यू.एस.ए. 2024: राष्ट्रपति चुनावों का विश्लेषण

USA 2024: Analysis of Presidential Elections

प्रो. नीलम महाजन सिंह

2024: अब की बार ट्रम्प सरकार। जब 81 वर्षीय डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका में इतिहासिक जीत हासिल की, तो यह स्पष्ट हो गया कि कुछ अमर्यादित मिडिया चैनल व समाचार पत्र; सीएनएन व इंडिया टुडे के राहुल कंवल, पूजा शाली व गौरव सावंत की भड़ास पर पानी फिर गया है। जबकि अमेरिकी जनता अपने राष्ट्रपति की चुनावी जीत की खुशियाँ मना रही हैं, वहीं व्हाइट हाउस की नियुक्तियां भी राष्ट्रपति ट्रम्प कर रहे हैं।रिपब्लिकन पार्टी ने ‘डेमोक्रेटिक’ को युद्ध के मैदान में चित्त कर दिया। डोनाल्ड ट्रम्प व कमला हैरिस के बीच का अंतर वास्तव में हर सर्वेक्षण से अधिक है। यह साबित सम्मोहक मामला था, जब सही जगहों पर मतदाताओं का गठबंधन बनाने की बात आती है, व फ़िर यह सुनिश्चित करना होता है कि वे वास्तव में मतदान करें तो रिपब्लिकन उम्मीदवार को लाभ होगा। यह एक ऐतिहासिक चुनाव था, जिसने अमेरिकियों की नियति बदल दी है। यह इतिहास बन गया है एक पराजित राष्ट्रपति, 130 वर्षों में पहली बार फ़िर से चुना गया है। लेखिका का दृढ़ विश्वास था कि रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रम्प, 2024 के इन राष्ट्रपति चुनावों को जीत पाएंगें। ट्रम्प की जीत का विश्लेषण अनिवार्य है। अमेरिका, दुनिया की सबसे बड़े प्रजातंत्र का प्रतीक है व अमरीकी जनता ने अपने मताधिकार के प्रयोग से यह साबित कर दिया कि जनता का दृढ़ संकल्प, कोई भी राजनैतिक परिवर्तन लाने में सक्षम है। डोनाल्ड ट्रंप सत्ता में नहीं थे, जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी के ‘जो बिडेन’ सत्ता में थे। डेमोक्रेट्स के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर थी। मतदाताओं के लिए अमेरिका की अर्थव्यवस्था सबसे बड़ा मुद्दा रहा, जबकि बेरोज़गारी और शेयर बाज़ार में उछाल से, अधिकांश अमेरिकियों का कहना है कि वे हर दिन उच्च कीमतों से जूझ रहे हैं। कोरोना महामारी के बाद मुद्रास्फीति 1970 के दशक के बाद से नहीं देखी गई है, जिससे ट्रंप को यह पूछने का मौका मिल गया कि “क्या आप अब चार साल पहले की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं?” नहीं! 2024 में, दुनिया भर के मतदाताओं ने कई बार सत्ता में रहने वाली पार्टियों को बाहर कर दिया। आंशिक रूप से यह कोविड के बाद जीवन यापन की उच्च लागत के कारण हुआ। अमेरिकी मतदाता में बदलाव की भूख दिख रही थी। केवल एक चौथाई अमेरिकियों का कहना है कि वे देश की दिशा से संतुष्ट हैं और दो-तिहाई का आर्थिक दृष्टिकोण खराब है। कमला हैरिस ने तथाकथित ‘परिवर्तन उम्मीदवार’ बनने की कोशिश की, लेकिन उपराष्ट्रपति के रूप में, वह खुद को एक अलोकप्रिय राष्ट्रपति व जो बिडेन से दूरी रखने के लिए संघर्ष कर रहीं थीं। ‘यूएस कैपिटल’ में 06 जनवरी 2021 के दंगे, अभियोगों की एक श्रृंखला व एक अभूतपूर्व आपराधिक सज़ा के बावजूद, ट्रम्प का समर्थन पूरे वर्ष 50% या उससे अधिक पर स्थिर रहा है। जबकि डेमोक्रेट ‘नेवर-ट्रम्प’ (never Trump); रूढ़िवादी