धड़कनों को समझें और जान की चुनौतियों को दें मात

Understand the heartbeat and overcome the challenges of life

ऋतुपर्ण दवे

समय से पहले दुनिया भर में हो रही मौतों की वजहों में सबसे ज्यादा उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर भी है। चिकित्सकीय भाषा में यह हाइपरटेंशन है। बदलता आम जनजीवन, दिनचर्या, भागदौड़ और तनाव भरी जिंदगी में यह कब घर कर जाता है, अमूमन पता नहीं चलता। आज यह वो वैश्विक रोग बन गया है जिसके अधिकतर प्रभावितों को बड़ा खामियाजा भुगतने के बाद समझ आता है। दबे पांव शरीर को घेरते इस रोग को साइलेंट किलर भी कहते हैं। विडंबना देखिए कि हर हाथों में वाट्स ऐप यूनिवर्सिटी का ज्ञान बघारते, नुस्खा बताते स्क्रीन पर घण्टों समय बिताने के बावजूद हर साल विश्व में लगभग 7.5 मिलियन लोग जान गंवा देते हैं।

आहिस्ता-आहिस्ता मौत की दस्तक देता उच्च रक्त चाप आसानी से समझा जा सकता है। शरीर को संकेत मिलने लगते हैं। लेकिन समझ कर नजर अंदाज करना इतना भारी पड़ता है कि प्रायः लोग, जान देकर कीमत चुकाते हैं। त्वरित सूचना के दौर में भी जागरूकता और अनभिज्ञता की ऐसी चूक मौत का आंकड़ा बढ़ाती है। कह सकते हैं कि अब यह, महामारी की शक्ल अख्तियार करता जा रहा है। एकाएक हार्ट अटैक या सड़क चलते, वाहन चलाते आई मौतों की चिंताजनक घटनाओं में उच्च रक्तचाप वजह होती है।

ऐसा नहीं कि इसे पहचानना कठिन हो। हमारे शरीर में बदलते लक्षणों जैसे सिर में भारीपन, आंखों में धुंधलका छाना, चक्कर आना भी इसके लक्षण हो सकते हैं। साधारतणतया इन्हें सामान्य समझ नजर अंदाज कर देते हैं और ऐसे परिवर्तनों के आदी हो जाते हैं। जाने-अनजाने उक्त रक्तचाप के साथ जीने लग जाते हैं। यही बाद में एकाएक बड़ी मुसीबत को न्यौता देता है और प्रायः नतीजा मौत तक में बदल जाता है।

ऐसा भा नहीं कि बढ़े रक्तचाप पर हर बार चिकित्सक के पास जाना पड़े। नियमित निगरानी, थोड़े अहतियात, जरा सी सतर्कता और जिव्हा पर नियंत्रण से काफी इसके दुष्प्रभावों को रोका जा सकता है। लक्षण की सामान्यतः सटीक जानकारी मिल ही जाती है। स्वचलित माप मशीन से रक्तचाप का एक चार्ट बना, इसकी प्रवृत्ति समझ, रोका जा सकता है। रक्तचाप किस वक्त कितना बढ़ता है, किन कारणों से बढ़ता है जैसी बातें आसानी से समझी जा सकती हैं। बस इन्हें समझने, नियंत्रित करने या प्रभावित करने वाले तौर-तरीकों में सुधार कर उच्च रक्तचाप पर काबू संभव है।

अनियंत्रित, अब तो फास्ट फूड जैसा चटखारे वालो खान-पान भी उक्त रक्तचाप के कारण हैं। सब जानते हैं कि ज्यादा नमक रक्तचाप बढ़ा, शरीर के लिए जहर होता है। फिर भी परहेज नहीं करते! ज्यादा नमक रक्त संचार प्रणाली में वो रासायनिक अभिक्रियाएं करता है जिससे रक्तचाप बढ़ाता है। ज्यादा मात्रा से रासायनिक तत्व की अधिकता रक्त और दूसरे अंगों को घातक नुकसान पहुंचाते हैं। मस्तिष्क, गुर्दा, धमनियां और रक्त शिराएं यहां तक हृदय की धड़कन भी प्रभावित होती है। ऐसी अनियमितताएं या अनदेखी जानते-समझते हुए बड़ी जोखिम बन जानलेवा बन जाती है।

