
डॉ. सतीश “बब्बा”
जिलाधिकारी की जन सुनवाई जारी थी। साहब सही समय पर अपने जनता दरबार में उपस्थित थे।
बीरपुर गांव भारी आबादी वाला था और भी उस गांव के आसपास के गांव भी भारी आबादी वाले थे। करीब लाखों की आबादी उच्च शिक्षा से दूर थी। इसलिए बीरपुर के रामू ने एक योजना बनाई थी।
बीरपुर का रामू अपने दोस्त को लेकर जिलाधिकारी के जनता दरबार में पहुंच गया।
दो अधिकारी अपर जिलाधिकारी ( वित्त )साहब और उप जिलाधिकारी सदर साहब अगल बगल से प्रार्थना पत्र ले रहे थे।
जब रामू की बारी आई तब रामू ने इंटरकालेज की मांग है पूछने पर बताया। उप जिलाधिकारी महोदय को लगा कि, यह स्कूल की मानता वाला है। इसमें तो मोटी रकम मिल सकती है।
उपजिलाधिकारी ने कहा, “जब हमसे मांगा जाएगा तब हम लिख देंगे!”
रामू ने कहा, “मैं स्कूल की मानता के लिए नहीं आया हूं; आप प्रार्थना पत्र पढ़िए!”
तब जिलाधिकारी महोदय ने कहा, “ठीक है मैं लिखूंगा!”
ऐसी समझ है अधिकारियों की! राम ही बचाएगा उस देश को जहां प्रार्थना पत्र लेकर अधिकारी पढ़ते नहीं और अपने से नीचे के अधिकारियों को भेजते रहते हैं!