प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी, द्वारा बताया गया कि गन्ना आयुक्त कार्यालय के सभागार में महिला दिवस की पूर्व संध्या पर विभिन्न गन्ना उत्पादक जनपदों की ग्रामीण महिला उद्यमियों को बीज उत्पादन के कार्य को सरल बनाने तथा कठिनाइयों के निवारण हेतु एक दिवसीय वर्चुअल प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में महिला उद्यमियों द्वारा उत्तम गन्ना नर्सरी तैयार करने के गुर सीखने के साथ-साथ विभागीय अधिकारियों से अपने विचार और अनुभव भी साझा किये।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देते हुए गन्ना आयुक्त ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रदेश के 37 गन्ना बहुल जिलों के महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा प्रतिभाग किया गया। प्रशिक्षण में प्रत्येक जिले के 20 महिला स्वयं सहायता समूहों की अध्यक्ष एवं सचिवों ने प्रतिभाग किया। इनमें से कई महिला स्वयं सहायता समूह जैसे जागृति महिला स्वयं सहायता समूह-बुलन्दशहर अन्नपूर्णा महिला स्वयं सहायता समूह-बरेली, गंगा महिला स्वयं सहायता समूह-सहारनपुर आदि द्वारा गन्ना बीज उत्पादन का कार्यक्रम में अत्यन्त उत्साह से अपनी भूमिका निभा रहे हैं, इनके द्वारा 10 लाख पौधों से भी अधिक का उत्पादन किया जा रहा है। इन समूहों द्वारा प्रशिक्षण के दौरान अपने अनुभव व विचार साझा किये गये। जिससे प्रशिक्षण में जुड़े अन्य महिला समूहों में भी उत्साह का संचार हुआ है, और वह भी अपने समूह के माध्यम से बीज उत्पादन कार्य को बढ़ाने के प्रति अग्रसर हुये हैं।
उन्होंने बताया कि ग्रामीण महिला उद्यमियों द्वारा उन्नत गन्ना बीज वितरण कार्यक्रम योजना के माध्यम से न केवल ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार एवं आय का जरिया मिला है। इसके साथ ही गन्ना खेती के टिकाऊ उत्पादन एवं बीज बदलाव के लिए सिंगल बड के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण बीज की त्वरित उपलब्धता भी सुनिश्चित हुयी है, और कम बीज से अधिक आच्छादन किया जाना सम्भव हो रहा है। खास तौर पर नवीन गन्ना किस्मों यथा-को.शा.13235, को.लख.14201, को.15030 आदि किस्में जिनके बीज की उपलब्धता अत्यन्त सीमित है इन किस्मों के त्वरित बीज संवर्धन के लिए भी महिला स्वयं सहायता समूहों का योगदान सराहनीय है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे गन्ना आयुक्त द्वारा भी प्रशिक्षण के दौरान समस्त परिक्षेत्रीय एवं जिला स्तरीय अधिकारियों को महिला स्वयं सहायता समूह के लिए बीज, बडकटर, ट्रे आदि की व्यवस्था करने हेतु निर्देषित किया। गन्ना आयुक्त द्वारा आगामी समय में बीज उत्पादन के लिए कोकोपिट के स्थान पर बगास के प्रयोग, बीज उपचार विधि में सावधानी तथा जीवन में बड़ा लक्ष्य रख कर उद्यमी के रूप में कार्य को आगे बढ़ाने के सम्बन्ध में महिला समूहों का मार्गदर्शन एवं उत्साहवर्धन किया गया। प्रशिक्षण के दौरान अपर गन्ना आयुक्त, मुख्यालय द्वारा बताया गया कि गन्ना विभाग की महत्वकांक्षी उत्कृष्ट कार्य योजना में भी महिला स्वयं सहायता समूहों को इस वर्ष से स्थान दिया गया है तथा अधिक उत्पादन करने वाले महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए भी पुरस्कार का प्राविधान किया गया है। वहीं अपर गन्ना आयुक्त, विकास द्वारा बताया गया कि इस योजना के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर रोजगार के विकल्प उपलब्ध होने के कारण ग्रामीण महिला उद्यमियों कोे आर्थिक संबल मिला है और महिलाओं को अधिक से अधिक पौध तैयार करने को प्रेरित किया गया तथा गन्ना विभाग द्वारा उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन भी दिया गया। संयुक्त गन्ना आयुक्त, समिति द्वारा भी इस योजना के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के लिए आगे बढ़ने का सुझाव दिया गया।
यह भी उल्लेखनीय है कि ’’ग्रामीण महिला शक्ति द्वारा उन्नत गन्ना बीज वितरण कार्यक्रम योजना’’ सफलता के नये आयाम स्थापित कर रही है इस योजना के अन्तर्गत अब तक प्रदेश के 37 गन्ना उत्पादक जिलों में 3,002 महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जा चुका है तथा इन ग्रामीण महिला उद्यमियों द्वारा गठित समूहों के माध्यम से अब तक 2,022.13 लाख सीडलिंग का उत्पादन किया जा चुका है। जिससे उन्हें लगभग रू.5,105 लाख तथा प्रति समूह औसतन 1.70 लाख प्रतिवर्ष की आय प्राप्त हुयी है। जो व्यक्तिगत समूहों के लिए 15 से 20 लाख तक प्राप्त हुयी है। इसके अतिरिक्त महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किये गये पौधों के खेत में रोपाई कराने के लिए उनके परिवार के सदस्यों को भी रू.1.70 करोड़ की कुल आय प्राप्त हुयी है। इस योजना से अब तक 58,905 ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार उपलब्ध हुआ है तथा कुल 1,52,440 कार्य दिवस का रोजगार सृजित हुआ है। समूहों द्वारा उत्पादित सीडिलिंग की बुआई से कुल 5,440 हे. नवीन गन्ना किस्मों का प्रदर्शन स्थापित कर नवीन किस्मों के गन्ने का आच्छादन बढ़ाया गया।