खानपान की बिगड़ी आदतों खासकर अधिक सोडियम, कम पोटेशियम, अत्यधिक शराब का सेवन, धूम्रपान, वजन बढ़ना, मोटापे पर काबू नहीं जैसी स्थितियां उच्च रक्तचाप की बेहद अनुकूल परिस्थितियां होती हैं। जबकि इन्हें नियंत्रित कर सकते हैं। सामान्यतः व्यस्तता कहें या पाश्चात्य अंधानुकरण, न तो हमारे सोने का समय तय है और न उठने का। सुबह-शाम की सैर, व्यायाम, बाग-बगीचों में घूमना, लंबा टहलने की आदत से न केवल उक्त रक्तचाप बल्कि दूसरी बहुत सी बीमारियों को आसानी से मात दी जा सकती है।

लेकिन हम हैं कि हर दिन बहुमूल्य 6-7 घण्टे हाथ में स्क्रीन पकड़, मस्तिष्क के साथ, हथेली, उंगलियों और आँखों पर अत्याचार करते हैं। कैसे बेपहरवाह हैं? जल्दी यह, दुनिया की बहुत बड़ी बीमारी बल्कि वो महामारी बनेगी जो न छुआछूत, न आनुवांशिकी होगी बल्कि अपनी हरकतों से पाई होगी। मोबाइल में ज्यादा वक्त बिताने वालों में उक्त रक्तचाप, चिड़चिड़ाहट, गर्दन, कमर, पीठ और सिर में दर्द जैसी शिकायतें आम हो रही हैं।

सुबह-शाम घूमने-फिरने वालों की संख्या उंगलियों में गिनने लायक रह गई है। फिटनेस का आसान और निःशुल्क वरदान भूलते जा रहे हैं। नींद खुलते ही बिस्तर पर पड़े-पड़े पहले हाथों, आंखों व दिमाग पर जोर डालकर स्क्रीन पर मिनटों बिताएंगे। बिस्तर छोड़ते ही गर्दन, कमर और सिर दर्द की शिकायत करेंगे। रात भर शरीर मिले आराम को उठते ही स्क्रीन को समर्पित कर, उठने से पहले फिर वही तनाव, आपाधापी, बेफिजूल संदेशों, वीडियो, शॉर्ट्स, रील को देख बढ़े रक्तचाप और तनाव से घिर जाएंगे। यह शरीर ही नहीं बल्कि समाज के साथ भी अत्याचार और धोखा नहीं तो क्या है? हम समाज में स्वस्थ भागीदारी जगह रोज अनजाने साइलेंट किलर के हाथों खेलने लगते हैं। सोचिए, कितना बड़ा जोखिम ले रहे हैं?

विश्व हाइपरटेंशन लीग यानी डब्ल्यूएचएल जिसे अंतर्राष्ट्रीय उच्च रक्तचाप सोसायटी ने स्थापित किया, 2005 से हर साल अलग-अलग विषयों पर इस दिन का आयोजन कर लोगों को जागरूक व सचेत करने का नेक काम कर रही है। इस वर्ष “अपने रक्तचाप को सही तरीके से मापें, इसे नियंत्रित करें, लंबे समय तक जियें” के साथ स्वतः रक्तचाप को मापने, समझने और नियंत्रित करने की विश्व व्यापी पहल बेहद खास है। इससे शारीरिक गतिविधियां भी समझ पाएंगे जिससे निदान की समझ बढ़ेगी। आंकड़ों, घटनाओं को देखकर भी इस पर नहीं चेते तो मान लीजिए रोज आ मौत मुझे मार को निमंत्रण दे रहे हैं।
मौत को चुनौती देते रक्तचाप को महज मापकर चुनौती संभव है। स्वस्थ जीवन के लिए आसान शारीरिक गतिविधियां जीवन को स्वस्थ और दीर्घायु बनाने में सक्षम हैं। आइए, आज ही हम भी क्यों न इस मुहिम का हिस्सा बन स्वस्थ शरीर की दिशा में एक कदम और बढ़ाएं।