केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने अपना 57वां जन्मदिन बड़ी सादगी से मनाया

Union Culture and Tourism Minister Gajendra Singh Shekhawat celebrated his 57th birthday with great simplicity

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

नई दिल्ली :केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने अपना 57वां जन्मदिन बड़ी सादगी से मनाया और बधाई देने आए लोगों से बड़े स्नेह से मिले। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके मंत्रिपरिषद के सदस्यों, राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, अनेक सांसदों, विधायकों, पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं सहित अन्य लोगों ने शेखावत को जन्मदिन की बधाई दी। उन्होंने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मेरे जन्मदिन पर आपने जिस भी माध्यम से मुझे अपना स्नेह भेजा है, सभी संदेश मुझ तक पहुंचे हैं और मुझे उन्हें पाकर बहुत खुशी हो रही है।

मेरा जीवन राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित है, आपका सहयोग ही इस पथ पर मेरी ऊर्जा है। आपका स्नेह और सहयोग मुझ पर बना रहे! आप मेरे अपने हैं! बहुत-बहुत धन्यवाद!

शेखावत ने सोमवार को भी सामान्य दिनों की तरह अपने मंत्रालय से संबंधित कार्य निपटाए। उन्होंने नई दिल्ली स्थित संस्कृति मंत्रालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मोमेंटो की नीलामी से संबंधित बैठक में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस नीलामी में भाग लेना आसान है। हमारा प्रयास है कि इसमें अधिकतम भागीदारी हो। प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है और इसमें हर कोई भाग ले सकता है। इसके अलावा उन्होंने ‘गूगल फॉर इंडिया’ के दसवें संस्करण के समारोह में भी भाग लिया और बोलते हुए उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि जेमिनी लाइव को हिंदी से भी जोड़ा गया है। साथ ही जल्द ही अन्य भारतीय भाषाओं में भी यह सुविधा शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि एआई तकनीक भारत की विशाल विविधता को एक विकसित राष्ट्र की ओर ले जाने में क्रांतिकारी भूमिका निभाने जा रही है। मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी पर अपनी प्रतिक्रिया में शेखावत ने कहा कि यह बहुत खुशी और गर्व की बात है कि पीएम श्री @narendramodi जी के नेतृत्व में हमारे केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने को मंजूरी दी है। शास्त्रीय भाषाएँ हमारी सांस्कृतिक और साहित्यिक संपदा का खजाना हैं, जो प्रत्येक समुदाय के इतिहास, परंपराओं और मील के पत्थरों को समेटे हुए हैं, तथा राष्ट्र की सामूहिक विरासत को संरक्षित करती हैं। इन भाषाओं को प्रदान किया गया यह दर्जा इन भाषाओं के प्राचीन ग्रंथों के संरक्षण, दस्तावेज़ीकरण और डिजिटलीकरण में सहायता करेगा, साथ ही संग्रह, अनुवाद, प्रकाशन और डिजिटल मीडिया में रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर पैदा करेगा।