
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
नई दिल्ली : देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के सोमवार को अचानक अपने पद से इस्तीफा देने से राजनीतिक हलकों में हड़कंप मच गया है । संसद के चालू सत्र के दौरान अनायास इस्तीफा देने वाले वे देश के पहले उप राष्ट्रपति है।
सोमवार को संसद का मानसून सत्र शुरू होने पर धनखड़ संसद भवन में आए थे और राज्यसभा की कार्यवाही 22 जुलाई मंगलवार 11 बजे तक स्थगित होने के बाद भी वे देर शाम तक संसद स्थित अपने कार्यालय में ही मौजूद थे ।
जगदीप धनखड़ अगस्त 2022 में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में चुने गए थे।उनके अचानक इस्तीफे से देश की राजनीति में एक खाली स्थान उत्पन्न हुआ है, जिसे भरने के लिए आगामी दिनों में नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की अधिसूचना जारी की जा सकती है।भारत के संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति का पद खाली होने पर 6 महीने के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य होता है। ऐसे में अगस्त-सितंबर 2025 में नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की संभावना है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए सोमवार शाम को राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंपा है। राष्ट्रपति सचिवालय ने उनके त्यागपत्र की पुष्टि कर दी है। राष्ट्रपति को भेजे गए अपने पत्र में धनखड़ ने लिखा, हाल ही में मेरी तबीयत को लेकर चिकित्सकों ने कुछ गंभीर परामर्श दिए हैं। मेरी प्राथमिकता अब स्वास्थ्य की देखभाल और उपचार है, इसलिए मैं उपराष्ट्रपति पद से त्यागपत्र दे रहा हूँ। पिछले कुछ महीनों से उपराष्ट्रपति की तबीयत को लेकर चिंता बनी हुई थी। मार्च 2025 में उन्हें अचानक सीने में दर्द की शिकायत के बाद एम्स दिल्ली में भर्ती कराया गया था। उन्हें कुछ दिनों बाद छुट्टी मिल गई थी, लेकिन डॉक्टर्स ने उन्हें लंबे आराम की सलाह दी थी।
जगदीप धनखड़ ने अपने पत्र में लिखा है कि, सभी संसद सदस्यों से मुझे जो गर्मजोशी, विश्वास और स्नेह मिला है, वह हमेशा मेरी यादों में रहेगा. मैं देश के महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में प्राप्त अमूल्य अनुभवों और अंतर्दृष्टि के लिए तहे दिल से आभारी हूं। इस महत्वपूर्ण अवधि के दौरान देश की आर्थिक प्रगति और अभूतपूर्व विकास को देखना और उसमें भाग लेना मेरे लिए सौभाग्य और संतुष्टि की बात रही है। अपने पद से इस्तीफा देने हुए उन्होंने कहा कि देश के इतिहास के इस परिवर्तनकारी युग में सेवा करना मेरे लिए एक सच्चा सम्मान रहा है। इस प्रतिष्ठित पद से विदा लेते हुए मैं भारत के वैश्विक उत्थान और अभूतपूर्व उपलब्धियों पर गर्व महसूस कर रहा हूं. इसके उज्ज्वल भविष्य में अटूट विश्वास रखता हूं।
अपने कार्यकाल के दौरान जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा के सभापति के रूप में कई महत्वपूर्ण सत्रों की अध्यक्षता की और संसदीय कार्यवाही को मर्यादित रूप से संचालित किया। धनखड़ का राजनीतिक सफर लंबे समय तक चला है, जिसमें उन्होंने वकील, सांसद, केंद्रीय मंत्री और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जैसे विभिन्न पदों पर कार्य किया।