सुनील कुमार महला
11 दिसंबर को ‘यूनिसेफ स्थापना दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। ‘यूनिसेफ’ मतलब ‘यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रंस फंड।’ यानी कि ‘संयुक्त राष्ट्र बाल कोष।’ पाठकों को बताता चलूं कि यूनिसेफ एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जो बच्चों के अधिकारों, कल्याण, विकास एवं सुरक्षा के लिए काम करता है तथा इसकी स्थापना 1946 में हुई थी।यह दिवस संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बच्चों की तबाही, उन्हें कुपोषण से बचाने, आपदा प्रभावित बच्चों की मदद करने, स्वास्थ्य और शिक्षा आदि को सुनिश्चित करने के लिए स्थापित किया गया था। प्रारंभ में इसे बच्चों की आपातकालीन मदद के लिए स्थापित किया गया था; लेकिन बाद में इसका कार्यक्षेत्र बच्चों के दीर्घकालीन विकास, स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, संरक्षण आदि की ओर विस्तारित हुआ। कहना ग़लत नहीं होगा कि इस संस्था यानी कि यूनिसेफ ने समय के साथ-साथ कई अंतरराष्ट्रीय अभियानों, कार्यों और साझेदारियों के जरिये दुनिया भर में बच्चों के अधिकारों और भलाई के लिए अपना महत्वपूर्ण और अहम् योगदान दिया है। वास्तव में सच तो यह है कि यूनिसेफ का मूल उद्देश्य दुनिया भर के बच्चों की भौतिक(अच्छा भोजन, साफ पानी, सुरक्षित घर, टीकाकरण, इलाज, साफ-सफाई और खतरों से सुरक्षा), मानसिक (बच्चे में सकारात्मक सोच का विकास करना तथा बच्चे को भावनात्मक सुरक्षा प्रदान करना) और सामाजिक भलाई(समाज में सम्मानजनक स्थान प्रदान करना,घर व स्कूल में सुरक्षित व सहयोगी वातावरण प्रदान करना)सुनिश्चित करना है। वास्तव में, यहां यदि हम सरल शब्दों में कहें तो इनमें क्रमशः स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छ पानी, स्वच्छता, सुरक्षा और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा जैसी बुनियादी आवश्यकताएँ शामिल हैं। यह हर बच्चे को जीवन के शुरुआती वर्षों में आवश्यक देखभाल, टीकाकरण, पोषण और संरक्षण उपलब्ध कराने पर विशेष जोर देता है, ताकि उनका विकास मजबूत नींव पर हो सके। यूनिसेफ बच्चों को गरीबी, असमानता, हिंसा, भेदभाव और विभिन्न जोखिमों से बचाने के लिए निरंतर काम करता है और आपदाओं, युद्ध या किसी भी मानवीय संकट के दौरान बच्चों एवं परिवारों को तत्काल राहत और पुनर्वास उपलब्ध कराता है। शिक्षा को सार्वभौमिक अधिकार मानते हुए यह सुनिश्चित करता है कि लड़कियों, वंचित समुदायों और कमजोर समूहों के बच्चों तक शिक्षा की बराबर पहुँच बने, ताकि अवसरों की खाई कम हो सके। इसके साथ ही यूनिसेफ लैंगिक समानता, समावेशिता और बच्चों के सर्वांगीण, सुरक्षित और सकारात्मक विकास को बढ़ावा देता है, ताकि हर बच्चा समान अधिकारों और सम्मान के साथ एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सके। बहरहाल, पाठकों को बताता चलूं कि यूनिसेफ दिवस से जुड़ी कई ऐसी खास बातें हैं जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं। 1946 में यूनिसेफ की स्थापना वास्तव में एक अस्थायी संगठन के रूप में हुई थी, और इसका उद्देश्य केवल द्वितीय विश्व युद्ध में बुरी तरह प्रभावित यूरोप के बच्चों को भोजन, दवाइयाँ और मूलभूत सहायता पहुँचाना था। बाद में जब दुनिया भर में बच्चों की जरूरतें बढ़ती गईं, तो संगठन का स्वरूप भी वैश्विक हो गया और इसके नाम में से ‘एमरजेंसी’ शब्द हटाकर इसे स्थायी, विकास-केंद्रित संस्था के रूप में विस्तारित किया गया। वास्तव में पहले इसका नाम ‘इंटरनेशनल चिल्ड्रंस एमरजेंसी फंड'(आइसीइएफ) था, लेकिन चूंकि इस संस्था का कार्य सिर्फ आपात स्थितियों तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि वैश्विक बच्चों के विकास तक फैल गया था, इसलिए ‘एमरजेंसी’ शब्द को इससे हटा दिया गया था।बहुत कम लोगों को पता है कि यूनिसेफ को 1965 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, और यह सम्मान बच्चों के अधिकारों तथा उनकी सुरक्षा के लिए संस्थागत प्रयासों की ऐतिहासिक पहचान है। दूसरे शब्दों में कहें तो
