
नरेंद्र तिवारी
महाकुंभ प्रयागराज नाम से ही महाकुंभ नहीं है। अपने स्वरूप में भी महाकुंभ है। इस बात की तस्दीक प्रयागराज महाकुंभ में उमड़ता जनसैलाब कर रहा है। यहां गंगा, जमुना, सरस्वती के संगम पर स्नान करने और साधु, संतों, महात्माओं के दर्शनकर आध्यात्मिक सुख प्राप्त करने की बैचेनी साफ तौर पर दिखाई दे रही है। प्रयागराज में भारत की सांस्कृतिक विविधता के तो दर्शन हो ही रहे है। भारत की आध्यात्मिक चेतना से भी प्रयागराज में रूबरू हुआ जा सकता है।
महाकुंभ में सबको पहुंचने की ललक है, वहां पहुंचकर संगम स्थल पर जाने की उत्कंठा और स्नान की बैचेनी भी है। अपनी प्रयागराज यात्रा के दौरान आगरा मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग से शिवपुरी फिर झांसी से बुंदेलखंड सुपर एक्सप्रेस वे के माध्यम से चित्रकूट और वहां से प्रयागराज तक पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं आई सड़क पर कहीं जाम की स्थिति नजर नहीं आई यातायात गतिशील ही दिखाई दिया। इस मार्ग से गुजरात और महाराष्ट्र के श्रद्धालुओं से भरी बसें और कारें प्रयागराज की कोई जाती दिखाई दी। रविवार को जाते हुए और मंगलवार को आते हुए भी कहीं जाम नजर नहीं आया। जैसा कि मीडिया चैनलों पर एमपी के सतना मार्ग के लंबे जाम की खबर चल रही है। प्रयागराज पहुंचकर जरूर 10 से 15 किलोमीटर के रेंगते यातायात से सामना हुआ। जो श्रद्धालुओं की बैचेनी और कष्ट दोनों को बढ़ाता प्रतीक हुआ। कुछ तो जल्दबाजी और वाहनों चालकों की भी है जो मुख्यमार्ग को छोड़कर अन्य वाहनों को हुआ जाता देखकर छोटे छोटे मार्ग पर अपनी कारों को मोड देते है। ऐसा कर वे अपने कष्ट को बढ़ा लेते है। हर कोई संगम पहुंचना चाहता है। अपने धर्म गुरुओं के पांडाल के निकट जाना चाहता है। कारों और बड़े वाहनों को दूर पार्किंग में खड़ा करवाना प्रयागराज महाकुंभ यातायात पुलिस के लिए जरूरी भी है। इन पार्किंग स्थलों से बाइक के माध्यम से पहुंचने की राय पूछने पर हर कोई यह बताता है कि बाइक से संगम स्थल पहुंचना उचित होगा। रुकने के लिए लाज की व्यवस्था की राय भी मिल जाती है। वैसे थके हुए शरीर को आराम की आवश्यकता भी होती है। सो रुकने के उचित प्रबंध देखकर लोग तैयार भी हो जाते है। इसके लिए कई प्रयाग वासियों ने अपने घर लाजो होटलों और गेस्ट हाउस में परिवर्तित कर दिए। वैसे हमने अपनी कार जमुना किनारे स्थित पार्किंग में खड़ी की और बाइक से प्रयागराज महाकुंभ स्थल के सेक्टर नंबर 16 के सार्वभौम सनातन धर्म महासभा के पांडाल में जाने के लिए शेखर निषाद से संपर्क किया पांच साथियों को चार हजार रु छोड़ने का सौदा तय हुआ और बात बन गई इन तीन बाइक सवारों ने हमें मेला स्थल के करीब सेक्टर नंबर 16 सार्वभौम सनातन धर्म महासभा के पांडाल में छोड़ा। जहां पांडाल जरूर आम पांडालों से छोटा नजर आया