नीलम महाजन सिंह
सेंटर फॉर डेमोक्रेसी, प्लुरलिज्म एंड ह्यूमन राइट्स ने संयुक्त राज्य अमेरिका में मानवाधिकारों पर एक रिपोर्ट जारी की है (एफ. सी.सी. दक्षिण एशिया में 18.05.2022)। प्रो. डॉ. प्रेरणा मल्होत्रा, फैकल्टी सदस्य, दिल्ली विश्वविद्यालय और अरविंद कुमार, नागरिक अधिकार कार्यकर्ता, यू.एस.ए. इस शोध के लेखक हैँ । यह यादृच्छिक नमूना अध्ययन मॉडल पर आधारित अध्ययन है। डॉ. प्रेरणा कहती हैं, ”नस्लीय भेदभाव यू.एस.ए. की व्यवस्थाओं में गहराई तक समाया हुआ है।” उन्होंने इराक, सीरिया, यूक्रेन, यूगोस्लाविया और अन्य देशों में शरणार्थियों की समस्या पैदा करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की भूमिका की आलोचना की। वह कहती हैं कि COVID-19 महामारी में कई अश्वेत थे जिन्होंने अपनी जान गंवाई, जिसे वह “जातिवाद महामारी” कहती हैं। वह आगे संयुक्त राज्य अमेरिका में महिलाओं और बच्चों के यौन शोषण की आलोचना करती है जो मानवाधिकारों के उल्लंघन के बराबर है। प्रेरणा मल्होत्रा कहती हैं, “ईरान पर शिया आबादी के कारण से ही हमला किया जाता है।” वह मानवता पर संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा रासायनिक और जैविक युद्ध का उल्लेख करती हैँ। इंटरनेट नियंत्रण और स्वतंत्र प्रेस को अमेरिका की गलत विदेश नीति के रूप में उनके द्वारा आलोचना की जाती है। हालांकि इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने में डॉ: प्रेरणा मल्होत्रा के प्रयास की सराहना करना अनिवार्य है, लेकिन मानवाधिकारों का उल्लंघन लोकतंत्र के लिए एक वैश्विक खतरा है। यह प्रत्येक नागरिक की गरिमा और मौलिक अधिकारों को कम करता है। मानवाधिकारों का उल्लंघन आधुनिक सभ्य दुनिया के लिए एक अभिशाप है। राज्य की मिलीभगत और मीडिया का दमन लोकतंत्र के लिए और भी खतरनाक है।
वरिष्ठ पत्रकार व मानवाधिकार संरक्षण अधिवक्ता