
वंदना और ललित ने हॉकी में कहा अंतर्राष्ट्रीय हॉकी को अलविदा
सत्येन्द्र पाल सिंह
राजगीर (बिहार) : इस साल अंतर्राष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कहने वाली सर्वश्रेष्ठ महिला हॉकी स्ट्राइकर वंदना कटारिया और अपनी हॉकी कलाकारी के लिए ख्यात रहे पुरुष हॉकी स्ट्राइकर ललित उपाध्याय को हॉकी इंडिया ने यहां रहे पुरुष हॉकी एशिया कप के दौरान भारत के लिए शानदार हॉकी करियर के लिए यहां सम्मानित किया। हॉकी इंडिया ने देश के दो सर्वश्रेष्ठ हॉकी करियर को सम्मानित करते हुए दोनों को पांच पांच लाख रुपये के चेक भी दिया। संयोग से देश की बेहतरीन महिला स्ट्राइकर गंगा नगरी हरिद्वार के रोशनाबाद से हैं और ललित उपाध्याय गंगा नगरी बनारस से हैं। वंदना कटारिया और ललित उपाध्याय ने कमजोर खासतौर पर ग्रामीण परिवेश से आने वाले हॉकी खिलाड़ियों की एक पूरी पीढ़ी को हॉकी खेलने को प्रेरित किया है। वंदना की ही प्रेरणा से अब उनके हरिद्वार से सटे गांव मे एस्ट्रो टर्फ लग गया है और खासतौर पर कमजोर आर्थिक पृष्ठ भूमि से आने वाली लड़कियां अब हॉकी खेल इसमें अपना सुनहरा भविष्य तलाश रही है।
32 बरस की वंदना कटारिया ने ढेढ़ दशक तक भारत की महिला हॉकी टीम के लिए खेलने के बाद सबसे ज्यादा 320 अंतर्राष्ट्रीय हॉकी मैच खेल 158 गोल दागने के बाद इस साल अप्रैल में अंतर्राष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कह लिा हालांकि वह महिला हॉकी में खेलती रहेंगी। वंदना कटारिया ने 2009 में भारत की सीनियर महिला हॉकी टीम के खेलना शुरू किया और रानी रामपाल की समकालीन रहीं। वंदना कटारिया 2020 के टोक्यो ओलंपिक में चौथे स्थान रहने वाली भारतीय हॉकी टीम की प्रमुख स्ट्राइकर रहीं और वह ओलंपिक में भारत की लिए हैट्रिक जमाने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी हैं और उन्होंने यह कारनामा दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ किया।
हॉकी ने मुझे सब कुछ दिया : वंदना कटारिया
हॉकी इंडिया द्वारा सम्मानित किए जाने पर वंदना कटारिया ने कहा,‘भारतीय जर्सी पहन कर भारत की हॉकी में नुमाइंदी करना मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान है।हॉकी ने मुझे सब कुछ दिया और मैं इसे हमेशा याद रखूंगी। हॉकी इंडिया द्वारा सम्मानित किए जाने के लिए उसकी दिल से आभारी हूं। खासतौर पर मैं अपनी टीम की साथियों, जिनके साथ बीते 15 बरस में मैंने सभी उतार चढ़ावों को साथ साथ झेला। मेरी टीम की ये सभी साथी हॉकी के सफर में मेरे साथ परिवार की तरह रही। हमने एक दूसरे को बेहतर प्रदर्शन को प्रेरित किया, एक दूसरे का समर्थन किया और साथ मिलकर जीत का जश्न मनाया। मैंने हॉकी में जो कुछ भी हासिल किया ये मेरी भारतीय टीम की साथियों के भरोसे, मेहनत और भावना के बिना मुमकिन नहीं था। मैं चुनौतियों में मेरे साथ खड़े रहे अपने परिवार के बलिदान के लिए भी आभारी हूं, जिनके बराबर प्रोत्साहन ने मुझे आगे बढ़ने की ताकत दी। मैं अपनी इस हॉकी यात्रा में अपने हॉकी उस्तादों, सपोर्ट ,अपने हॉकी प्रशंसकों की आभारी हूं।’
गर्व, भारतीय हॉकी के ऐतिहासिक क्षणों का हिस्सा रहा : ललित
ललित उपाध्याय ने भारत के लिए 11 बरस अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खेलने के बाद हॉकी को अलविदा कहा। ललित ने भारत के 183 अंतर्राष्ट्रीय हॉकी मैच खेल कर 67 गोल किए। ललित उपाध्याय भारत की 2020 में टोक्यो और 2024 में पेरिस ओलंपिक में लगातार कांसा जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे। हॉकी इंडिया द्वारा सम्मानित किए जाने पर ललित उपााध्याय ने कहा,‘मेरे लिए यह बड़े गर्व की बात है कि मैं भारतीय हॉकी के कई ऐतिहासिक क्षणों का हिस्सा रहा। वाराणसी के छोटे से गांव से ओलंपिक में भारत के लिए कांस्य पदकों तक की यात्रा वाकई खास रही। भारत की सर्वोच्च स्तर पर नुमाइंदगी करना मेरा सपना था। मैं अपने परिवार, अपनी टीम के साथियों, सपोर्ट स्टाफ और हॉकी इंडिया के लगातार सहयोगके लिए उनका दिल से आभारी हूं। इस सम्मान में सभी भागीदार हैं। हॉकी इंडिया जिस तरह मुझे सबसे उपयुक्त समझेगा में हॉकी को हर तरह से योगदान देने के लिए हमेशा तत्पर हूं।’
वंदना और ललित भारतीय हॉकी के गजब के राजदूत : दिलीप तिर्की
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप तिर्की ने वंदना कटारिया और ललित उपाध्याय सरीखे दोनों हॉकी धुरंधरों की उपलब्धि को सराहते हुए कहा, ‘वंदना और ललित दोनों भारतीय हॉकी के गजब के राजदूत रहे हैं। वंदना कटारिया ने हॉकी मैदान पर अपने बेखौफ प्रदर्शन और भारत के लिए अपनी शानदार हॉकी यात्रा से देश की लाखों लड़कियों को प्रेरित किया। ललित की हॉकी की कलाकारी और निरंतरता ने अहम मैचों में भारतीय पुरुष हॉकी टीम को धार दी। हॉकी इंडिया की ओर से मैं दोनों को उनके शानदार करियर भारतीय हॉकी में शानदार योगदान के लिए बधाई देता हूं।’
हॉकी इंडिया के महासचिव भोला नाथ सिंह ने कहा, ‘वंदना और ललित दोनों ही भारतीय हॉकी की भावना -जीवट, दृढ़ संकल्प और उत्कृष्टता – के प्रतीक हैं। इन दोनों ने हॉकी में भारत का गौरव बढ़ाने के साथ बेशुमार नौजवान लड़के लड़कियों को हॉकी खेलने को प्रेरित किया।’