
निर्मल रानी
हमारे देश में रेलगाड़ियों व बसों को आम यात्रियों के मुख्य यातायात के साधन के रूप में देखा जाता है। देश के अधिकांश यात्री एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिये प्रायः इन्हीं साधनों का इस्तेमाल करते हैं। केंद्र सरकार जहाँ यात्रियों की सुविधाओं के लिये समय समय पर नई,आधुनिक व तीव्र गामी रेलगाड़ियां संचालित करती रहती है वहीं विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा भी जनता की सुविधा के लिये बसों के नये बेड़े शामिल करने की ख़बरें आती रहती हैं। परन्तु यात्रियों के आवागमन को सुचारु बनाने की इन कोशिशों के बीच सरकार का ध्यान शायद यात्रियों व उनके सामानों की सुरक्षा पर नहीं पहुँच पाता। यह त्रासदी भी केवल सामान्य, मेल-एक्सप्रेस ट्रेन्स व सामान्य बसों की ही है, जबकि वनदे भारत व शताब्दी जैसी रेलगाड़ियां व वाल्वो सेवा जैसी अन्य मंहगी बस सेवाओं में बेशक यात्रियों की सुरक्षा काफ़ी हद तक बनी रहती है। अधिक किराया वसूलने वाले यातायात के इन माध्यमों में अवांछित लोगों को घुसने ही नहीं दिया जाता। जबकि ठीक इसके विपरीत सामान्य व मेल एक्सप्रेस ट्रेन्स में व सरकारी व ग़ैर सरकारी निजी बसों में कोई भी व्यक्ति किसी भी रूप में घुस सकता है और वह अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ यात्रियों की चिंताओं को बढ़ा सकता है या उन्हें परेशानी में डाल सकता है।
यदि हम ट्रेन की बात करें तो भीख मांगने वालों से लेकर भगवा वस्त्र धारण किये लाखों लोग रोज़ाना बिना टिकट के ट्रेन्स में यात्रा करते हैं। गोया इन्होंने भगवा वस्त्र को ट्रेन यात्रा का फ़्री पास समझ रखा है। यह केवल यात्रा ही नहीं करते बल्कि टिकटधारी यात्रियों के लिये बड़ी सिरदर्दी का कारक भी बनते हैं। चलती ट्रेन में गेट पर बैठे रहना तो गोया इनकी आदत में शामिल है ही, इसके अलावा ट्रेन में बीड़ी सिगरेट यहाँ तक कि शराब भी पीते हैं,वाशरूम में गंदगी फैलाते हैं। कोई इन्हें रोकने टोकने वाला नहीं। यदि कोई यात्री इनकी हरकतों पर इन्हें टोके तो यह अवांछित यात्री उसे अपमानित करने पर उतारू हो जाते हैं। इसी तरह भिखारी, हिजड़े, अनिधकृत वेंडर्स आदि सभी को मुफ़्त रेल यात्रा की खुली छूट मिली हुई है। कोई कान फोड़ू गीत संगीत सुनाकर पैसे वसूलता है तो कोई हिजड़ा मुंह पर तालियां ठोक कर पैसे मांगता है। पैसे न देने पर तो यह किसी किसी यात्रियों को थप्पड़ भी जड़ देते हैं। यदि आप यू पी और बिहार की ओर ट्रेन यात्रा करें तो इस रुट पर भी अनेक महिलाएं व हिजड़े पैसे मांगते नज़र आ जायेंगे।