कहते रहे कि वे कार्यालय के लिए अयोग्य हैं। अधिकांश रिपब्लिकन सहमत हैं, जब ट्रम्प कहते हैं कि वह एक ‘राजनीतिक चुड़ैल व बदनामी अभियान का शिकार हैं’। डोनाल्ड ट्रम्प कहते हैं, “मैं बस इतना कह सकता हूं कि सूर्योदय पर रिपब्लिकन पार्टी का समय होने वाला है। कमला ने इसे तोड़ा और मैं इसे ठीक कर दूंगा।” अमेरिका के सभी राज्य महत्वपूर्ण हैं लेकिन मीडिया, ‘सात स्विंग राज्यों’ में जीत पर आधारित रहा। यहां ट्रम्प को अभूतपूर्व समर्थन प्राप्त हुआ है। ‘रॉयटर्स’ ने ट्रम्प को बढ़त दी थी। उन्हें अपने बारे में एक निश्चित दृष्टिकोण के बिना ‘अनिश्चित मतदाताओं’ के छोटे हिस्से को जीतने की ज़ररत कामयाब रही। अवैध अप्रवास पर उनकी चेतावनियाँ गूंजती हैं। राज्य की अर्थव्यवस्था से परे, चुनाव अक्सर भावनात्मक रूप से प्रभावित होने वाले मुद्दे से तय होते हैं। डेमोक्रेट्स को उम्मीद थी कि गर्भपात का मुद्दा महिलाओं के वोट खींचेगा, जबकि ट्रम्प अवैध अप्रवास के मुद्दे पर दांव लगा रहे थे। जो बिडेन के शासन में, सीमा पर मुठभेड़ों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँचने और सीमा से दूर राज्यों में आमद के बाद, सर्वेक्षणों से पता चलता कि मतदाता अप्रवास के मामले में ट्रम्प पर अधिक भरोसा करते हैं और वे पिछले चुनावों की तुलना में ‘लैटिनो’ (Latino) के साथ बहुत बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। मतदाताओं के लिए ट्रम्प की अपील, जो भूले हुए व पीछे छूटे हुए महसूस करते हैं, ने यूनियन कार्यकर्ताओं जैसे पारंपरिक डेमोक्रेटिक निर्वाचन क्षेत्रों को रिपब्लिकन से बदलकर व टैरिफ द्वारा अमेरिकी उद्योग की सुरक्षा को लगभग आदर्श बनाकर, अमेरिकी राजनीति को बदल दिया है। स्विंग राज्यों के ग्रामीण और उपनगरीय हिस्सों में मतदान बढ़ा है। उदारवादी, कॉलेज-शिक्षित रिपब्लिकन ने नुकसान की भरपाई की है। राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपनी अप्रत्याशितता को अपनी ताकत के रूप में देखा। हालांकि जब वे व्हाइट हाउस में थे तब कोई बड़ा युद्ध शुरू नहीं हुआ था। कई अमेरिकी, विभिन्न कारणों से, अमेरिका द्वारा यूक्रेन और इज़रायल को अरबों डॉलर भेजे जाने से नाराज़ हैं और सोचते हैं कि जे बिडेन के शासन में अमेरिका बहुत अप्रिय व कमज़ोर हुआ है। ज़्यादातर मतदाता, ख़ास तौर पर वे पुरुष जिन्हें ट्रंप ने ‘जो रोगन पॉडकास्ट’ के ज़रिए आकर्षित किया, ट्रंप को कमला हैरिस से ज़्यादा मज़बूत नेता मानने लगे। ट्रंप के समर्थक कहते हैं, “कमला हैरिस ऐसा नहीं कर सकतीं क्योंकि वो ट्रंप नहीं हैं।” ट्रंप ने 2020 में, रिपब्लिकन उम्मीदवार के तौर पर रिकॉर्ड संख्या में वोट जीते, लेकिन हार गए क्योंकि सात मिलियन से ज़्यादा अमेरिकी बिडेन का समर्थन करने लगे। हैरिस ने ट्रंप की वापसी को लेकर डर का माहौल बनाया, जो उसके लिए पराजय का कारण बना। उन्होंने उन्हें ‘फासीवादी’ और लोकतंत्र के लिए ख़तरा बताया। जुलाई में रॉयटर्स व इप्सोस’ (IPSOS) के एक सर्वेक्षण ने संकेत दिया कि पाँच में से चार अमेरिकियों को लगा कि देश नियंत्रण से बाहर हो रहा है, इसलिए डोनाल्ड ट्रम्प को ही अमेरिका का राष्ट्रपति