ललित गर्ग
सरल को जटिल बनाना आम बात है लेकिन जटिल को सरल, अद्भुत रूप से सहज बनाना, यही रचनात्मकता है। इसी रचनात्मक सोच को विकसित करने के लिये विश्व उपयोगिता दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य प्रयोज्यता, प्रयोज्य इंजीनियरिंग, सार्वभौमिक प्रयोज्यता, उपयोगकर्ता-केंद्रित डिजाइन और बेहतर काम करने वाली चीजों के बारे में आम उपयोगकर्ता की जिम्मेदारी के मूल्यों को बढ़ावा देना एवं उनमें सावधानी, सतर्कता एवं जागरूकता पैदा करना ही इस दिवस का उद्देश्य है। आज प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी का युग है, नित-नयी उपभोग वस्तुओं, पदार्थों एवं सेवाओं का संसार विकसित हो रही, जिसमें प्रौद्योगिकी का सहजता एवं सरलता से उपयोग करना बहुत कठिन है। एक सेल फोन दरवाजे की घुंडी की तरह उपयोग में आसान होना चाहिए। शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, सरकार, संचार, मनोरंजन, कार्य और अन्य क्षेत्रों के लिए बुनियादी ढांचे के रूप में प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाली दुनिया को मानवीय बनाने के लिए, हमें प्रौद्योगिकियों को इस तरह विकसित करने के लिए सहमत होना चाहिए जो पहले लोगों की सेवा करे। रोटी, कपड़ा और मकान की मूलभूत पर्याप्त जरूरतों के बाद प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी उत्पादों एवं पदार्थों का उपयोग, संग्रह और उनके भंडारण में भागदौड़ सभी मनुष्य आदतन करते हैं। क्योंकि ज्यादातर सुख-सुविधाएं शरीर की नहीं, केवल मन की मांग हैं, जो अन्तहीन तृष्णा को जन्म देती है। लेकिन मन से जुड़ी इन मांगों में ही इंसान के ठगे जाने, गुमराह होने एवं नुकसान होने की संभावनाएं सर्वाधिक होती है, इसलिये इन खतरों एवं संकटों से बचाना ही उपयोगिता दिवस का मूल ध्येय है।
सुविधावादी जीवन को विस्तार देने के लिये विकसित हो रही प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी साधनों एवं सेवाओं के उपयोग में विवेक एवं समझ का होना जरूरी है। प्रौद्योगिकी एवं उपयोग के बीच उचित सामंजस्य, सहयोग एवं समन्वय का दृष्टिकोण अपेक्षित है।
इसीलिये इस वर्ष इस दिवस की थीम ‘सहयोग और सहयोग’ है। इस दिवस की शुरुआत 2004 में यूपीए बोर्ड के दो सदस्यों, एलिजाबेथ रोसेनज़वेग और निगेल बेवन के बीच एक चर्चा से उपजे विचार के रूप में हुई। प्रौद्योगिकी हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिये हो, न कि जीवन में तनाव एवं समस्याओं को बढ़ाये या खराब डिजाइन या खराब गुणवत्ता के माध्यम से खतरे का कारण बने। यह सुनिश्चित करना अपेक्षित है कि विकसित हो रही प्रौद्योगिकी एवं तकनीक प्रभावी, कुशल, संतोषजनक और विश्वसनीय हो और यह सभी लोगों के लिए उपयोग योग्य हो। यह विकलांग लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्रौद्योगिकी उनके जीवन को बेहतर बना सकती है, जिससे वे काम, सामाजिक और नागरिक अनुभवों में पूरी तरह से भाग ले सकते हैं।
प्रौद्योगिकी का विकास यह जानकर किया जाना चाहिए कि मनुष्य की कुछ सीमाएँ हैं। यदि तकनीक उपयोग में आसान और समझने में आसान नहीं है तो मानवीय त्रुटि होगी। हमें ख़राब डिज़ाइन एवं गुणवत्ताहीन वस्तुओं के परिणामस्वरूप होने वाली मानवीय त्रुटि को कम करने की आवश्यकता है। हमारा मानना है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, सरकार, गोपनीयता, संचार, कार्य और मनोरंजन सहित लोगों को उनके जीवन के सभी पहलुओं में सेवा प्रदान करने के लिए विश्वसनीय, उपयोग में आसान तकनीक विकसित करने के लिए एकजुट एवं समन्वित प्रयास की आवश्यकता है। हमें लोगों को डिज़ाइन के केंद्र में रखना चाहिए, शुरुआत उनकी ज़रूरतों और चाहतों से करनी चाहिए और परिणामस्वरूप ऐसी तकनीक तैयार करनी चाहिए जिससे हम सभी को फ़ायदा हो। जो मनुष्यों को वास्तव में उनकी क्षमता का एहसास करने में मदद करती है, ताकि हम अपने और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर दुनिया बना सकें।