बच्चों को युद्ध, गरीबी और भूख से राहत देने के लिए यूनिसेफ को यह पुरस्कार प्रदान किया गया था। गौरतलब है कि यूनिसेफ को बहुत से लोग आज भी रेड क्रॉस संस्था की तरह मानते हैं, लेकिन इसका काम पूरी तरह अलग है। बहरहाल, बहुत कम लोग यह बात जानते होंगे कि आज यूनिसेफ विश्व का सबसे बड़ा वैक्सीन खरीदार है।दुनिया में लगाए जाने वाले बच्चों के टीकों का लगभग 40% अकेला यूनिसेफ खरीदता है, जिससे करोड़ों बच्चों तक समय पर टीकाकरण संभव हो पाता है।
यूनिसेफ वह संस्था है जो बच्चों को आपदा, किसी युद्ध विशेष या गरीबी जैसी बहुत ही मुश्किल परिस्थितियों से बचाने के लिए ‘स्कूल-इन-अ-बॉक्स’, पोषण किट, दवाइयों के पैक और पढ़ाई की सामग्री आदि भेजता है और बच्चों को इन्हें भेजने से पहले इन सभी को पहले से बहुत ही अच्छे तरीके से जाँचा-परखा जाता है। इन्हें वैज्ञानिक तरीके से कई बार टेस्ट किया जाता है, ताकि ये हर तरह की चुनौतियों जैसे कि बाढ़, भूकंप, शरणार्थी शिविर या किसी भी आपात स्थिति में तुरंत और सुरक्षित रूप से काम आ सकें। कुल मिलाकर यूनिसेफ यह सुनिश्चित करता है कि जो भी सामान बच्चों तक पहुँचे, वह पूरी तरह भरोसेमंद, टिकाऊ और तुरंत उपयोग योग्य हो।एक और दिलचस्प तथ्य यह है कि भले ही यूनिसेफ 190 से अधिक देशों में काम करता है, लेकिन इसके उच्च-स्तर के संचालन और नीति-निर्माण केंद्र मात्र 7 वैश्विक हब-न्यूयॉर्क, जेनेवा, कोपेनहेगन, टोक्यो, फ्लोरेंस, ब्रुसेल्स और पनामा जैसे बड़े शहरों से संचालित होते हैं। इतना ही नहीं, यूनिसेफ ने दुनिया के शुरुआती ऐसे अभियानों में हिस्सा लिया था, जिनमें ईमोजी का उपयोग किसी सामाजिक उद्देश्य के लिए धन जुटाने में किया गया। वर्ष 2015 में एक खास नीला यूनिसेफ ईमोजी जारी किया गया था। लोग जब इस ईमोजी को खरीदते या उपयोग के लिए डाउनलोड करते थे, तो उससे जो भी पैसा मिलता था, वह सीधे बच्चों की मदद और उनके हितों से जुड़ी योजनाओं पर खर्च किया जाता था।इसका सीधा सा मतलब यह है कि ईमोजी के माध्यम से धन जुटाकर बच्चों के लिए काम करने का एक अनोखा अभियान था। यहां पाठकों को बताता चलूं कि ईमोजी छोटे-छोटे डिजिटल चित्र या आइकन होते हैं, जो भावनाओं, विचारों, वस्तुओं या स्थितियों को दिखाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। ये मैसेज, सोशल मीडिया पोस्ट और चैट को ज्यादा भावनात्मक, मजेदार और अभिव्यक्तिपूर्ण बनाते हैं।यूनिसेफ की एक खास पहचान यह है कि यह किसी भी सरकार या राजनीतिक दल के नियंत्रण में नहीं रहता, इसलिए युद्ध और संकट वाले क्षेत्रों में भी स्वतंत्र रूप से काम कर सकता है। राहत सामग्री देने के साथ-साथ यूनिसेफ दुनिया का सबसे बड़ा सामाजिक सर्वेक्षण ‘एमआइसीएस'(मल्टीपल इंडिकेटर क्लस्टर सर्वेज) यानी कि ‘एकाधिक संकेतक क्लस्टर सर्वेक्षण’ भी चलाता है, जिसके आंकड़े वैश्विक नीतियों और यूएन की महत्वपूर्ण रिपोर्टों का आधार बनते हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि आमतौर पर लोग इसे(यूनिसेफ को) केवल छोटे बच्चों की संस्था ही समझते हैं, पर वास्तव में यह ( यूनिसेफ) किशोरों और युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य, डिजिटल सुरक्षा, कौशल विकास और भविष्य-उन्मुख अवसरों पर भी उतना ही व्यापक काम करता है। इस तरह यूनिसेफ दिवस न केवल बच्चों की रक्षा के मिशन को याद करने का दिन है, बल्कि उस वैश्विक प्रयास का प्रतीक भी है जो दुनिया भर के हर बच्चे के अधिकार, सुरक्षा और गरिमा की रक्षा के लिए लगातार समर्पित है।अंत में यही कहूंगा कि यूनिसेफ दिवस हमें यह याद दिलाता है कि दुनिया के हर बच्चे का जीवन समान रूप से मूल्यवान है और उसे सुरक्षित, स्वस्थ, शिक्षित और बेहतरीन वातावरण मिलना चाहिए। यह दिवस केवल यूनिसेफ की उपलब्धियों का उत्सव ही नहीं है, बल्कि हमारी जिम्मेदारी का स्मरण भी है कि हम मिलकर एक ऐसे सशक्त व सुंदर समाज का निर्माण करें, जहाँ कोई भी बच्चा भूख, भय, हिंसा, भेदभाव या अभाव का शिकार न बने। यूनिसेफ के काम से हमें सीख मिलती है कि इंसानियत, दुनिया भर का मिल-जुलकर सहयोग और लगातार कोशिशें ही बच्चों का भविष्य सुरक्षित बनाती हैं। इसी वजह से यूनिसेफ दिवस हमें याद दिलाता है कि हर बच्चे के अधिकारों, उनकी उम्मीदों और उनके सपनों की रक्षा करना हम सबकी साझा जिम्मेदारी है।





