कश्मीर घाटी में यूएसबीआरएल ने खोले पर्यटन और व्यापार के नए दरवाजे

USBRL opens new doors for tourism and trade in the Kashmir Valley

दधिबल यादव

नवनिर्मित उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना कश्मीर घाटी के लिए वरदान साबित हो रही है। इसकी वजह से कश्मीर घाटी का पर्यटन और व्यापारिक नक्शा बदल गया है। इसने न सिर्फ घाटी में पर्यटकों के लिए रेल सुविधा मुहैया कराई है बल्कि माल ढुलाई के व्यावसायिक दौर की शुरुआत भी हो गई है। शुक्रवार को गुजरात के खाराघोड़ा गुड्स शेड से 21 वैगन वाली एक मालगाड़ी 1,350 टन नमक लेकर अनंतनाग गुड्स शेड पहुंची, जिससे घाटी में सामान आने-जाने के तरीके में एक नया अध्याय शुरू हुआ।

यह विश्वसनीय और किफ़ायती रेल परिवहन के माध्यम से कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने में एक नया मील का पत्थर साबित हुआ है। इस औद्योगिक नमक का उपयोग टैनिंग, पल्प साबुन और कभी-कभी ईंट भट्ठों के उद्योग में किया जाता है। जाहिर है- मालगाड़ी द्वारा औद्योगिक नमक परिवहन की शुरुआत से घाटी में आवश्यक वस्तुओं की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होगी। यात्रा का समय कम होगा और रसद लागत कम होगी। इससे क्षेत्र की सड़क परिवहन पर निर्भरता भी कम होगी, खासकर प्रतिकूल मौसम की स्थिति में, जब सड़क संपर्क अक्सर प्रभावित होता है।

खाराघोड़ा गुड्स शेड से नमक लेकर घाटी पहुंची ट्रेन के बाद जम्मू मंडल के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक उचित सिंघल ने कहा, “इस नमक की खेप के आगमन से भविष्य में इस तरह की और अधिक माल ढुलाई का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है, जिससे गुजरात और जम्मू-कश्मीर के बीच व्यापारिक संपर्क और बेहतर होगा।”

हाल के महीनों में कश्मीर घाटी में माल ढुलाई के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। कश्मीर से सेब की पहली खेप रेल द्वारा दिल्ली और वहां से देश के विभिन्न स्थानों तक पहुंचाई गई, जिससे स्थानीय उत्पादकों को राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचने का एक तेज़ और अधिक किफायती तरीका मिल गया। इसी प्रकार, मारुति के वाहन और अन्य सामान ट्रेन द्वारा घाटी में पहुंचाए गए हैं, जो इस क्षेत्र में व्यापार और उद्योग को सुगम बनाने में रेलवे की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड (“मारुति सुजुकी”) देश की पहली ऑटोमोबाइल बनाने वाली कंपनी बन गई, जिसने इस इलाके में गाड़ियां भेजने के लिए इंडियन रेलवे का इस्तेमाल किया।

ब्रेज़ा, डिज़ायर, वैगन आर और एस-प्रेसो जैसी मारुति सुजुकी की 116 से अधिक यात्री गाड़ियों को लेकर यह ऑटो ट्रेन 1 अक्टूबर को मानेसर स्थित जीसीटी प्लांट से रवाना हुई। जो 850 किलोमीटर की दूरी तय करके 3 अक्टूबर, 2025 को जम्मू और कश्मीर में नए खुले अनंतनाग रेलवे टर्मिनल पहुंची। जाहिर तौर पर यह कश्मीर में औद्योगिक और वाणिज्यिक लॉजिस्टिक के लिए नए रास्ते खोलेगा, सड़क परिवहन पर निर्भरता कम करेगा और आपूर्ति श्रृंखला दक्षता में सुधार करेगा। यह कश्मीर के लोगों के जीवन स्तर में सुधार करेगा और क्षेत्र में आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा। अनंतनाग जाते समय यह ट्रेन चिनाब नदी पर बने दुनिया के सबसे ऊंंचे (359 मीटर) रेलवे आर्च ब्रिज के ऊपर से गुज़री। इस ब्रिज का उद्घाटन इस साल की शुरुआत में उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक प्रोजेक्ट के हिस्से के तौर पर किया गया था, ताकि रीजनल कनेक्टिविटी को मज़बूत किया जा सके और लॉजिस्टिक्स में कुशलता बढ़ाई जा सके।

उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु शेखर उपाध्याय के अनुसार उधमपुर श्रीनगर बारामूला रेल लिंक के खुलने के बाद मालगाड़ियों के जरिये 30 सितंबर तक कश्मीर घाटी से अथवा घाटी के लिए 12400.9 टन सेब, 48387 टन सीमेंट, 1341 टन प्लास्टिक सामान और 716.1 टन इस्पात की ढुलाई की गई। इससे स्पष्ट है कि उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना के कारण घाटी से रेल संपर्क ने क्षेत्रीय संपर्क को मज़बूत किया है, लॉजिस्टिक दक्षता को बढ़ाया है और सड़क यातायात की भीड़भाड़ को काफ़ी कम किया है।