एकतरफा पर्यावरणीय उपाय व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय कानून के लिए खतरा हैं: ओम बिरला

Unilateral environmental measures are a threat to trade and international law: Om Birla

रविवार दिल्ली नेटवर्क

सेंट पीटर्सबर्ग : रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित किए जा रहे 10वें ब्रिक्स संसदीय मंच में भारतीय संसदीय शिष्टमंडल का नेतृत्व कर रहे लोक सभा अध्यक्ष, श्री ओम बिरला ने आज ‘बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के विखंडन को रोकने और वैश्विक संकट के परिणामों से संबंधित चुनौतियों से निपटने में संसदों की भूमिका’ विषय पर पूर्ण सत्र को संबोधित किया।

इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए, लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि हालांकि सतत विकास में पर्यावरण संरक्षण शामिल है, तथापि, विभिन्न देशों के अलग-अलग आर्थिक विकास स्तरों को ध्यान में रखते हुए इस लक्ष्य को न्यायसंगत तरीके से प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने प्रतिनिधियों को सचेत करते हुए कहा कि पर्यावरण संबंधी कार्रवाईयों के रूप में उचित ठहराए जाने वाले एकतरफा उपायों से व्यापार प्रभावित हो रहा है, विश्व व्यापार संगठन के नियमों का उल्लंघन हो रहा है और अंतर्राष्ट्रीय कानून, समानता और यूएनएफसीसीसी (संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन) और एनडीसी के सिद्धांत कमजोर हो रहे हैं । इस बारे में विस्तार से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए पर्याप्त संसाधन आवश्यक होते हैं । विकासशील देशों को अपने विकास के लिए इनकी जरूरत होती है । इस संबंध में भारत अनुकूलन को प्राथमिकता दे रहा है और अपने एनडीसी को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है ।

लोकतांत्रिक संस्थाओं के बीच आपसी समझ को बढ़ावा देने और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने पर जोर देते हुए श्री बिरला ने कहा कि संसदें वित्तीय और आर्थिक संप्रभुता की रक्षा के लिए कानून बनाने और अंतरराष्ट्रीय सिफारिशों के कार्यान्वयन का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं । इस संबंध में भारत के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय संसद विश्व व्यापार संगठन के तहत एक नियम-आधारित, भेदभाव रहित, मुक्त, निष्पक्ष, समावेशी, न्यायसंगत और पारदर्शी बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली का समर्थन करती है और अंतर-संसदीय गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेती है। उन्होंने इस बात को भी दोहराया कि भारत की संसद अन्य देशों के सांसदों के साथ गहन संवाद के लिए प्रतिबद्ध है।

सतत विकास के लिए भारत की प्रतिबद्धता का उल्लेख करते हुए, श्री बिरला ने कहा कि प्रति व्यक्ति ऊर्जा के कम उपयोग और 1850 से 2019 के बीच वैश्विक संचयी उत्सर्जन में केवल 4% के न्यूनतम हिस्से के साथ, भारत जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए जलवायु परिवर्तन अनुकूलन को प्राथमिकता दे रहा है। लोक सभा अध्यक्ष ने इस बात पर भी जोर दिया कि सीमित संसाधन होने के बावजूद भारत पर्यावरण को बचाने की दिशा में लगातार ठोस कार्रवाई कर रहा है। उन्होंने कहा कि संरक्षण तथा संयम की अपनी समृद्ध परंपरा के अनुसार भारत सतत विकास के लक्ष्यों का समर्थन करता है और इस बारे में अपनी जिम्मेदारियों को समझता है। भारत जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए LiFE पहल के माध्यम से पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली को बढ़ावा दे रहा है। यूएनएफसीसीसी को किए गए वायदे के अनुसार भारत ने उत्सर्जन तीव्रता को कम करने, गैर-जीवाश्म ईंधन से उत्पादित विद्युत क्षमता बढ़ाने और अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाने के अपने लक्ष्यों को पार कर लिया है । श्री बिरला ने यह भी कहा कि जलवायु से जुड़े मुद्दों का समाधान यूएनएफसीसीसी ढांचे के भीतर रहकर किया जाना चाहिए।

