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वैलेंटाइन का चढ़ा, ये कैसा उन्माद।
फौजी मरता देश पर, कौन करे अब याद।।
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सौरभ उनको भेंट हो, वैलेंटाइन आज।
सरहद पर जो हैं मिटे, जिन पर हमको नाज़ ।।
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काम करो इंग्लैंड में, रहें भला जापान।
रखना सदा सहेजकर, दिल में हिंदुस्तान।।
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वैलेंटाइन पूछता, सबसे यही सवाल।
याद किसे है देश में, भारत माँ के लाल।।
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देकर अपनी जान जो, दिला गए हैं ताज़।
उन वीरों के खून को, याद करे सब आज।।
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लाज तिरंगें की रहे, रख इतना अरमान।
मरते दम तक हम रखें, दिल में हिन्दुस्तान।।
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सरहद पर जांबाज़ जब, जागे सारी रात।
सो पाते हम चैन से, रह अपनों के साथ।।
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आओ मेरे साथियों, कर लें उनका ध्यान।
शान देश की जो बनें, देकर अपनी जान।।
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भारत के हर पूत को, करिये प्रथम प्रणाम।
सरहद पर जो है मिटा, हाथ तिरंगा थाम।।
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सींच चमन ये साथियों, खिला गए जो फूल।
उन वीरों के खून को, मत जाना तुम भूल।।
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-डॉ सत्यवान ‘सौरभ’