वास होगा उसका विकास एवं उत्थान दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती। हमारे देश भारत को अपनी समृद्धि और महान संस्कृति और आध्यात्मिक विरासत के कारण ही सदैव विश्व गुरु का सम्मान मिला हैं और आज प्रयागराज में सम्पन्न हुआ विश्व और सदी का सबसे बड़ा महाकुम्भ भी इस बात का प्रमाण है कि दृढ़ राजनीतिक और प्रशासनिक इच्छा शक्ति के कारण करीब सत्तर करोड़ लोगों के एक ही स्थान पर एकत्रित होने तथा गंगा, यमुना और लुप्त सरस्वती नदियों के पवित्र संगम में स्नान करने के बावजूद इन नदियों की धारा निर्मल रूप से प्रवाहमान हैं। धरती हमारी माता है और इसे पवित्र (स्वच्छ) रखना हम सब की प्रथम जिम्मेदारी है।

आओ हम सब मिलकर देश के यशस्वी प्रधानमंत्री एवं यशस्वी मुख्यमत्री की भावना अनुरुप स्वच्छता को धरातल पर उतारें।

( लेखक के के गुप्ता राजस्थान सरकार के स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण) समन्वयक और पूर्व स्वच्छता ब्राण्ड एम्बेसेडर हैं। साथ ही वे राजस्थान में शेखावाटी और बांसवाड़ा अंचल के नगर निकायों के न्याय मित्र तथा वैश्य और अग्रवाल समाज तथा चेम्बर ऑफ कॉमर्स सहित कई संस्थाओं के अग्रणी नेता एवं डूंगरपुर नगरपरिषद के पूर्व अध्यक्ष भी हैं)