वैश्विक निकायों में सुधारों की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए, श्री बिरला ने कहा कि वैश्विक निकायों में समकालीन वास्तविकताओं के अनुरूप सुधार लाना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही में ब्रिक्स में हुए विस्तार से एक अनूठा अवसर प्राप्त हुआ है । उन्होंने आशा व्यक्त की कि ब्रिक्स देश अपने सामूहिक प्रयासों के माध्यम से आने वाले कई वर्षों तक वैश्विक आर्थिक विकास के प्रमुख वाहक बने रहेंगे ।

फरवरी 2024 में अबू धाबी में विश्व व्यापार संगठन के 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में भारत द्वारा व्यक्त दृष्टिकोण का उल्लेख हुए, अध्यक्ष महोदय ने बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के विखंडन से बचने और व्यापार से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विश्व व्यापार संगठन की चर्चाओं में महिलाओं और एमएसएमई जैसे गैर-व्यापारिक मुद्दों को शामिल करने से अधिक विखंडन हो सकता है, क्योंकि इन मुद्दों को अन्य प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय संगठनों की बैठकों में उठाया जाता है। लोक सभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि विकसित देशों द्वारा उठाए गए कई कदमों से बहुपक्षीय पर्यावरण समझौतों के तहत अधिकारों और दायित्वों का संतुलन बिगड़ रहा है । यह समानता और CBDR-RC के सिद्धांतों का उल्लंघन है। वास्तव में, दुबई में CoP28 में यह स्वीकार किया गया था कि जलवायु परिवर्तन को रोकने और सतत आर्थिक विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए किए जा रहे उपायों का इस्तेमाल मनमाने व्यापार प्रतिबंधों को सही ठहराने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

ब्रिक्स देशों के बीच अंतर-संसदीय संवाद और राजनय को बढ़ावा देने और समकालीन मुद्दों का समाधान करने में संसदों की अग्रणी भूमिका के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करने के लिए ब्रिक्स की सराहना करते हुए, श्री बिरला ने कहा कि ब्रिक्स देश विश्व की लगभग 42% आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं, दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग एक-चौथाई योगदान करते हैं और विश्व व्यापार में 16% से अधिक का योगदान करते हैं। उन्होंने कहा कि यह मंच प्रगति और विकास के लिए साझी प्रतिबद्धता रखने वाले तीन महाद्वीपों के देशों को प्रभावी रूप से एकजुट कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिक्स में वैश्विक संस्थाओं के भीतर आ रहे असंतुलन को दूर करने, क्षेत्रीय निकायों के बीच समन्वय में सुधार करने और आर्थिक मंदी के दौरान समन्वित उपायों के माध्यम से आर्थिक संकट दूर करने के तंत्र विकसित करने की क्षमता है।

श्री बिरला ने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि प्रौद्योगिकीय व्यवधान तथा नियोजन और कौशल पर इसके प्रभाव की वैश्विक चुनौती को ध्यान में रखते हुए, यह आवश्यक है कि हम अल्पावधि और मध्यम अवधि में आजीविका संरक्षण को प्राथमिकता दें। उन्होंने सदस्य देशों से एकजुट होकर इन चुनौतियों से निपटने और सभी के लिए एक बेहतर और समृद्ध भविष्य के लिए कार्य करने का आह्वान किया ।

रूसी संघ के निचले सदन ड्यूमा के स्पीकर के साथ द्विपक्षीय वार्ता की

श्री बिरला ने 11 जुलाई, 2024 को रूसी संघ के निचले सदन ड्यूमा के स्पीकर, श्री व्याचेस्लाव विक्टरोविच वोलोडिन के साथ द्विपक्षीय बैठक की।

ब्रिक्स संगठन का निर्बाध रूप से विस्तार किए जाने और विशेष रूप से नए सदस्य देशों को इसमें शामिल किए जाने के लिए अपने रूसी समकक्ष की सराहना करते हुए, श्री बिरला ने विश्वास व्यक्त किया कि इससे ब्रिक्स मंच का प्रभाव बढ़ेगा और ग्लोबल साउथ के पक्ष को अधिक मजबूत करने में मदद मिलेगी । चर्चा में भारत और रूस की मजबूत लोकतांत्रिक प्रणालियों का उल्लेख करते हुए अंतर-संसदीय सहयोग के महत्व पर ज़ोर दिया गया। श्री बिरला ने भारत-रूस संसदीय मैत्री समूह की स्थापना के बारे में बात करते हुए आशा व्यक्त की कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार, रक्षा और सांस्कृतिक संबंध और मजबूत होंगे ।