इसी तरह ट्रेन में कोई व्यक्ति किसी जवान लड़की को साथ लेकर उस लड़की के ब्याह के लिये कन्यादान के रूप में पैसे वसूलने को अपना धंधा बनाये हुए है तो कोई नक़ली अँधा व अपाहिज बनकर पैसे मांगता फिरता है तो कोई झाड़ू लेकर सफ़ाई करने के बहाने यात्रियों से पैसे मांगता है। और इन्हीं अवांछित तत्वों में से कोई भी नज़र बचते ही किसी यात्री का सामान लेकर चंपत हो जाता है। तो कोई किसी यात्री को ज़हरखुरानी का शिकार बनाकर उसका सामान भी लूट ले जाता है और उसकी जेबें भी ख़ाली कर जाता है। इसतरह के अवांछित नेटवर्क से जुड़े अधिकांश लोग नशे के आदी होते हैं और यात्रियों से पैसे लूट या वसूलकर जुआ व नशे जैसे व्यसन करते हैं। देश के अनेक बड़े व माध्यम श्रेणी के रेल स्टेशंस पर इन्हें सक्रिय देखा जा सकता है। परन्तु आष्चर्य है कि आम लोगों को तो यह सब नज़र आता है परन्तु सरकार व रेल यात्रियों की सुरक्षा से संबंधित अमले को यह सब दिखाई नहीं देता ? हद तो यह है कि टिकट निरीक्षक जोकि आम इज़्ज़तदार यात्रियों के पास किसी कारणवश टिकट न होने या उपयुक्त टिकट न होने पर उसे अपमानित करने पर उतारू हो जाता है या उसपर जुर्माना ठोक देता है अथवा ट्रेन से नीचे उतरने हेतु उसे बाध्य कर देता है उस टिकट निरीक्षक को भी बेटिकट यात्रा करने व यात्रियों की सुरक्षा हेतु ख़तरा बनने वाले ऐसे संदिग्ध व अवांछित तत्व नज़र नहीं आते ?
इसी तरह बसों में भी जहाँ कुछ मेहनतकश लोग पानी, ठंडा,नारियल, कंघी आदि दैनिक उपभोग या खाने पीने की अनेक सामग्रियां बेचकर अपना पेट पालते हैं वहीं इसमें भी कई भिखारी यात्रियों के सर पर कहीं डफ़ली बजाकर पैसे वसूलता है तो कहीं कोई हिजड़ा बसों में घुसकर मुफ़्त यात्रा करते करते लोगों से तालियां बजा बजाकर पैसे मांगता है। यदि आप चंडीगढ़ रुट पर बसों में यात्रा करें तो यह दृश्य आपको अनेक सरकारी व निजी बसों में देखने को मिलेगा। आश्चर्य है कि ड्राइवर कंडक्टर भी इन्हें नीचे नहीं उतारते। धप्पर टोल पर तो कभी कभी हिजड़ों का पूरा झुण्ड सभी लेन्स पर डटकर खड़ा हो जाता है और बसों ही नहीं बल्कि कारों के भी शीशे पीट पीटकर शीशा खोलने को विवश करता है और पैसे वसूलता है। इस तरह के अवांछित लोगों से व इनकी हरकतों से सभी वाक़िफ़ हैं परन्तु न ही इन्हें कोई नियंत्रित करने वाला है न ही किसी को यात्रियों की सुरक्षा व मान सम्मान की चिंता है। यही वजह है कि इनकी न केवल संख्या बढ़ती जा रही है बल्कि इनके हौसले भी बुलंद होते जा रहे हैं।
सरकार की ओर से देश की छवि चमकाने की तरह तरह की बातें की जाती हैं। कभी विश्व गुरु बनने का डंका पीटा जाता है तो कभी 80 करोड़ लोगों को मुफ़्त राशन देने का दावा करने वाली इसी सरकार द्वारा ही भारत के विश्व की चौथी अर्थव्यवस्था बनने की बातें की जाती हैं। परन्तु हक़ीक़त तो यही है कि आज भी इस देश में आम यात्री ट्रेन व बसों में सुरक्षित नहीं है। वह बेफ़िक्र होकर अपनी यात्रा नहीं कर सकता। कहना ग़लत नहीं होगा कि अवांछित तत्वों तथा सरकार द्वारा इनकी अनदेखी किये जाने के कारण देश की सामान्य यातायात व्यवस्था पूरी तरह से असुरक्षित है।