2002 राष्ट्रमंडल खेलों में हॉकी की सुनहरी जीत में एकता ही हमारी टीम की सबसे बड़ी ताकत रही: हेलन मेरी

  • द. अफ्रीका क्रॉस ओवर में जीत ने तैयार की हमारे स्वर्ण की राह
  • यह हमारी बीते सात-आठ महीनों की मेहनत का नतीजा थासत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : भारत ने 2002 में सूरज लता देवी की कप्तानी में भारत की महिला हॉकी टीम ने 2002 मैनचेस्टर, इंग्लैंड में राष्टï्रमंडल खेलों में पहली बार और अंतिम बार स्वर्ण पदक जीता । दो दशक बाद फिर राष्ट्रमंडल खेल इंग्लैंड (बर्मिंघम) में हो रहे हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यहां फिर भारतीय महिला हॉकी टीम की किस्मत का सूर्य फिर चमकेगा और वह सुनहरी कामयाबी को दोहरा पाएगी या कम से कम फिर पदक जीतने में कामयाबी होगी।

2002 में मैनचेस्टर में राष्टï्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम की गोलरक्षक हेलन मेरी कहती हैं, ‘ 2002 में मैनचेस्टर में राष्ट्रमंडल खेलों में दरअसल पूरा अभियान ही मेरे सबसे यादगार क्षणों में है। क्रॉसओवर में हमारी दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हाफ टाइम तक 0-3 से पिछडऩे के बाद जीवट दिखा अतिरिक्त समय में दर्ज जीत ने ही हमारे स्वर्ण पदक जीतने की राह तैयार की। हमने इसके बाद न्यूजीलैंड को सेमीफाइनल में 2-1 से हराने के बाद मेजबान इंग्लैंड के खिलाफ फाइनल में अतिरिक्त समय में 3-2 से जीत दर्ज कर राष्टï्रमंडल खेलों में पहली बार सुनहरा तमगा जीता और टीम की एकता ही तब हमारी सबसे बड़ी ताकत रही। सच तो यह है कि यह हमारी बीते सात-आठ महीनों की कड़ी मेहनत कर नतीजा था।

ऑस्ट्रेलिया से फाइनल में हार स्वर्ण से चूके, पर अनुभव यादगार: असुंता
2006 में मेलबर्न राष्ट्रमंडल खेलों में मेजबान ऑस्ट्रेलिया से फाइनल में 0-1 से हार कर उपविजेता भारतीय महिला हॉकी टीम की उपकप्तान असुंता लाकरा ने कहा,’ मेरा सीनियर भारतीय हॉकी टीम के लिए यह पहला टूर्नामेंट था। मैंने मेलबर्न में मेजबान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले ही मैच में अपना पहला गोल दागा और इसीलिए मेरे लिए यह राष्ट्रमंडल खेलों का सबसे यादगार क्षण है। हमारी टीम ऑस्ट्रेलिया से बेहद करीबी फाइनल में 0-1 से हार कर राष्टï्रमंडल खेलों में स्वर्ण पर कब्जा बरकरार रखने से चूक गई थी लेकिन यह बेहद शानदार अनुभव रहा। हम तब अपने पूल में दूसरे स्थान पर रहे और हमने सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के 1-0 से हरा लगातार दूसरी बार राष्टï्रमंडल खेलों में महिला हॉकी में भारत का लगातार दूसरा पदक किया था।

भारत की मौजूदा टीम की स्ट्राइकर नवजोत कौर और नवनीत भी भी इससे पहले राष्ट्रमंडल खेलों में महिला हॉकी में देश की नुमाइंदगी कर चुकी है।

2018 राष्ट्रमंडल खेलों में इंग्लैंड पर जीत सबसे सुखद : नवजोत कौर
2014 और 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में खेलों भारत की महिला हॉकी टीम के लिए खेलने वाली स्ट्राइकर नवजोत कौर ने कहा,’ यह मेरे लगातार तीसरे राष्ट्रमंडल खेल होंगे और इसमें भारत की नुमाइंदगी करना हमेशा ही गौरव की बात है । पिछले राष्ट्रमंडल खेलों में इंग्लैंड के खिलाफ पूल चरण में जीत मेरी इस टूर्नामेंट की सबसे सुखद स्मृतियों में से एक है। हम पिछले राष्टï्रमंडल खेलों में पदक जीतने से चूक गए थे लेकिन हम बर्मिंघम राष्टï्रमंडल खेलों में इतिहास रचने में कसर नहीं छोड़ेंगी।’

2018 में इंग्लैंड के खिलाफ गोल खास : नवनीत कौर
भारत की मौजूदा टीम की स्ट्राइकर नवनीत कौर ने भी पिछले राष्ट्रमंडल खेलों में पूल चरण में इंग्लैंड के खिलाफ जीत को इस टूर्नामेट का अब तक का सबसे यादगार क्षण बताया। नवनीत कौर ने कहा, ‘ मैंने 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में इंग्लैंड के खिलाफ मैच में गोल दागा और मेरे लिए अपनी टीम की जीत में योगदान करना खास रहेगा। ये मेरे करियर के पहले राष्टï्रमंडल खेल थे और इनका मुझे हर क्षण याद है।’