यह एक अनूठा, विलक्षण एवं प्रासंगिक दिवस जो दुनिया भर की घटनाओं का एक विश्वव्यापी दिन प्रदान करते हुए पेशेवर, औद्योगिक, शैक्षिक, नागरिक और सरकारी समूहों के समुदायों को सामान्य उद्देश्य के लिए एक साथ लाता है। यह दिवस इसलिये भी है प्रौद्योगिकी लोगों को उनके अनुसार जीने में मदद करते हुए पूर्ण क्षमता और हर जगह सभी नागरिकों के लिए एक बेहतर उपयोग एवं उपभोग संसार की संरचना कर सके। शैक्षिक प्रौद्योगिकी न केवल सस्ती और सर्वसुलभ होनी चाहिए, बल्कि शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों द्वारा उपयोग करने योग्य भी होनी चाहिए। इसी तरह स्वास्थ्य सेवा दुनिया भर में हर किसी के लिए उपलब्ध होनी चाहिए। चिकित्सा प्रौद्योगिकी स्वास्थ्य में सुधार कर सकती है, लेकिन इसका उपयोग आसान होना चाहिए। इस क्षेत्र में छोटी-सी भी त्रुटि महंगी एवं जनजीवन के लिये बेहद हानिकारक हो सकती है। हमें स्वस्थ खाद्य आपूर्ति की आवश्यकता है जो हर जगह लोगों की भलाई में सुधार करेगी। ऐसी तकनीक जो सभी के लिए बेहतर भोजन का उत्पादन करती है, उसे ऐसे अनुसंधान पर बनाया जाना चाहिए जो संपूर्ण मानवता के हित में हो।
विश्व उपयोगिता दिवस की परिधि में दुनिया भर की सरकारें एवं संचार व्यवस्थाएं भी आती हैं। सरकारों द्वारा नागरिकों को बेहतर सेवा देने और नागरिक अनुभव में भागीदारी बढ़ाने के लिए नई तकनीक का उपयोग होना चाहिए। दुनिया के कई देशों में नागरिक करों का भुगतान कर सकते हैं और ऑनलाइन व्यापार की देखभाल कर सकते हैं; यही क्षमता सभी के लिए उपलब्ध होनी चाहिए, जिससे उस डिजिटल विभाजन को खत्म किया जा सके जो अमीरों को गरीबों से अलग करता है या सामाजिक समूहों को अलग करता है। मतदान प्रणालियों को चुनावों में विश्वास और भरोसा सुनिश्चित करना चाहिए। नागरिक सहभागिता का समर्थन करने वाली प्रौद्योगिकी को सभी नागरिकों को समान पहुंच और अवसर देना चाहिए। लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने में संचार-क्रांति ने व्यापक सहयोग किया है। संचार के लिए पहले से कहीं अधिक साधन विकसित हुए हैं जैसे फोन, इंटरनेट, मोबाइल, संदेश और मुद्रित माध्यम। लोगों के बीच संचार की सुविधा प्रदान करने वाली प्रौद्योगिकी का उपयोग सहज होना चाहिए। जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी का उपयोग बढ़ता है, वैसे-वैसे ई-कॉमर्स, ई-सरकार और ई-संचार के नए रूपों के बारे में चिंताएँ भी बढ़ती हैं। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए उचित सुरक्षा उपाय करने चाहिए कि हमारी बातचीत सुरक्षित है, कि बच्चे और अन्य सुरक्षित हैं, और हमारे सिस्टम भरोसेमंद हैं।
आधुनिक जीवनशैली में मनोरंजन के साधनों का भी आश्चर्यकारी विकास हुआ है, मनोरंजन केवल हमारे खाली समय के साधन नहीं है बल्कि लोग अपने दैनिक जीवन में कई कारणों से मनोरंजन का उपयोग करते हैं। मनोरंजन की दुनिया ने हमें नए तरीकों और नए उपकरणों पर फोटो, फिल्में, संगीत और गेम देने के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाया है। लेकिन, मनोरंजन को भी प्रयोज्यता से लाभ होता है! समझ से परे रिमोट कंट्रोल, भ्रमित करने वाले निर्देश और चमकती वीसीआर घड़ियां हमारे मीडिया में सुधार की आवश्यकता को दर्शाती हैं। स्टीव जॉब्स ने तो कहा भी है डिज़ाइन केवल वह नहीं है जो दिखता और महसूस होता है। डिज़ाइन यह है कि वह कैसे काम करता है।’ उत्पादों एवं उपयोगिता की सोच को समझपूर्ण बनाने के लिये यह दिवस जनजागृति का एक अभियान है। इसमें उपभोग का विवेक, अपव्यय से बचाव, चिन्तन की प्रौढ़ता एवं व्यवहार की समझ है। यह उपयोगिता की संभावनाओं का नयी क्षितिज एवं उन्नत जीवन विकसित करने का प्रस्थान है।