बनना चाहिए। डेमोक्रेट्स को इस समय लगभग निश्चित हार का सामना करना पड़ा। रिपब्लिकन ने उन्हें बिडेन की अलोकप्रिय नीतियों से जोड़ा है। हैरिस ने बिडेन-विशिष्ट हमले की अपनी कुछ पंक्तियों को बेमानी बना दिया। सर्वेक्षणों ने लगातार सुझाव दिया कि मतदाताओं को बिडेन की पद के लिए योग्यता के बारे में वास्तविक चिंताएं थीं। अब रेस पलट गई और डोनाल्ड ट्रम्प व्हाइट हाउस में वापस आ गए हैं। कमला हैरिस को महिलाओं के गर्भपात अधिकारों की वकालत तर राष्ट्रीय स्तर समर्थन नहीं मिला। सारांशार यू.एस.ए. के सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘रो वी वेड’ व गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को पलटने के बाद यह पहला राष्ट्रपति चुनाव हुआ। इस बार, स्विंग स्टेट एरिज़ोना सहित 10 राज्यों में मतदाताओं से यह पूछने के लिए मतपत्र पहल हुई, कि गर्भपात को कैसे विनियमित किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, न्यूयॉर्क टाइम्स व ‘सिएना पोल’ के अनुसार, डोनाल्ड ट्रम्प उन लोगों के बीच बहुत आगे हैं, जो पंजीकृत थे, लेकिन उन्होंने 2020 में मतदान नहीं किया। हाल ही में फाइनेंशियल टाइम्स के विश्लेषण के अनुसार, जिसमें यह भी उल्लेख किया गया कि हैरिस के अभियान ने विज्ञापन पर लगभग दोगुना खर्च किया। उत्तरी अमेरिका के संवाददाता, एंथनी ज़र्चर अपने दो बार साप्ताहिक ‘यू.एस. चुनाव अनस्पन न्यूज़लेटर’ में व्हाइट हाउस की दौड़ को जानकार हैं। लोग कमला हैरिस की तुलना हिलेरी क्लिंटन से नहीं कर रहे हैं, क्योंकि वह अधिक ज़मीनी हैं। तथाकथित निर्णायक रााज्यों, के अमेरिकी चुनाव में लगभग 240 मिलियन लोग मतदान करने के पात्र हैं, उनमें अधिकतर ने यह तय किया कि अगले राष्ट्रपति ट्रम्प ही होंगें। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि केवल मुट्ठी भर तथाकथित ‘स्विंग स्टेट’ हैं, जिन्हें डेमोक्रेट कमला हैरिस या रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा संभवतः जीता जा सका। इनमें से सात; एरिज़ोना, जॉर्जिया, मिशिगन, नेवादा, उत्तरी कैरोलिना, पेंसिल्वेनिया और विस्कॉन्सिन – को व्हाइट हाउस की चाबी रखने के लिए माना गया, जिन्होंने डोनाल्ड ट्रम्प को भरपूर समर्थन दिया। यह सुरक्षित रूप से माना जाता है कि डोनाल्ड ट्रम्प के संयुक्त राज्य अमेरिका के अगले राष्ट्रपति होने से, अमरीकी सुरक्षा व नागरिक आत्म सम्मान के लिए निर्णायक है। हमारे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की ‘प्यार की झप्पी’ और उनकी पारस्प ट्रम्प से मित्रता, अमेरिका-भारत संबंधों को एक नया मोड़ देगी। “मेरे मित्र डोनाल्ड ट्रम्प को अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव जीतने की हार्दिक बधाई,” पीएम मोदी ने ट्वीट किया। ‘अबकी बार ट्रम्प सरकार’ के लिए, विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में परिवर्तन के लिए शुभकामनाएं!

प्रो. नीलम महाजन सिंह

(वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार, टेलीविज़न समाचार व्यक्तित्व,अमेरिकी इतिहास विशेषज्ञ, पूर्व प्रोफेसर, मानवाधिकार संरक्षण, सॉलिसिटर व परोपकारी)