किन्तु सेवा ओर स्नेह की दृष्टि से उक्त पांडाल मन को जीत ले गया। वैसे संगम स्थल तक पहुंचने के लिए बाइक सवारों ने भीड़ के मध्य से अपनी बाइक बहुत सावधानी से निकाली कभी कभी डर भी लगा किंतु शेखर निषाद और उनके साथी हमे कहते रहे डरो नहीं बाबूजी आपको मेला स्थल निर्धारित सेक्टर और आपके पांडाल में पहुंचा देंगे। अपने कहे अनुसार पांडाल में पहुंचा भी दिया। रात्रि विश्राम के बाद मंगलवार सुबह फिर बाइक की मदद से संगम स्थल पहुंच गए। यहां अल सुबह से लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए बैचेन दिखाई दिए। इतनी बड़ी भीड़ को चीरते हुए पहुंचना और संगम में स्नान करने की सफलता महाकुंभ पहुंचने में हुए कष्टों को भुला देती है। महाकुंभ में भीड़ अधिक है। इतनी भीड़ के नियंत्रण में कई बार व्यवस्था गड़बड़ाती भी है। हम सोमवार को पहुंचे उस दिन भारत की राष्ट्रपति महामहिम द्रोपदी मुर्मू प्रयागराज संगम स्थल स्नान के लिए पहुंची तो श्रद्धालुओं को संगम स्थल पहुंचने में थोड़ी देर जरूर लगी। सनातन धर्म के इस महाकुंभ में साधु संतों के पांडालों में पूजा अर्चना और आध्यात्मिक प्रवचन चल रहे है। हर पांडाल में भोजन प्रसादी भी भक्तों को भरपूर मिल रही है। संगम स्थल पर देश के हर प्रांत के लोग आतें है विभिन्न भाषाओं के श्रद्धालुओं का सैलाब महाकुंभ के दौरान देश की सांस्कृतिक एकता के परिचायक के रूप में दिखाई दिया 13 फरवरी को एक महीना पूर्ण होने को आ रहा है। आने वालो की बेसब्री और बैचेनी साफ दिखाई दे रही है जो यह भी संकेत दे रहा की की महाशिवरात्रि तक प्रयागराज आने का दौर ऐसा ही चलता रहेगा। आस्था की डुबकी लगाने के लिए थोड़ी भीड़ का सामना तो करना ही पड़ेगा। किंतु डुबकी के बाद पुण्य और आध्यात्मिक लाभ कष्टों को भुला देता है। यहां आ रहे जनसमुदाय को देखते हुए पुलिस ओर प्रशासन का धीरज काबिले तारीफ है। संगम स्थल पर बालू रेत पर पांडालों की व्यवस्था उस पर मोटे टीन के चादरों के माध्यम से रास्ते का निर्माण देखते बनता है। बड़े बड़े पांडालों को जो दूर दूर तक फैले है, सेक्टर में बांटना श्रद्धालुओं को परेशानियों से बचाता है। पुलिस प्रशाशन हर पूछने वालों को समझाने का प्रयास करते दिखे, संगम स्थल पर खोया पाया केंद्र से दिन भर अपनों से भड़के लोगों का एलाउंस होता रहा। अपनों से खोने से बचने के लिए कई लोग लंबी रस्सी पकड़ कर चलते दिखाई दिए। रस्सी पकड़ कर एक साथ 25 से 50 लोग भी दिखें। आस्था की डुबकी लगाने के लिए इतनी भीड़ में भारत के हर प्रांत के लोग बड़ी संख्या में पहुंच रहे है। सनातन महात्य का महाकुंभ भारत की सांस्कृतिक विविधता का मेला नजर आया शायद शंकराचार्यों ने भारत को वैचारिक रूप से जोड़ने के लिए महाकुंभ की कल्पना की होगी प्रयागराज महाकुंभ सांस्कृतिक एकता के महान लक्ष्य को पूर्ण करता दिखाई दे रहा है।